08-11-2015, 03:58 PM | #1 |
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धनतेरस,रूप चौदस,दीपावली..
मेरे सभी पाठकों और देश विदेश में बसे सभी भारतीय भाई बहनों को दीपावली की अनेकानेक शुभकामनाएं तथा बधाइयाँ .. कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। यह त्योहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है। इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान धनवन्तरि की पूजा का महत्व है। शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। कथा के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार कर देना। वामन साक्षात भगवान विष्णु हैं जो देवताओं की सहायता के लिए तुमसे सब कुछ छीनने आए हैं। बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। इससे कमंडल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया। वामन भगवान शुक्रचार्य की चाल को समझ गए। भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। शुक्राचार्य छटपटाकर कमण्डल से निकल आए। इसके बाद बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। तब भगवान वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पग से अंतरिक्ष को। तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं होने पर बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया। बलि दान में अपना सब कुछ गंवा बैठा। इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुणा धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई। इस उपलक्ष्य में भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। Last edited by soni pushpa; 08-11-2015 at 04:29 PM. |
08-11-2015, 03:59 PM | #2 |
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Re: धनतेरस,रूप चौदस,दीपावली..
नरक चतुर्दशी की रात दीये जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं हैं।
एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दु्र्दांत असुर नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई जाती है। इस दिन के व्रत और पूजा के संदर्भ में एक दूसरी कथा यह है कि रंति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नरक जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। यह सुनकर यमदूत ने कहा कि- हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप कर्म का फल है। इसके बाद राजा ने यमदूत से एक वर्ष समय मांगा। तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दे दी। राजा अपनी परेशानी लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा। तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त आ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है। |
08-11-2015, 04:00 PM | #3 |
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Re: धनतेरस,रूप चौदस,दीपावली..
दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है पटाखे जलाये जाते हैं और लोग मिलते जुलते हैं घरों को सजाते हैं खुद को सजाते हैं । इस दिन एक कथा और भी प्रचलित है की भगवान् राम ब अपना बनवास पूरा करके १४ वर्षो बाद वापस अयोध्या लौटे थे और तब अयोध्या वासियों ने पूरी अयोध्या को दियो की रोशनी से भर दिया था और बहुत खुशियाँ मनाई थी ।.
दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। इसके लिए हम ढेर सारे उत्साह के साथ कई तरह की तैयारियां करते हैं। लेकिन त्योहार पर यह उत्साह बना रहे और सभी सुरक्षि*त रहें यही सबसे बड़ी बात होती है। वैसे तो त्योहारों पर हम बहुत सी बातों का ध्यान रखते हैं, लेकिन दीपावली पर आपको विशेष रूप से कुछ बातों का ध्यान रखना है, ताकि आपका उत्साह किसी तरह से भी कम न हो पाए। और इसके लिए हमें कुछ बातो का विशेष ध्यान रखना बेहद जरुरी है जैसे की सबसे पहली बात खरीद दारी है जब कोई चीज़ खरीदें बाज़ार मूल्य का मुआयना कर लीजिये और ध्यान से देखभाल करके वस्तु का क्रय करें ताकि बाद में पछताना न पड़े , दूजे जेबकतरों से सावधानी रखे जब बाज़ार जाएँ , तीजे मिठाई लेते समय ये बात अवश्य ध्यान में रखें की ताज़ी मिठाइयाँ ही हों स्वास्थ्य का ख्याल रखें क्यूंकि नवरात्री से लेकर दिवाली तक बेहद काम करके आप थकतीं हैं इसलिए काम के साथ आराम जरुरी होगा .. , वायु प्रदुषण होता ही है पटाखों की वजह से इसलिए घर के खिड़की दरवाजे बंद रखें ताकि कोई पटाखा आपके घर को नुक्सान न पहुंचा सके ... इसके साथ ही बच्चो का ख्याल रखें , रंगों से खुद को बचाए कोई एइसा रंग रंगोली के लिए न ले जिसके केमिकल से आपको एलर्जी हो .. माँ लक्ष्मी का यह मंत्र बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है ,. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥ या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती Last edited by soni pushpa; 08-11-2015 at 04:41 PM. |
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