My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > New India > Religious Forum
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 24-07-2017, 03:00 AM   #1
soni pushpa
Diligent Member
 
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 66
soni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond repute
Default बिल्वा पत्र

मेरे सभी पाठकों को मेरे सबसे प्यारे देश भारत के हरेक नागरिकों को तथा दुनिआ के सभी देशों में बसे प्रवासी भारतीय भाई बहनो को सावन की अनेकानेक बधाइयाँ साथ ही इस माह में आने वाले सभी त्योहारों के लिए हार्दिक अभिनन्दन .. मैंने इस लेख का कुछ हिस्सा नेट के माध्यम से पढ़ और कुछ अन्य जगह से जानकारी प्राप्त करके इस लेख को आपकी सेवा में प्रस्तुत किया है यदि कोई त्रुटि हुई हो तो छमाप्रार्थी प्रार्थी हूँ

भगवान शिव तुरंत और तत्काल प्रसन्न होने वाले देवता हैं। इसीलिए उन्हें आशुतोष कहा जाता है। आइए जानते हैं भगवान शिव को प्रिय 11 ऐसी सामग्री जो अर्पित करने से भोलेनाथ हर कामना पूरी करते हैं। यह 11 - सामग्री हैं : जल, बिल्वपत्र, आंकड़ा, धतूरा, भांग, कर्पूर, दूध, चावल, चंदन, भस्म, रुद्राक्ष .....*

श श्रावण मास में सबसे ज्यादा बेलप*त्र यानी बिल्वपत्र का महत्व बढ़ जाता है। क्या आप जानते हैं बेलपत्र के उत्पन्न होने की पवित्र कथा.
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। चुंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ। अत:*इसमें माता पार्वती के सभी... रूप बसते हैं। वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं।
फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है। इस सभी रूपों के अलावा, मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है। बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान. शिव पर चढ़ाया जाता है। भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है अगर वह श्रावण मास में बिल्व के पेड़ के मूलभाग की पूजा करके उसमें जल अर्पित करे तो उसे सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है। ..
*


शिव को बिल्वपत्र अत्यंत प्रिय हैं। सर्वप्रथम बिल्वपत्र के पेड़ से निवेदन करें। बिल्वपत्रों को तोड़कर शिव को अर्पण करने से शिव का सामीप्य प्राप्त होता हैं। अष्टमी, चर्तुदशी, अमावस्या, पूर्णिमा एवं. एवं सोमवार को बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए।
ऋषियों ने तो यह कहा है कि बिल्वपत्र भोले-भंडारी को चढ़ाना एवं 1 करोड़ कन्याओं के कन्यादान का फल एक समान है।
बेल का वृक्ष हमारे यहां संपूर्ण सिद्धियों का आश्रय स्थल है। इस वृक्ष के नीचे स्तोत्र पाठ या जप करने से उसके फल में अनंत गुना की वृद्धि के साथ ही शीघ्र सिद्धि की प्राप्ति होती है। इसके फल की समिधा से...लक्ष्मी का आगमन होता है।
बिल्वपत्र के सेवन से कर्ण सहित अनेक रोगों का शमन होता है। बिल्व पत्र सभी देवी-देवताओं को अर्पित करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। 'न यजैद् बिल्व पत्रैश्च भास्करं दिवाकरं वृन्तहीने बिल्वपत्रे..समर्पयेत' के अनुसार भगवान सूर्यनारायण को भी पूरी डंडी तोड़कर बिल्वपत्र अर्पित कर सकते हैं।
यदि साधक स्वयं बिल्वपत्र तोड़ें तो उसे ऋषि आचारेन्दु के द्वारा बताए इस मंत्र का जप करना चाहिए-

'अमृतोद्भव श्री वृक्ष महादेवत्रिय सदा।
गृहणामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्।।'


बिल्वपत्र कब न तोड़ें :- बिल्वपत्र के वे ही पत्र पूजार्थ उपयोगी हैं जिनके तीन पत्र या उससे अधिक पत्र एकसाथ संलग्न हों। त्रिसंख्या से न्यून पत्ती वाला बिल्वपत्र पूजन योग्य नहीं होता है। प्रभु को अर्पित करने के पूर्व बिल्वपत्र..की डंडी की गांठ तोड़ देना चाहिए।

सारदीपिका के 'स्युबिल्व पत्रमधो मुखम्' के अनुसार बिल्वपत्र को नीचे की ओर मुख करने (पत्र का चिकना भाग नीचे रहे) ही चढ़ाना चाहिए
पत्र की संख्या में विषम संख्या का ही विधान शास्त्रसम्मत है।

बेलपत्र चढ़ाते समय इस मंत्र का उच्चार करते रहें

1.Tridalam trigunakaram trinethrancha triyayudham,
Trijanam papa samharam , eka bilwam shivarpanam
soni pushpa is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 06:42 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.