10-10-2015, 03:55 AM | #1 |
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जय माता दी "
मा शक्ति याने दुर्गा का स्वरुप नव दिन में मा के जो स्वरुप होते हैं उनके नाम इस प्रकार से हैं .. 1. शैल पुत्री- माँ दुर्गा का प्रथम रूप है शैल पुत्री। पर्वतराज हिमालय के यहाँ जन्म होने से इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को शैल पुत्री की पूजा की जाती है। ..2. ब्रह्मचारिणीमाँ दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। माँ दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली है। ..3. चंद्रघंटा-माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है व आकर्षण बढ़ता है। 4. कुष्मांडा- चतुर्थी के दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है। 5. स्कंदमाता- नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। 6. कात्यायनी- माँ का छठवाँ रूप कात्यायनी है। छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। 7. कालरात्रि- नवरात्रि की सप्तमी के दिन माँ काली रात्रि की आराधना का विधान है। 8. महागौरी- देवी का आठवाँ रूप माँ गौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। 9. सिद्धिदात्री- माँ सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन किया जाता है। माँ दुर्गा की कृपा प्राप्ति के लिए दिव्या दुर्गा अष्टकम जो की मैंने अंतर्जाल के माध्यम से प्राप्त किया है वो यहाँ लिख रही हूँ . दुर्गे परेशि शुभदेशि परात्परेशि! वन्द्ये महेशदयितेकरुणार्णवेशि!। स्तुत्ये स्वधे सकलतापहरे सुरेशि! कृष्णस्तुते कुरु कृपां ललितेऽखिलेशि!॥1॥ दिव्ये नुते श्रुतिशतैर्विमले भवेशि! कन्दर्पदारशतयुन्दरि माधवेशि!। मेधे गिरीशतनये नियते शिवेशि! कृष्णस्तुते कुरु कृपां ललितेऽखिलेशि!॥2॥ रासेश्वरि प्रणततापहरे कुलेशि! धर्मप्रिये भयहरे वरदाग्रगेशि!। वाग्देवते विधिनुते कमलासनेशि! कृष्णस्तुतेकुरु कृपां ललितेऽखिलेशि!॥3॥ पूज्ये महावृषभवाहिनि मंगलेशि! पद्मे दिगम्बरि महेश्वरि काननेशि। रम्येधरे सकलदेवनुते गयेशि! कृष्णस्तुते कुरु कृपा ललितेऽखिलेशि!॥4॥ श्रद्धे सुराऽसुरनुते सकले जलेशि! गंगे गिरीशदयिते गणनायकेशि। दक्षे स्मशाननिलये सुरनायकेशि! कृष्णस्तुते कुरु कृपां ललितेऽखिलेशि॥5॥ तारे कृपार्द्रनयने मधुकैटभेशि! विद्येश्वरेश्वरि यमे निखलाक्षरेशि। ऊर्जे चतुःस्तनि सनातनि मुक्तकेशि! कृष्णस्तुते कुरु कृपां ललितऽखिलेशि॥6॥ मोक्षेऽस्थिरे त्रिपुरसुन्दरिपाटलेशि! माहेश्वरि त्रिनयने प्रबले मखेशि। तृष्णे तरंगिणि बले गतिदे ध्रुवेशि! कृष्णस्तुते कुरु कृपां ललितेऽखिलेशि॥7॥ विश्वम्भरे सकलदे विदिते जयेशि! विन्ध्यस्थिते शशिमुखि क्षणदे दयेशि!। मातः सरोजनयने रसिके स्मरेशि! कृष्णस्तुते कुरु कृपां ललितेऽखिलेशि॥8॥ दुर्गाष्टकं पठति यः प्रयतः प्रभाते सर्वार्थदं हरिहरादिनुतां वरेण्याम्*। दुर्गां सुपूज्य महितां विविधोपचारैः प्राप्नोति वांछितफलं न चिरान्मनुष्यः॥9॥ ॥ इति श्री मत्परमहंसपरिव्राजकाचार्य-श्रीमदुत्तराम्नायज्योतिष्पीठाधीश्वरजगद्गुरु-शंकराचार्य-स्वामि- श्रीशान्तानन्द सरस्वती शिष्य-स्वामि श्री मदनन्तानन्द-सरस्वति विरचितं श्री दुर्गाष्टकं सम्पूर्णम्* ॥ Last edited by rajnish manga; 10-10-2015 at 03:43 PM. |
10-10-2015, 03:56 AM | #2 |
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Re: जय माता दी "
