06-05-2017, 05:21 PM | #1 |
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ग़ज़ल- कुछ किया ही नहीं...
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● मैं तो' जीता रहा बस किसी के लिए कुछ किया ही नहीं जिंदगी के लिए क्या मुझे वो कहीं पर मिलेगी कभी मैं भटकता रहा जिस खुशी के लिए साथ देगा तुझे कष्ट में देखकर ये जरूरी है' क्या आदमी के लिए जान मेरी रहे जिसके' अंदर सदा मैं यहाँ आ गया हूँ उसी के लिए कितने' सदमें हमें दे रही आजकल क्या मिली जिंदगी है इसी के लिए हमने' यूँ ही गवां दी जवानी मगर भाग्य को कोसते हर कमी के लिए वह तो' अपनों का' "आकाश" दिल तोड़कर जान देने चला अजनबी के लिए ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर मोबाइल- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 07-05-2017 at 09:28 AM. |
06-05-2017, 11:36 PM | #2 | |
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Re: ग़ज़ल- कुछ किया ही नहीं...
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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07-05-2017, 09:34 AM | #3 |
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Re: ग़ज़ल- कुछ किया ही नहीं...
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08-05-2017, 05:56 PM | #4 |
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Re: ग़ज़ल- कुछ किया ही नहीं...
KhoobSurat rachana ,......... dhanywad akash ji
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07-06-2017, 11:38 AM | #5 |
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Re: ग़ज़ल- कुछ किया ही नहीं...
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