03-03-2015, 08:45 PM | #1 |
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खुदा से कुछ माँगने की कोशिश नहीं करता...bansi
बड़ा आदमी बन ने की कोशिश नहीं करता सच मुँह से खुद- ब- खुद निकल जाता है सचाई ज़ुबान पर लाने की कोशिश नहीं करता जब भी झूठ बोलना चाहा झूठ बोल नहीं पाया इस लिए झूठ बोलने की कोशिश नहीं करता दुखी देख दूसरों को दुखी हो जाता हूँ किसी को भी दुख देने की कोशिश नहीं करता याद आते हैं जिन्होने कुछ भी सिखाया मुझे किसी को भी भूलने की कोशिश नहीं करता बार बार याद आते रहते हैं हसीन पल ज़िंदगी के मुश्किल वक़्त को याद करने की कोशिश नहीं करता तम्म्ना है मन के सुकून से ज़िंदगी बसर हो खुदा से कुछ और माँगने की कोशिश नहीं करता बंसी(मधुर) |
03-03-2015, 11:05 PM | #2 |
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Re: खुदा से कुछ माँगने की कोशिश नहीं करता...bansi
बहुत सुंदर रचना है, बंसी जी. मानव स्वभाव की सकारात्मक बातों को अपनाया जाये, यही संदेश इस कविता में प्रगट हुआ है. धन्यवाद, मित्र.
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05-03-2015, 01:46 PM | #3 |
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Re: खुदा से कुछ माँगने की कोशिश नहीं करता...bansi
bahot hi khubsurat bansiji
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30-03-2015, 12:11 PM | #4 |
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Re: खुदा से कुछ माँगने की कोशिश नहीं करता...bansi
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30-03-2015, 12:12 PM | #5 |
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Re: खुदा से कुछ माँगने की कोशिश नहीं करता...bansi
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