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Old 25-11-2017, 07:26 PM   #51
rajnish manga
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Default Re: किस्सा तीन बहनों का

किस्सा तीन बहनों का

फिर परीजाद ने कहा, सरकार, मेरे पास एक और अजीब चीज है जिसे आप देखें। यह एक चिड़िया है जो आदमियों की तरह बोलती है। और जब यह गाती है तो सारे पक्षी जमा हो जाते हैं और इसके सुर में सुर मिला कर गाने गाते हैं। बादशाह ने कहा, उस चिड़िया को भी दिखाओ। परीजाद बादशाह को उस बारहदरी के पास लाई जिसमें उस चिड़िया का पिंजड़ा रखा गया था। बादशाह ने देखा कि आसपास के चार-छह पेड़ों पर सैकड़ों और विभिन्न प्रकार के पक्षी एक सुर में गा रहे हैं। उसने पूछा, क्या यह सब पक्षी तुमने पाले हैं? परीजाद बोली, नहीं। यह बारहदरी में रखे पिंजड़े में जो चिड़िया है उसके गाने से खिंच कर आए हैं और उसके साथ-साथ गा रहे हैं। बादशाह बारहदरी में गया तो देखा कि पिंजड़े में बंद एक चिड़िया मस्त हो कर गा रही है।

परीजाद ने कहा, बोलनेवाली चिड़िया, देखती नहीं कि बादशाह सलामत खुद आए हुए हैं? तेरा इधर ध्यान नहीं है। यह सुन कर चिड़िया चुप हो गई और उसके साथ ही आसपास के पेड़ों पर बैठे हुए सारे पक्षी चुप हो गए। चिड़िया ने बादशाह को प्रणाम किया और पूछा कि आपको यहाँ तक आने में किसी प्रकार का कष्ट तो नहीं हुआ। बादशाह को यह देख कर ताज्जुब हुआ कि यह चिड़िया बिल्कुल मनुष्य जैसी आवाज में बोलती है। उसने चिड़िया के अभिवादन का यथोचित उत्तर दिया और कुछ देर उससे बातें कीं। चिड़िया ने हर बात का शिष्टाचारपूर्वक उत्तर दिया। बादशाह उससे ऐसा प्रभावित हुआ कि खाने के समय भी उसका पिंजड़ा पास में रखवा लिया ताकि उससे बातें करता रहे।
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Old 26-11-2017, 03:28 PM   #52
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किस्सा तीन बहनों का

बादशाह खाने पर बैठा तो संयोग से सबसे पहले खीरे के शोरबेवाला कटोरा ही उठाया। जब उसमें देखा कि उसकी सतह पर अनबिंधे मोती बिछे पड़े हैं, उसने खाने पर बढ़ा हुआ हाथ खींच लिया और नाराजगी से बोला, यह क्या मजाक है? यह क्या पेश किया गया है? तीनों भाई-बहन चुप रहे किंतु चिड़िया ने तपाक से कहा, सरकार, ईश्वर की माया अपरंपार है। मलिका के पेट से कुत्ते-बिल्ली निकल सकते हैं तो बादशाह के पेट में मोतियों के ढेर भी जा सकते हैं।

बादशाह पहले तो आँखें तरेर कर चिड़िया को देखने लगा। फिर उसे बीती बातें याद आईं तो उसने सिर नीचा कर लिया। कुछ देर मौन रहने के बाद बोला, चिड़िया, तेरी बात ठीक है। मैं भी सोचता हूँ जिन बातों पर मैंने विश्वास किया वे बुद्धि से कोसों दूर हैं। फिर भी मैंने उन पर इसलिए विश्वास किया कि स्वयं मलिका की बहनों ने यह कहा था और मैंने सोचा कि वे झूठ न कहेंगी क्योंकि वे उसकी सगी बहनें थीं, उसकी हितचिंतक थीं।
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Old 26-11-2017, 03:30 PM   #53
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किस्सा तीन बहनों का

