13-10-2014, 10:15 PM | #21 | |
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Re: मेरी निंदिया रानी..
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बहुत बहुत धन्यवाद , मुझे पॉइंट्स देने के लिए . |
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23-03-2015, 01:13 AM | #22 |
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Re: मेरी निंदिया रानी..
दोस्तों, बड़ों की बातें और बड़ी बड़ी बाते बहुत हुई, अब सोचा बचपन की मासूमियत को भी थोडा हम याद कर ले . कुछ एइसे विचार मन में आये और ये कविताआप लोगों के समक्ष यहाँ लिख रही हूँ ,पता नही आप लोग क्या सोचेंगे ,.. पर बस मन किया आप सबके साथ अपने मन के भावों को शेयर करू ..साथ ही निंदिया रानी के द्वारा इन्सानों को मिलते चैन का छोटा सा वर्णन है .मेरी लिखी इस कविता में
मेरी निंदिया रानी बहुत ही खूब सूरत है तू मेरी निंदिया रानी बहुत ही प्यारी मेरी दुलारी है तू, निंदिया रानी तेरी बाँहों में, जब खोकर मै सो जाऊ निंदिया रानी भूल जाऊ सारे दुःख दर्द जहाँ के , मेरी निंदिया रानी जब जब जागूं मन में छाये चिंता के परछाये, मन दौड़े दुनिया के जंजालो में चैन कभी न पाऊ कितना भी दुःख आये जब जब इंसानों के भाग्य में जब वो खो जाये तुझमे तब चैन पाए सिर्फ वो तुझमे थके हारे इन्सान और पंछीको भी देती है चैन तू ही कभी न रूठना तू मुझसे चाहे कुछ भी हो जाये तेरी गोद में खो के मै तो सपन सलोने सजाऊ जो न देखू उजाले दिन में वो चहरे सपनों में देख मै पाऊं... मुझे छोड़ गए मम्मी पापा पर तू ले आतीहै पास उन्हें , तू वो करती जो न कर सके कोई ,देकर सपन सलोने मन के दुःख को मै भूल ही जाऊं जब मम्मी पापा का साथ मै पाऊं . इसलिए सबसे प्यारी है तू मेरी निंदिया रानी .......... |
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