11-10-2015, 03:47 PM | #1 |
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हस्त मुद्रा चिकित्सा
हमारे हाथों में ये पाँचों तत्व उपस्थित रहते हैं , और जब हम अपने हाथों को एक विशेष मुद्रा में कुछ समय तक रखते हैं तो ये पंच तत्व धीरे-धीरे करके सन्तुलित हो जाते हैं । सबसे पहले ये जानना आवश्यक है कि हाथ की कौन सी उंगली किस तत्व का प्रतिनिधित्व करती है - 1- अँगूठा(Thumb) - अग्नि तत्व 2- तर्जनी(Index) - वायु तत्व 3- मध्यमा(Middle) - आकाश तत्व 4- अनामिका(Ring) - पृथ्वी तत्व 5- कनिष्ठा(Little) - जल तत्व
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11-10-2015, 04:36 PM | #2 |
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Re: हस्त मुद्रा चिकित्सा
कुछ विशेष हस्त मुद्राएँ जिनके निरन्तर अभ्यास से हम अपने शरीर को स्वस्थ्य बना सकते हैं -
1- ज्ञान मुद्रा - ज्ञान मुद्रा के निरन्तर अभ्यास से व्यक्ति का मस्तिष्क मजबूत होता है । मन एकाग्र रहता है , तनाव से मुक्ति मिलती है । इस मुद्रा से मानसिक विकृतियाँ दूर होती हैं और स्मरण शक्ति बढती है । मुद्रा बनाने का तरीका - अपनी तर्जनी उंगली और अँगूठे के अग्र भाग को आपस में मिलाएँ एवं बाकी उंगलीयों को सीधा रखें । 2- वायु मुद्रा - वायु मुद्रा के अभ्यास से व्यक्ति की वात सम्बन्धी बीमरियाँ दूर होती हैं । घुटनों के दर्द , गैस की परेशानी , कमर दर्द , जोडों का दर्द आदि में यह मुद्रा लाभकारी है । गैस की शिकायत होने पर वज्रासन में बैठ कर यह मुद्रा करने से लाभ होता है । मुद्रा करने का तरीका - अपनी तर्जनी उंगली को मोडें और उसके पहले जोड पर अपना अँगूठा रख कर हल्का दबाव डालें। 3- आकाश मुद्रा - आकाश मुद्रा हृदय रोग में , हड्डियों के लिये , धैर्य वृद्धि हेतु लाभकारी होती है । कान सम्बन्धी रोग , बहरापन , कान बहना आदि में भी ये विशेष लाभकारी रहती है । यह मुद्रा शान्तिपूर्ण वातावरण में वज्रासन में करने पर ज्यादा फायदेमन्द रहती है । मुद्रा करने का तरीका - अपनी मध्यमा उंगली और अँगूठे के अग्र भाग को मिलाएँ एवं बाकी उंगलियों को सीधा रखें । 4- प्राण मुद्रा - इस मुद्रा के अभ्यास से प्राण शक्ति जागृत होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है । नेत्र रोगों में , शारिरिक कमजोरी , थकान दूर होती है । शरीर में चैतन्य और उत्साह का सन्चार होता है । मुद्रा करने का तरीका - अनामिका एवं कनिष्ठा उंगली को मिलाकर अँगूठे के अग्र भाग से मिलाएँ एवं बाकी उंगलियों को सीधा रखें । 5- पृथ्वी मुद्रा - इस मुद्रा के अभ्यास से शारिरिक रूप से दुर्बल व्यक्ति की दुर्बलता दूर होती है । विटामिन A की कमी पूरी होती है । थकान दूर होती है और ताकत आती है । स्थूल व्यक्तियों को यह मुद्रा नहीं करनी चाहिये । मुद्रा करने का तरीका - अनामिका उंगली एवं अँगूठे के अग्र भाग को आपस में मिलाएँ एवं बाकी उंगलियों को सीधा रखें । 6- वरुण मुद्रा - वरुण मुद्रा के अभ्यास से व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी पूरी होती है । त्वचा सम्बन्धी समस्त रोगों के लिये यह मुद्रा बहुत ही लाभदायक है । इस मुद्रा के प्रयोग से त्वचा की कान्ति बढती है , डीहाइड्रेशन की समस्या दूर होती है , शरीर का तेज बढता है । मुद्रा करने का तरीका - कनिष्ठा उंगली एवं अँगूठे के अग्र भाग को आपस में मिलाएँ और बाकी उंगलियाँ सीधी रखें ।
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It's Nice to be Important but It's more Important to be Nice Last edited by Pavitra; 11-10-2015 at 04:41 PM. |
11-10-2015, 05:00 PM | #3 |
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Re: हस्त मुद्रा चिकित्सा
वाह-वाह क्या बात है - ज्ञान चक्षु खुल गए,
कमबख्त फिर भी खोपड़िया खाली रह गया। |
11-10-2015, 06:01 PM | #4 |
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Re: हस्त मुद्रा चिकित्सा
बहुत अच्छी जानकारी मिली है पवित्रा जी। धन्यवाद!
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11-10-2015, 10:46 PM | #5 |
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Re: हस्त मुद्रा चिकित्सा
मुद्रा विज्ञान पे बहुत अच्छी जानकारी दी है पवित्रा जी। धन्यवाद!
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12-10-2015, 09:50 PM | #6 |
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Re: हस्त मुद्रा चिकित्सा
बढीया जानकारी !
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12-10-2015, 11:11 PM | #7 |
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Re: हस्त मुद्रा चिकित्सा
हाथ की मुद्राओं के बारे में ज्ञानवर्धक एवम् लाभदायक जानकारी प्रस्तुत करने के लिए आपका धन्यवाद, पवित्रा जी. यह मेरे लिए सर्वथा नवीन विषय है.
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