14-06-2015, 12:32 PM | #11 |
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Re: अतिज्ञान की आडअसर
भले ईन ज्ञानी बाबाओं को अपनी परिधी, सीमा का ज्ञान हो- ना हो.... • वे अपना 'सेफ झोन' जानते है। वै सदा उसी मैदान में पडे रहेंगे जहां उनके जैसा कोई दुसरा न हो। • वे यह भी जानतें है की उन्हें हम जैसे तुच्छ लोगों की ज़रुरत है। ईसलिए कभी भी वे हमसे नाता नहीं तोडते है। • ईनकी वाणी में मिठास या कडवाहट ये दो ही स्वाद पाए जाते है....जब की कुदरत ने हमें शायद नौ स्वाद की नेमत दी है! खैर...
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14-06-2015, 12:41 PM | #12 |
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Re: अतिज्ञान की आडअसर
ज्ञानी वास्तव में चाहे जितने महान हो... ईनको छेडो तो मानों मधुमक्खी के छत्ते को हाथ लगाया। वे आपके पीछे ही पड जाती है। हम तो शालीन है, कीसी को छेडते-वेडते नहीं है। लेकिन मधुमख्खी को किसी की बात का बुरा लग सकता है। ईनको अगर थोडी हवा भी लग जाए तो वह अपने कडक हथकंडे आप पर आज़माती है। क्यों की वही तो उनका 'होना' है (वैसे मधुमक्खींयों से मेरी दर्खास्त है की वे ईस उदाहरण का बुरा न मानें। उनसे तो हमें फिर भी शहद मिलता है!)
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14-06-2015, 12:50 PM | #13 |
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Re: अतिज्ञान की आडअसर
ज्ञानी की एक ओर खासियत है...वे बचकाने होते है। आपको बच्चों की आदतें तो पता है ही। • वे किसी की सुनते नहीं। • अगर कोई कुछ बताए (समज़ाने की तो हीमाकत नहीं करेगा...याद है ना मधुमक्की का उदाहरण?) तो अनसुना करतें है । • शरारती होतें है। खैर...यह तो क्षमनीय है। लेकिन वे कभी कभी बडों का आदर नहीं करते है। • उनको लगता है उनकी किसी शरारत का उन्हें दंड नहीं मिलेगा ।
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Last edited by Deep_; 14-06-2015 at 06:51 PM. |
14-06-2015, 12:52 PM | #14 |
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Re: अतिज्ञान की आडअसर
चलो, अब कुछ तसल्ली हुई है! मैं नहाने जा रहा हुं। आशा है बाद में कुछ और अपडेट्स कर पाउंगा।
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14-06-2015, 06:58 PM | #15 |
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Re: अतिज्ञान की आडअसर
पुरा सन्डे हमने आराम फरमा लिया। बारिश अपना काम कर के जा चूकी है। लुभावनी संध्या खिडकी से अंदर झांक रही है। हम वापस लौट आए है...माय हिन्दी फोरम पर!
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14-06-2015, 07:07 PM | #16 |
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Re: अतिज्ञान की आडअसर
कई बार मैने डरता हुं की यह ज्ञानी के मुखौटे से कोई मेरे जैसा सामान्य मानव तो नहीं निकलेगा! क्यों की तकलिफें तो सबको पडती है, बुरा वक्त हो हर कुत्ते, ईन्सान ईत्यादि का आता ही है! एसे समय में ज्ञानी मृदुभाषी बन जातें है। भले-भोले से। जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं। तब उन्हें ईतना सोच सोच कर बोलना पडता है की कभी कभी वे कुछ बोल ही नहीं पाते।
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14-06-2015, 07:30 PM | #17 |
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Re: अतिज्ञान की आडअसर
अतिज्ञानी के सबसे महान गुण... • उन्हें यही लगता है की दुनिया (दुनिया ही क्युं? पुरा ब्रह्मांड) उनके नोलेज जी वजह से गतिमान है। भगवान क्या चीज़ है? • स्वकेन्द्री होतें है। • त्रिकालज्ञानी होने के कारण वे जानते है की मृदुता, सहनशीलता, शालीनता जैसे गुणों सामान्य मनुष्यों के लिए है। • वे मानतें है की उन्हें पृथ्वी पर ईसलिए भेजा गया है के वे बाकी तुच्छ मनुष्यों को सही राह दिखा सके! उन्हें यह बता सके की उन्हें क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। • उन्हें आदर और मान पान की सदैव सख्त जरुरत होती है। उन्हें पता है की उन्हों ने यहां अवतरण कर पुरी मानवजाति पे उपकार किया है।
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14-06-2015, 07:51 PM | #18 |
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Re: अतिज्ञान की आडअसर
ज्ञान और ज्ञानियों की सोच के विभिन्न पहलुओं पर आपने बिलकुल अनोखे अंदाज़ में एक नयी और अतिवैज्ञानिक study प्रस्तुत की है. संलग्न चित्रों ने 'हाथ कंगन को आरसी क्या' वाला काम किया है. धन्यवाद, मित्र.
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