26-06-2015, 09:49 PM | #31 |
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Re: समर्पण :.........
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28-06-2015, 09:07 PM | #32 |
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Re: समर्पण :.........
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28-06-2015, 09:08 PM | #33 |
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Re: समर्पण :.........
समर्पण : एक मूर्ति बेचने वाले गरीब कलाकार के लिए...किसी ने क्या खूब लिखा है.... " "गरीबो के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में, तभी तो भगवान खुद बिक जाते है बाजारों में :.........
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29-06-2015, 09:47 PM | #34 |
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Re: समर्पण :.........
समर्पण : एक बालक अपने माँ-बाप की खूब सेवा किया करता ! उसके दोस्त उससे कहते कि अगर इतनी सेवा तुमने भगवान की की होती तो तुम्हे भगवान मिल जाते ! लेकिन इन सब चीजो से अनजान वो अपने माता पिता की सेवा करता रहा ! एक दिन उसकी माँ बाप की सेवा-भक्ति से खुश होकर भगवान धरती पर आ गये ! उस वक्त वो बालक अपनी माँ के पाँव दबा रहा था ! भगवान दरवाजे के बाहर से बोले- दरवाजा खोलो बेटा मैं तुम्हारी माता- पिता की सेवा से प्रसन्न होकर तुम्हे वरदान देने आया हूँ ! बालक ने कहा -इंतजार करो प्रभु मैं माँ की सेवा मे लगा हूँ ! भगवान बोले -देखो मैं वापस चला जाऊँगा ! बालक ने कहा -आप जा सकते है भगवान मैं सेवा बीच मे नही छोड़ सकता ! कुछ देर बाद उसने दरवाजा खोला तो क्या देखता है भगवान बाहर खड़े थे ! भगवान बोले -लोग मुझे पाने के लिये कठोर तपस्या करते है पर मैं तुम्हे सहज ही मे मिल गया पर तुमने मुझसे प्रतीक्षा करवाई ! बालक ने जवाब दिया -हे ईश्वर जिस माँ बाप की सेवा ने आपको मेरे पास आने को मजबूर कर दिया उन माँ बाप की सेवा बीच मे छोड़कर मैं दरवाजा खोलने कैसे आता :.........
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14-07-2015, 05:35 PM | #35 | ||
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Re: समर्पण :.........
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जिनके सिने में दिल हे तो वे अवश्य ही इन लघु कथाओ के भावो को समजेंगे------- |
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