27-08-2015, 05:49 PM | #1 |
Junior Member
Join Date: Aug 2015
Posts: 3
Rep Power: 0 |
कब हो ही सोनहा बिहान
गाँव सुखी तब देश सुखी हे बात बात में लोग दुखी हे कतको कमाथन पुर नई आवे जांगर थकगे मन दुबरावे सुख दुःख में मिल उठ बैठन, ले के हमर निशान जांगर टांठ करे बर परही, तब हो ही सोनहा बिहान खैर, ‘सोनहा बिहान’ के बारे में अनावश्यक रूप से मष्तिष्क में एक कल्पना लेकर हम दोनों टाऊन हाल पहुंचे| चूंकि, उदघाटन के लिए मुख्यमंत्री को आना था, आवश्यक खाना तलाशी के बाद हाल में पहुँचते ही पहला ध्यान सामने फ्लेक्स शीट पर बनाए गए पोस्टर ‘मन की बात’ पर गया और दिमाग में पहला ख्याल ही यह आया कि यह छाया चित्र प्रदर्शनी नहीं, पोस्टर प्रदर्शनी है, जिसमें छाया चित्रों को कंप्यूटर की सहायता से फ्लेक्स शीट पर उतारा गया है| उसी पोस्टर ने यह भी जता दिया कि पूरे आयोजन का कला नामक शब्द से कोई वास्ता नहीं है| अपने स्वागत भाषण में जनसंपर्क विभाग के सचिव और आयुक्त ने यह भी बता दिया कि इन पोस्टर्स में पहली बार विभाग ने एलईडी बेक लाईट का प्रयोग किया है, जिससे पोस्टर्स के रंग और उभर कर आते हैं| यदि, आप कुछ देर के लिए पोस्टर्स की विषयवस्तु एक तरफ कर दें तो आजकल इस एलईडी बेक लाईट का प्रयोग करते हुए और भी भव्य और सुन्दर पोस्टर्स मॉल तथा मॉल के सिनेकाम्पलेक्स में नजर आते हैं| छाया चित्रांकन की यदि बात की जाए तो आज भी डिजिटल कैमरे के माध्यम से बहुत ही संवेदनशील और खूबसूरत फोटोग्राफी की जा रही है| पर, अब उस छायांकन को और भी बड़ा रूप डिजिटल प्रिंटिंग के द्वारा दिया जा सकता है| पर, तब उसकी मूल कला नष्ट हो जाती है| छायाकार की फोटो की खूबसूरती कैमरे से ज्यादा उसके विषयवस्तु के चयन और उन कोणों पर निर्भर होती है, जिनका इस्तेमाल छायाकार करता है| फ्लेक्स शीट जो पोली विनायल क्लोराईड (pvc) या पोलीथिन (pe) की होती है, पर किसी भी विषय को छाया चित्रों सहित चार तयशुदा रंगों या उनके संयुक्त संयोजन से डिजिटल प्रिंटिंग के द्वारा छापा जा सकता है| अधिकतर इस पद्धति का उपयोग सड़क के किनारे लगने वाले विज्ञापनों (होर्डिंग्स), पाताकाओं (बेनर) या प्रचार पोस्टर्स बनाने के लिए किया जाता है| इसका ग्राफिक्स का एक कोर्स होता है और यह स्वरोजगार का साधन हो सकता है| यह और अलग बात है कि आज इस काम को करने वाले भी काम के अभाव में बेरोजगार जैसे ही घूम रहे हैं, क्योंकि, यह व्यवसाय अब पूरी तरह बड़े प्रिंटर्स के कब्जे में चला गया है| हर विकास के साथ जैसी कहानी जुडी रहती है, फ्लेक्स प्रिंटिंग के साथ भी है, इस पद्धति ने कई लोगों को आधुनिक रोजगार दिया तो सैकड़ों हाथ से पोस्टर्स, बेनर बनाने वाले पेशेवर लोगों का रोजगार छीना भी है| बहरहाल, जनसंपर्क विभाग की इस ‘सोनहा बिहान’ छाया चित्र प्रदर्शनी में सोनहा बिहान शब्द का इस्तेमाल कला के लिए नहीं राजनीतिक शब्दावली में किया गया था| जैसा कि स्वयं मुख्यमंत्री ने उदघाटन करते हुए कहा भी कि यह फोटो प्रदर्शनी सोने की तरह दमकते और विकास के पथ पर अग्रसर छत्तीसगढ़ की उज्जवल छवि प्रस्तुत करती है| प्रदर्शनी में भूतपूर्व राष्ट्रपति मिसाईल मेन अब्दुल कलाम तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री के रूप में पहली छत्तीसगढ़ यात्रा के चित्रों और उद्धरणों को तथा राज्य सरकार की विकास योजनाओं को पोस्टर्स के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है| यह सामयिक भी था, कुछ दिन पूर्व ही पूर्व राष्ट्रपति का निधन हुआ था और कुछ समय पूर्व ही केंद्र में मोदी सरकार ने एक वर्ष पूर्ण किया था| पिछले दो दशकों से भारत की राजनीति एक ऐसे दौर से गुजर रही है, जिसमें कर्म, सेवा, तथा शोषितों के उत्थान के लिए अदम्य भावना के स्थान पर आत्मकेंद्रित आत्मतुष्टता तथा आत्म मुग्धता की राजनीति को केन्द्रीय स्थान प्राप्त है| यह प्रदर्शनी भी इस भाव से अछूती नहीं थी| मन की बात पोस्टर में स्कूल के बच्चों के साथ प्रधानमंत्री की तस्वीर हो या सुशासन के साथ राज्य के मुख्यमंत्री का पोस्टर, खेती किसानी में आगे बढ़ता छत्तीसगढ़ का पोस्टर हो या