28-02-2015, 01:31 AM | #1 |
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जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है
जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है kisi ko khushi kisi ko gham deti hai ........ किसी को ख़ुशी किसी को ग़म देती है kahin dukh me bhi jindagi muskurati hai ......... कहीं दुःख में भी जिंदगी मुस्कुराती है kabhi parayon ko aapna or kabhi aziz ko paraya banati hai कभी परायों को अपना और कभी अजीज़ को पराया बनाती है kaahi sukh ke sagar me bhi jindagi aansoo bahati hai ... कहीं सुख के सागर में भी जिंदगी आंसू बहाती है kahin hai parayo ke diye zakhm, to kahi aapno se ye jindagi satai hai ..... कहीं है परायों के दिए जख्म , तो कही अपनों से ये जिंदगी सताई है jindagi ,kahi dukhate dil ke sath khush hai ,to kahin,khushi ke sath dukhte dil bhi hain जिंदगी कहीं दुखते दिल के साथ खुश है तो कही , ख़ुशी के साथ दुखते दिल भी हैं kahi hain duwaon ki bauchharen, to kahin hai badduvaon ke khanjr कहीं है दुवाओं की बौछारें तो कहीं है बद दुवाओं के खंजर . jindagi kahin hai meetha ghunt to kahi hai kadva sa jahar जिंदगी कही है मीठा घूंट तो कही है कडवा सा जहर jindagi kahin tujhe hume hans ke sajana hai to jindagi kahin hume tujhe rokar bhi nibhana hai ... जिंदगी कही तुझे हमे हंस के सजाना है , तो कहीं हमे तुझे रोकर भी निभाना है zakhmon ke gahare dhabbon par lagati tu kabhi surkh syahi hai ........... जख्मो के गहरे धब्बों पे लगाती तू कभी सुर्ख स्याही kabhi deti hai tu etani khushiyan ki bhul jate insa tere diye sare gham कभी देती है तू इतनी खुशियाँ की भूल जाते इंसा तेरे दिए सारे ग़म parkyon eisi kahani teri aie jindagi ki pichhale gamo ki yaad tu fir dilati hai पर क्यों एईसी कहानी तेरी इए जिंदगी की पिछले गमो की याद तू फिर भी दिलाती है kub tak? jiye marr marr kar man bhi insano ka ?kyu harpal baharon kefull nahi khilati hai कब तक जियें मर मर कर मन भी इंसानों का क्यों हर पल बहारों के फूल नहीं खिलाती है ab bata de jindagi insa ko jivan bhar sirf khushiyan dene ka wada karti hai . ????????????? अब बता दे जिंदगी इंसा को जीवन भर सिर्फ खुशियाँ देने का वादा करती है ??????/???// |
04-03-2015, 07:38 PM | #2 |
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Re: जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है
आपकी यह रचना बेहद खूबसूरत और अद्वितीय है। पढ़कर विस्मित रह गया। देर से उत्तर देने के लिए क्षमाप्रार्थी हूॅं। आगे से ध्यान रखूूॅंगा। बधाइयॉं।
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04-03-2015, 08:28 PM | #3 | |
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Re: जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है
Quote:
आप हरेक जगह मुझसे माफ़ी मांगकर शर्मिंदा न करे रजत जी हर रोज आना और हरेक सूत्र पर तुरंत टिपण्णी या अभिप्राय देना मुमकिन नहीं ,क्यूंकि हम सबके जीवन में कई कार्य होते हैं सो कोई ना यदि आप कॉमेंट्स न कर सके . |
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04-03-2015, 08:39 PM | #4 |
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Re: जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है
सबसे पहले मैं आपको ज़िन्दगी की इस बहरूपिया कविता के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ, सोनी जी. बहरूपिया इसलिए कहा क्योंकि कविता में जीवन के इतने विविध रूप और रंग दिखाई देते हैं कि मेरे जैसे पाठक तो दांतों तले उंगली दबा लेंगे. दुःख-सुख, अपने-पराये, हँसना-रोना, ग़म-ख़ुशी, दुआ-बद्दुआ और भी बहुत कुछ. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूरी कविता में ज़िन्दगी और सिर्फ ज़िन्दगी की बात की गयी है और कविता के अंत में भी ज़िन्दगी से मानव मात्र के लिए खुशियों का वादा लिया जा रहा है. कुछ विशेष पंक्तिया यहाँ उद्धृत कर रहा हूँ:
.... कहीं है दुवाओं की बौछारें तो कहीं है बद दुवाओं के खंजर . जिंदगी कही है मीठा घूंट तो कही है कडवा सा जहर .... अब बता दे जिंदगी इंसा को जीवन भर सिर्फ खुशियाँ देने का वादा करती है ??
