20-07-2016, 12:38 AM | #1 |
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खुद को तू बेहाल न रख (ग़ज़ल)
खुद को तू बेहाल न रख वक़्त की लाठी से तू डर
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
01-08-2016, 12:58 AM | #2 |
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Re: खुद को तू बेहाल न रख (ग़ज़ल)
ग़ज़ल लाइक करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
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03-08-2016, 01:58 PM | #3 |
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Re: खुद को तू बेहाल न रख (ग़ज़ल)
सुन्दर ग़ज़ल हमसे शेयर करने के लिए हार्दिक आभार भाई .. बहुत बहुत धन्यवाद
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15-08-2016, 08:48 PM | #4 |
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Re: खुद को तू बेहाल न रख (ग़ज़ल)
बहुत खूब!
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30-08-2016, 07:00 PM | #5 | |
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Re: खुद को तू बेहाल न रख (ग़ज़ल)
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30-08-2016, 09:19 PM | #6 | |
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Re: खुद को तू बेहाल न रख (ग़ज़ल)
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बेहाल न रख, ग़ज़ल, khud ko tu behal na rakh |
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