28-10-2015, 08:08 PM | #1 |
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सच्ची तपस्या
साभार: राहुल देव क्या आप जानते हैं दोस्तों सच्ची तपस्या या तप किसे कहते हैं। सर्दियों में सुबह चार बजे ठंडे पानी से नहाना तप नहीं है। घर - परिवार छोड़ कर जंगलों में जाना तप नहीं है। दिनों दिन भूखे-प्यासे रहना कोई तप नही हैं। सच्चा तप तो मेहनत की कमाई हैं। जिसमे उस रब की मेहर और बक्शीश हो। एक माँ-बाप अपने बच्चो को प्यार करते हैं वो तप हैं। अपने बच्चो के लिए रातो को जागना तप हैं। एक बहिन जो भाई के प्यार में तपती हैं, वो तप हैं। एक प्रेमिका अपने प्रेमी के विरह में जो तड़पती हैं, वो तप हैं। एक शिष्य अपने गुरु के प्यार में सब कुछ भूल जाना, वो तप हैं। यह सच्चा तप हैं ये सच्ची दिल से की जाने वाली तपस्या हैं। किसी से दिल लगाकर तो देखो जिंदगी बदल जाएगी किसी को अपना बनाकर तो देखो आपकी दुनिया न बदल जाये तो कहना। लेकिन आपके प्यार में वो शिद्दत होनी चाहिए की रब आपके बिना न रह सके फिर देखना आपका प्यार आपके साथ होगा क्योंकि परमात्मा या रब का दूसरा नाम ही प्यार हैं। और प्यार ही सच्चा रब हैं। इस दुनिया को उस परमात्मा की सबसे बड़ी दी हुई दौलत ये प्यार की बक्शीश ही तो हैं। जिसके सहारे दुनिया टिकी हैं। वरना तो ना जाने कब की दुनिया खत्म हो जाती। तो इस प्यार से बड़ा कौन सा तप हो सकता हैं। यही सच्चा तप हैं। दोस्तों.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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