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22-05-2016, 02:48 AM | #1 |
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Re: khawaabon ki basti
[QUOTE=rajnish manga;558445][indent][बचपन की बात और थी जब लड़खड़ा जाया करती थी जुबां,
पर अब कहाँ किसी से कुछ कहता हूँ, दीवारों सा चुप रहता हूँ, है मेरी अपनी ख्वाबों की बस्ती, बस उन पर में चलता रहता हूँ!! बचपन की बात और थी जब हर छोटी बात पे झरने बहते थे, पर अब कहाँ किसी की बातों को दिल पे लेता हूँ, झरनों को बस अंदर ही बहने देता हूँ, है मेरी अपनी ख्वाबों की बस्ती, बस उन पर मैं चलता रहता हूँ!!] khoobsurat rachna ... bachapan se sundar jivan ke koi bhi din nahi hai |
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dreams, khawaab, poem, shayari |
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