स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ आधुनिक चिकित्सा शिक्षा के विस्तार का पोस्टर, या महिला सशक्तिकरण से सशक्त होते समाज का पोस्टर हो, सभी आपको आभास कराते हैं कि सब कुछ बढ़िया है और बेहतर है| आप भूल जाईये कि सुदूर बस्तर में सैकड़ों स्कूल रोज नहीं खुलते, कि स्कूल भवनों में सीआरपीएफ़ और बीएसएफ के जवान रुकते हैं , इसलिए माओवादी उन स्कूलों को ध्वस्त कर चुके हैं| आप किससे पूछेंगे कि क्यों प्रदेश में 86% बेटियाँ ऐसी हैं जो पढ़ाई को बीच में ही छोड़ चुकी हैं| आपका यह सवाल आपके मन में ही रहेगा कि बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाएं किसे कहें? स्मार्ट कार्ड से पैसा कमाने के लिए जबरिया गर्भाशय निकालने को, नसबंदी शिविरों में लापरवाही से हुई मौतों को, या मोतियाबिंद के आपरेशन में अंधे होने वाले मामलों को या निजी अस्पतालों में हो रही लूट और धांधली को? महिला सशक्तिकरण के पोस्टर देखते हुए आपको यह कोई नहीं बताएगा कि आज भी प्रदेश की 52% महिलाओं का प्रसव अस्पताल में नहीं होता है| सुशासन, वह तो रोज आप चेन खींचने, ठगी करने, हत्याओं के रूप में देखते हैं| भारत में ट्रेन के अपहरण की अकेली घटना हमारे प्रदेश में हुई है| मीना खालको या अन्य ढेरों के बलात्कार और मार दिए जाने की बात आप अपने मन में रखिये| स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्होंने आपको आमंत्रित किया है, उनके मन की बात देखने के लिए, वही सोनहा बिहान है! पर, हमारे टीकाराम जी कहाँ मानने वाले थे, बाहर निकले और प्रवेश द्वार पर सजाकर लिखे गए “सोनहा बिहान’ को देखा और फिर मुझसे बोले, तेंहा मौला एक बात बता, कब हो ही सोनहा बिहान? मैंने उनकी तरफ देखा और गुनगुना दिया; जांगर टांठ करे बर परही, तब हो ही सोनहा बिहान अरुण कान्त शुक्ला, 21 अगस्त 2015 |
27-08-2015, 10:07 PM | #2 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: कब हो ही सोनहा बिहान
जनता बेचारी क्या करे? कई बार चुनाव के विज्ञापन और चौंकनेवाले परिणाम मन में बहुत सी आशाएं जगा जाते है, लेकिन आखिरकार जनता को ही असलीयत का सामना करना है । लेकिन आप बताएं की क्या सरकार ईन सब समस्यां की जननी है? हमारे प्रदेश में अगर कुछ अघटित घटता है तो क्या हमारा शिकायतें करने के अलावा और कोई कर्तव्य नहीं है? बढिया लेखक, विचारक, बेख़ौफ वक्ता क्या कुछ नहीं है। सुधार तो यही लाएंगे न की सरकारी बेकलाईट पोस्टर/होर्डिंग । सबकुछ हो सकता है अगर सभी अच्छे-बुरे सिर्फ एक ही दिशा में चल पडें।
|
27-08-2015, 10:14 PM | #3 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: कब हो ही सोनहा बिहान
Quote:
चौंका देने वाले तथा जनता की आँखें खोल देने वाले उपरोक्त विवरण के लिए मैं आपको हृदय से धन्यवाद देता हूँ और आशा करता हूँ कि आप इसी प्रकार सांस्कृतिक एवं सामाजिक विषयों पर अपना लेखन जारी रखेंगे. धन्यवाद.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
03-09-2015, 07:41 AM | #4 |
Member
Join Date: Jun 2015
Location: varanasi
Posts: 102
Rep Power: 12 |
Re: कब हो ही सोनहा बिहान
सच में आपने अपने अनुभव का बेहतरीन वर्णन किया है, वास्तविकता में सुचना इस ही कहते है, जैसे हो वैसा ही बता दिया जाए तभी वह सत्य है. आपके लिखने का कौशल सराहनीय है, और इतने पारदर्शी वर्णन के साथ ही इसमें संस्कृति का उत्तम समावेश भी कर दिया. अद्भुत, काश की आपकी यही आदत नेताओ में भी आ जाती और जैसा है वैसा ही बताने की आदत वे दाल लेते, वैसे आजकल जहा देखो वह अपना स्वार्थ और मसाला जोड़ने की होड़ सी लगी है लोगो में, लिखने का उत्तम तरीका वही है जो आपने प्रदर्शित किया, वैसा लिखो जैसा देखा है उसमे बिलावजह खुद को न घुसो वो भी तब जबकि विषय की मांग न हो, काश शिवराज जी भी तनिक स्वयं का ये मोह छोड़ कर संस्कृति का सच्चा सौंदर्य देख पाते.
|
27-10-2015, 10:13 PM | #5 |
Junior Member
Join Date: Aug 2015
Posts: 3
Rep Power: 0 |
Re: कब हो ही सोनहा बिहान
पोस्ट पर अपने अमूल्य विचार रखने वाले सभी महानुभावों को मेरा धन्यवाद..
|
Bookmarks |
|
|