01-12-2017, 05:56 PM | #1 |
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ग़ज़ल- न जाने क्यूँ भला मशहूर होकर भूल जाता है
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ मेरा साया है लेकिन दूर होकर भूल जाता है कि वह सत्ता के मद में चूर होकर भूल जाता है ◆◆◆ सियासतदां को जनता ही उठाती है गिराती भी मगर किस बात पर मगरूर होकर भूल जाता है ◆◆◆ रिवायत है जमाने की यहां हर शख्स यारों को न जाने क्यूँ भला मशहूर होकर भूल जाता है ◆◆◆ कमी थी जब तलक हमसे वो अक्सर मेल रखता था कि अपनो को भी जो भरपूर होकर भूल जाता है ◆◆◆ उसी के ही लिए 'आकाश' आँखें भीग जातीं क्यूँ हमें आदत से जो मजबूर होकर भूल जाता है ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी Last edited by आकाश महेशपुरी; 04-12-2017 at 11:44 AM. |
02-12-2017, 09:25 PM | #2 |
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Re: ग़ज़ल- न जाने क्यूँ भला मशहूर होकर भूल जाता हí
कमाल की ग़ज़ल प्रस्तुत की है आपने, आकाश जी. बहुत बहुत धन्यवाद.
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10-12-2017, 04:49 AM | #3 |
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Re: ग़ज़ल- न जाने क्यूँ भला मशहूर होकर भूल जाता हÃ*
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30-03-2018, 02:10 PM | #4 | |
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Re: ग़ज़ल- न जाने क्यूँ भला मशहूर होकर भूल जाता हí
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10-04-2018, 08:03 PM | #5 |
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Re: ग़ज़ल- न जाने क्यूँ भला मशहूर होकर भूल जाता हÃ*
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