इस सन्दर्भ में एक बात जरुर कहना चाहूंगी की जब कन्यायें माता का स्वरुप हैं तो कन्या भ्रूण हत्या करके आप पाप के भागी न बने और बेटियों को बचाएं उनके जन्म के समय दुखी होने की बजाय खुशियाँ मनाएं की साक्षात् लक्ष्मी आई है आपके घर. नसीबो वाले होते हैं वो लोग जिनके घर बेटियां जन्म लेती हैं बेटियों को भार न समझे क्यूंकि हमारे पूर्वजो ने , हमरे साधू संतो ने, हमारे धार्मिक ग्रंथो ने बेटियों को मा जगदम्बा का दर्जा दिया है उन्हें दूध पीती(जन्मते ही दूध के थाले में डुबाकर बच्ची को मार डालने को दूध पीती जाता है ) करने की बजाय उन्हें झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की तरह बनाये हरेक तरह से योग्य बलशाली और बुध्धिमान बनाये और देखिये की वो एक बेटे से कहीं ज्यदा शक्तिशाली होगी और आपका , समाज का रक्षण करेगी हमने ही बेटियों के लिए सीमाएं बांध दी हैं और उनका शोषण करते आये हैं बाकि बेटियां तो बड़ी प्यारी होती है जरुरत है तो बस उन्हें अबला न बनाकर सबला समझा जय सबला बनाया जाय यदि आप मा जगदम्बा को सच्चे मन से पूजना चाहते हैंउनकी कृपा प्राप्त करना कहते हैं तो अपनी बेटी को उसका सही स्थान देकर उसे प्यार दुलार देकर सही मायने का कन्या पूजन कीजिये सिर्फ एक सौगात देने से या सिर्फ व्रत उपवास से मा नहीं रिझेंगी वो खुश होकर आशीर्वाद तब देंगी आपको जब आप उनके कन्या स्वरुप आपनी बेटी को इस संसार में आने देंगे और उसका सही तरीके से पालन पोषण करके योग्य बनायेंगे .. कुमारिका मा जगदम्बा है उसका अपमान माता का अपमान है और यदि हम इस बात से इनकार करते हैं तो हमें माता की पूजा का कोई हक़ नहीं है[/quote] Last edited by rajnish manga; 10-10-2015 at 03:45 PM. |
10-10-2015, 08:33 PM | #3 | |
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Re: जय माता दी "
Quote:
बहन पुष्पा जी ने बहुत अच्छे तरीके से नवरात्रि पर्व और देवी पूजन के महात्म्य के बारे में सूत्र के आरम्भ में ज्ञानवर्धक जानकारी दी है. दूसरे भाग में उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि बेटियों को उचित सम्मान दिया जाये, उन्हें कमज़ोर न समझा जाये या अबला बना कर न रखा जाये. यदि बेटी का अपमान होगा तो देवी पूजन का दिखावा किस काम का. उन्होंने इस अवसर पर कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध को ख़त्म करने का आह्वान भी किया है. आपके इन सुंदर विचारों का समाज समादर करेगा, ऐसा विश्वास है. आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
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10-10-2015, 09:38 PM | #4 |
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Re: जय माता दी "
[size=3]बहन पुष्पा जी ने बहुत अच्छे तरीके से नवरात्रि पर्व और देवी पूजन के महात्म्य के बारे में सूत्र के आरम्भ में ज्ञानवर्धक जानकारी दी है.
दूसरे भाग में उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि बेटियों को उचित सम्मान दिया जाये, उन्हें कमज़ोर न समझा जाये या अबला बना कर न रखा जाये. यदि बेटी का अपमान होगा तो देवी पूजन का दिखावा किस काम का. उन्होंने इस अवसर पर कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध को ख़त्म करने का आह्वान भी किया है. आपके इन सुंदर विचारों का समाज समादर करेगा, ऐसा विश्वास है. आपका बहुत बहुत बहुत बहुत धन्यवाद ..आपने ध्यान से पढ़कर इसपर अपने अनमोल विचार रखे और मेरे इस आलेख को लिखने के आशय को समझा इसके लिए हार्दिक आभार भाई.... |
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