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Old 03-05-2015, 03:32 PM   #141
Pavitra
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

लोग कहते हैं कि जो दुख में आपका साथ दे वही आपका सच्चा मित्र होता है क्योंकि सुख में तो सभी साथ रहते हैं पर दुख में ही पता चलता है कि वास्तव में हमारे साथ कौन है .......मुझे लगता है बदलती दुनिया के साथ इस विचार में भी परिवर्तन आया है । आज के समय में आपको आपके दुख में दुखी होने वाले लोग तो शायद फिर भी मिल जाएँ परन्तु आपकी खुशी में खुश होने वाले लोग मिलना बहुत ही मुश्किल है । तो अगर आपकी जिन्दगी में ऐसे लोग हैं जो आपकी खुशी में अपनी खुशी तलाशते हैं या आपको खुश देख कर खुश होते हैं तो उन्हें सम्भाल के रखिये .......ऐसे व्यक्ति और ऐसे रिश्ते ही हमारी वास्तविक सम्पत्ति हैं ।
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Old 29-05-2015, 11:33 PM   #142
Pavitra
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

जब बात रिश्ते में बँधने की होती है तो हम हमेशा उस व्यक्ति का चुनाव करते हैं जिसे हम पसन्द करते हों या जिसे हम प्यार करते हों। बहुत ही कम ऐसा होता है जब हम ये देखते हों कि जिसको हम पसन्द कर रहे हैं क्या वो भी हमें पसन्द करता है? और अगर करता है तो क्या उसी स्तर से पसन्द करता है जिस स्तर से हम उसे पसन्द करते हैं ?

रिश्ता कभी उस व्यक्ति से नहीं जोडना चाहिये जिसे हम पसन्द करते हों , रिश्ता हमेशा उस व्यक्ति से जोडना चाहिये जो हमें पसन्द करता हो , क्योंकि जो व्यक्ति हमें पसन्द करता है उसके साथ जीवन बिताना ज्यादा आसान होता है। जब हम उस व्यक्ति का चुनाव करते हैं जिसे हम पसन्द करते हैं तब उस व्यक्ति की खुशियाँ हमारी जिम्मेदारी हो जाती हैं , उसकी देख-भाल , उसकी चिन्ता सब हमारी जिम्मेदारी रहती है । जबकि जब हम उस व्यक्ति का चुनाव करते हैं जो हमें पसन्द करता है , हमसे प्यार करता है तब हमारी खुशियाँ उस व्यक्ति की जिम्मेदारी रहती हैं ।


यूँ तो रिश्ते दोनों ओर से ही निभाए जाते हैं , पर फिर भी कहीं ना कहीं एक पक्ष ज्यादा समर्पित होता है और दूसरा उस पर आश्रित , अगर पसन्दगी दोनों ओर से समान मात्रा में हो तो श्रेष्ठ परन्तु यदि ऐसा ना हो तो हमेशा उसी व्यक्ति का चुनाव करें जिसकी पसन्द आप हों , क्योंकि चाहे हम कितनी ही कोशिश क्यों ना कर लें पर जीवन के एक पडाव पर आकर हम खुद को कमजोर महसूस करते हैं , जब हमारे अन्दर इतना सामर्थ्य नहीं होता कि हम रिश्ते जोडे रखने का प्रयास कर सकें और तब हमें समझ आता है कि - जिन्दगी सच में गुलजार होती अगर हम उनके साथ होते जो हमारा साथ पाने के लिये हमेशा प्रयासरत रहते हैं ।
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Old 30-05-2015, 10:05 PM   #143
rajnish manga
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

परस्पर रिश्तों की पड़ताल व उनका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण अद्वितीय है. व्यवहारिक पक्षों पर भी आपने अच्छे तर्क प्रस्तुत किये हैं जिसके लिए आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ.
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Old 11-07-2015, 03:20 PM   #144
Pavitra
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

इन्सान की पहचान उसके द्वारा किये गये बडे बडे कारनामों से नहीं बल्कि उसके द्वारा की जाने वाली छोटी छोटी हरकतों से होती है । हम कई बार सोचते हैं कि हम चाहे कुछ भी करें , कौन देख रहा है या क्या फर्क पडता है ......पर सच तो ये है कि हम जो भी काम करते हैं वो लोगों की निगाहों में आता ही है और हमारी छवि को प्रभावित करता है । हमारी वास्तविक छवि उन कभी कभी किये जाने वाले बडे कारनामों से नहीं बनती बल्कि उन छोटी हरकतों से बनती है जो हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं , क्योंकि उस समय हम अपने वास्तविक रूप में होते हैं ।
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Old 11-07-2015, 04:53 PM   #145
manishsqrt
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

पवित्र जी इस थ्रेड को शुरू करने के लिए धन्यवाद, आपके बातो में ही शायद आपके सवालों का जवाब भी है. जाहिर है की जिंदगी अगर सीख देती है तो उसके लिए परीक्षा भी लेती ही होगी, बस यही जवाब है.मन जा सकता है की सीख देती है इसी लिए कठिनाइय आती है उसी सीख की झांच करने के लिए, उस परीक्षा में असफल होने पर वापस और कठिनाइय आती है ताकि उस सीख को हम आत्मसात करले.जिंदगी ऐसे तो कुछ नहीं देती पर हा वही अनुभव और ज्ञान देती है, हमारा मन्ना है की यदि जिंदगी को खुबसूरत बनाना हो तो एक आम नजरिया अपनाइए, चिन्ताओ से बचने के लिए ये फार्मूला सर्वोत्तम है, जहा हम घटनाओ को ज्यादा तवज्जो देते है वही चिंताए आती है, इसी से बचने के लिए नजरिया आम होना चाहिए.
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