चिड़िया ने कहा, सरकार से यही तो भूल हुई कि आप ने उन्हें हितचिंतक समझा। जब से उन्होंने देखा कि वे नौकरों से ब्याही गईं और छोटी बहन राजरानी बन गई तो वे जल मरीं। उन दुष्टों ने इस बात का भी ख्याल न किया कि मलिका ने शादी के बाद भी उनसे बहनों जैसा प्रेम रखा था। मलिका को मृत्यु-दंड दिलाने के लिए ही उन्होंने तीन- तीन बार सफेद झूठ बोला। वह तो भला हो उस नेक मंत्री का जिसके कारण मलिका की जान बच गई।

मलिका के प्रति अपने दुर्व्यवहार को याद करके बादशाह की आँखों में आँसू आने लगे। चिड़िया फिर बोली, सरकार, अपने सामने बैठे इन तीन बच्चों को देखिए। यह वह पिल्ला, बिलौटा और छछूंदर हैं जिन्हें आपकी मलिका ने जन्म दिया था। मलिका की दुष्ट बहनों ने इनके जन्म पर इनकी जगह मरे जानवर रख दिए और इन्हें कंबल में लपेट कर टोकरियों में डाल-डाल कर बहा दिया था ताकि दूर जा कर डूब जाएँ और किसी को पता न चले। किंतु भगवान को इन्हें जीवित रखना था। आपके दिवंगत बागों के दारोगा ने इन तीनों को ही नहर से निकलवा लिया। उसके कोई संतान नहीं थी इसलिए उसने इनका लालन-पालन अपनी संतान की तरह किया और इन्हें भली प्रकार शिक्षा दिलाई और इनके लिए यह महल बनवाया। सरकार, यह तीनों और कोई नहीं हैं, आप ही की संतानें हैं।
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Old 26-11-2017, 03:32 PM   #54
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किस्सा तीन बहनों का

बादशाह ने कहा, चिड़िया, तुझे मैं किस तरह धन्यवाद दूँ कि दुष्टों की दुष्टता और मलिका की दोषहीनता मेरे सामने स्पष्ट की और मेरे बच्चों को पहचनवाया। मैं भी बराबर सोचता था कि इन लड़कों के प्रति मन में अकारण ममता क्यों उपजती है और इनकी बातों पर नाराज क्यों नहीं हो पाता।

चिड़िया ने जो सूचना दी थी वह बादशाह ही के लिए नहीं, बहमन, परवेज और परीजाद के लिए भी नई थी। वे तीनों अपनी जगह से उठे और बादशाह के पैरों पर गिर पड़े। बादशाह ने सभी को उठा कर सीने से लगाया। चारों की आँखों से आँसुओं की धारा बह निकली। कुछ देर बाद जब सहज स्थिति में आए तो सबने मिल कर रुचिपूर्वक भोजन किया। कुछ देर तक बातें करने के बाद बादशाह ने उनसे कहा, अब मैं महल को जाता हूँ। कल फिर आऊँगा। कल तुम लोग मेरे ही नहीं, अपनी माता के स्वागत के लिए भी तैयार रहना और इसके बाद महल में रहने के लिए भी।

महल में पहुँच कर बादशाह ने मंत्री को बुलाया। उसने उसकी सुमति की प्रशंसा की जिसके कारण मलिका की जान बची थी। फिर उसने मलिका की बहनों की दुष्टता का वर्णन किया जिन्होंने अपनी शिष्ट और सदाचारी सगी बहन के विरुद्ध ऐसा घृणित षड्यंत्र रचा था और दो राजपुत्रों और एक राजपुत्री की लगभग जान ही ले ली थी। उसने आदेश दिया कि उन दोनों को अभी वधस्थल में ले जाओ और उनके सिर उड़वा दो। वे किसी प्रकार दया की पात्र नहीं। मंत्री ने अविलंब शाही हुक्म पर कार्य किया और दोनों दुष्टों को वह दंड मिल गया जिसकी भागी वे बहुत दिनों से थीं।
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किस्सा तीन बहनों का