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 04-03-2015 at 08:41 PM. |
04-03-2015, 09:55 PM | #5 |
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Re: जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है
बहुत ही खूबसूरत रचना है है सोनी पुष्पा जी......आपने मेरे मन की ही बात कह दी....वाकई जिन्दगी अजीब होती है....और इसे समझना बहुत ही मुश्किल है , हम एक ही तरह की परिस्थितियों में अलग अलग तरह के व्यवहार कर देते हैं , कब कौन अजीज हो जाये और कब कौन पराया कुछ कहा नहीं जा सकता.....जिन्दगी के इतने रूप हैं कि समझते-समझते ये जिन्दगी ही गुजर जाती है पर फिर भी ये जिन्दगी अन्जान ही बनी रहती है......
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05-03-2015, 12:44 PM | #6 |
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Re: जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है
Bahot hi khubsurat rachna hai pushpaji......
jis tarah se aapne shabdo ko sanjoya hai ....i am totally speechless.. Zindgi such mai aisi hi hai or jaise ki pavitraji ne kaha jise samjte huye hi puri zindgi nikal jati hai fir bhi vo anjan hi bani raheti hai....zindgi mai ek pal mai sukh to dusre hi pal mai dukh hota hai jisse hum anjan hote hai...kabhi koi apna hi saath chhod deta hai to kabhi koi paraya kab apna ban jata hai pata hi nahi chalta..or in sab ghatnao se hum anjan hote hai ki kab kya hoga humari zindgi mai...ek pal mai vo apna rasta badal deti hai.... once again ...thank you so much ki aapne ye creation hum sabse share ki hai
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05-03-2015, 02:03 PM | #7 |
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Re: जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है
[QUOTE=rajnish manga;548995]सबसे पहले मैं आपको ज़िन्दगी की इस बहरूपिया कविता के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ, सोनी जी. बहरूपिया इसलिए कहा क्योंकि कविता में जीवन के इतने विविध रूप और रंग दिखाई देते हैं कि मेरे जैसे पाठक तो दांतों तले उंगली दबा लेंगे. दुःख-सुख, अपने-पराये, हँसना-रोना, ग़म-ख़ुशी, दुआ-बद्दुआ और भी बहुत कुछ. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूरी कविता में ज़िन्दगी और सिर्फ ज़िन्दगी की बात की गयी है और कविता के अंत में भी ज़िन्दगी से मानव मात्र के लिए खुशियों का वादा लिया जा रहा है. कुछ विशेष पंक्तिया यहाँ उद्धृत कर रहा हूँ:
.... कहीं है दुवाओं की बौछारें तो कहीं है बद दुवाओं के खंजर . जिंदगी कही है मीठा घूंट तो कही है कडवा सा जहर .... अब बता दे जिंदगी इंसा को जीवन भर सिर्फ खुशियाँ देने का वादा करती है ??[/QUOT बहुत बहुत धन्यवाद रजनीश जी ,.. इस कविता के मर्म को इतनी बारीकी से आपने समझा और अपनी प्रतिक्रिया बताई जिससे मुझे बेहद ख़ुशी हुई है आप सबके शब्दों से प्रोत्साहन मिलता है और आगे लिखने को मन करता है ... बहुतबहुत आभार आपका... |
05-03-2015, 02:10 PM | #8 | |
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Re: जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है
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06-03-2015, 09:56 AM | #9 | |
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Re: जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है
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बहुत बहुत धन्यवाद शिखा जी ,..इतने प्यारे कमेंट्स देने के लिए . सच जिंदगी अपने बदलते रंगों के साथ , हमारे साथ चलती है और हमे चलना भी पड़ता है . |
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