16-11-2017, 08:44 PM | #1 |
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कवि कुंवर नारायण नहीं रहे
Born: 19 September 1927
Died: 15 November- 2017 हिंदी के वरिष्ठ कवि कुंवर नारायण नहीं रहे. वे 4 जुलाई से कोमा में थे. इसलिए यह नहीं कह सकते कि उनकी मृत्यु शोक का विषय है. सिर्फ़ इस तर्क से नहीं कि उन्होंने एक भरी-पूरी उम्र जी ली थी, बीमार थे और इसलिए उन्हें चले जाना चाहिए था. इसलिए भी कि एक कवि के तौर पर कुंवरनारायण जीवन और मृत्यु का खेल समझते थे. नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर कवि कुंवरनारायण का 90 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया। मूलरूप से फैजाबाद केरहने वाले कुंवर तकरीबन 51 साल से साहित्य में सक्रिय थे। हिंदी के लिए तोवह एक पूरा युग थे। वह अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (1959) केप्रमुख कवियों में रहे हैं। कुंवर नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास औरमिथक के जरिए, वर्तमान को देखने के लिए जाना जाता है। कुंवर नारायण की मूलविधा कविता रही है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहानी, लेख व समीक्षाओं केसाथ-साथ सिनेमा, रंगमंच में भी अहम योगदान दिया। उनकी कविताओं-कहानियों काकई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। 2005 में कुंवर नारायण को साहित्य जगत के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह वर्तमान में दक्षिणी दिल्ली के चितरंजन पार्क इलाके में पत्नी और बेटे के साथ रहते थे। उनकी पहली किताब 'चक्रव्यूह' साल 1956 में आई थी। साल 1995 में उन्हें साहित्य अकादमी और साल 2009 मेंउन्हें पद्म भूषण सम्मान भी मिला था। वह आचार्य कृपलानी, आचार्य नरेंद्रदेव और सत्यजीत रे से काफी प्रभावित रहे। कुंवर नारायण की सबसे बड़ी ताकत यह थी कि वह इतिहास और मिथक के जरिये वर्त्तमान को देखने में दिलचस्पी लिया करते थे। यह उनकी सबसे बड़ी ताकत भी थी और विशेषता भी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 17-11-2017 at 10:42 PM. |
17-11-2017, 10:43 PM | #2 |
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Re: कवि कुंवर नारायण नहीं रहे
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