फिर बादशाह जामा मसजिद के सामने उस कैदखाने में गया जहाँ उसने मलिका को सतत अप्रतिष्ठा का दंड दे कर रखा था। उसकी दुर्बलता और फटे-पुराने वस्त्र देख कर बादशाह से बर्दाश्त न हुआ और वह उसे गले लगा कर फूट-फूट कर रोने लगा। उसने मलिका को बताया कि मैंने तुम्हें जो दंड दिया उसका कारण तुम्हारी वे बहनें ही थीं जिन्हें तुमने और मैंने तुम्हारा हितचिंतक समझा था। उसने बताया कि दोनों मरवा दी गई हैं। उसने यह भी कहा कि यह सब मुझे एक अलौकिक बोलनेवाली चिड़िया से मालूम हुआ।

मलिका यह सुन कर खुशी के मारे रोने लगी। बादशाह उसे महल में लाया। उसने हम्माम किया और शाही पोशाक पहनी। रात भर महल में हँसी-खुशी होती रही। सुबह बादशाह ने मलिका को बताया कि भगवान की दया से तुम्हारे दोनों बेटे और बेटी जिंदा हैं और बड़े आराम से हैं, तुम चल कर उनसे मिलो। यह खबर सारे राज्य में फैल गई और सभी लोग उत्सव-सा मनाने लगे।

हर जगह नाच-रंग होने लगे। मलिका बादशाह के साथ इन लोगों के महल में गई। तीनों बच्चे अपनी माँ से देर तक चिपटे रहे। फिर सब ने मिल कर भोजन किया। इसके बाद बादशाह और तीनों संतानों ने मलिका को गानेवाला पेड़, सुनहरे जल का स्वयंचालित फव्वारा और मनुष्यों की भाँति बोलनेवाली चिड़िया दिखाई। मलिका को मालूम हो रहा था कि वह स्वप्न देख रही है।
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किस्सा तीन बहनों का

उन लोगों के निवास स्थान से शाही महल तक आनेवाली सवारी को देखने के लिए सड़कों पर जबर्दस्त भीड़ हो गई। बादशाह ने सार्वजनिक समारोह का आदेश दिया और कई दिनों तक खेल-तमाशे होते रहे। बादशाह ने इतना दान दिया कि शहर में कोई व्यक्ति निर्धन नहीं रहा। बादशाह ने इसी अवसर पर बहमन को युवराज घोषित करके क्रियात्मक रूप से उसके हाथ में सारा राज्य-प्रबंध दे दिया। परवेज को उसने सेना का अधिपति बना दिया। परीजाद को अपने एक मित्र बड़े बादशाह के एकमात्र पुत्र से ब्याह दिया।

शहरजाद ने यह कहानी खत्म की तो दुनियाजाद ने कहा, बड़ी सुंदर कहानी सुनाई। अब कौन-सी कहानी सुनाओगी? शहरजाद ठंडी साँस भर कर बोली, कोई नहीं। मुझे जो भी कहानियाँ आती थीं सब खत्म हो गईं और आज जल्लाद के हाथों मेरी कहानी भी खत्म हो जाएगी।

शहरयार ने मुस्कुरा कर कहा, नहीं बेगम, तुम्हारी कही हुई कहानियाँ अमर रहेंगी और तुम्हारी उम्र लंबी होगी। तुमने कहानियाँ सुना कर मेरा ज्ञानवर्धन भी किया है और मन का मैल भी धो दिया है। मैं आज घोषणा करूँगा कि आज से मैं अपना शादी करके पत्नी को मरवाने का नियम समाप्त कर रहा हूँ।

शहरजाद उसके पैरों पर गिर पड़ी। दुनियाजाद के आँसू बहने लगे।
(समाप्त)
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