03-02-2016, 12:53 PM | #21 | |
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Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
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25-11-2017, 09:25 PM | #22 |
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Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
नमक हराम की हवेली (चांदनी चौक, दिल्ली)
Namak Haram Ki Havel was possessed by Bhawani Shankar, one of the most reliable partners of Jaswant Rao an excellent Maratha enthusiast. Bhawani Shankar later abandoned him and went over to the British side. Thus he was known as a traitor and hence, the unusual name for his haveli.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
26-11-2017, 08:42 AM | #23 |
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Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
नमक हराम की हवेली (चांदनी चौक, दिल्ली)
चांदनी चौक उस सूखे नारियल के समान है जिसे जितना छिलो कुछ नया ही मिलता जाएगा !! घुमक्कड़ी के क्रम में कई फतेहपुरी मस्जिद के पास कई दुकानदारों से पूछने के बाद जब इस हवेली का पता न लगा तो मन निराश होने लगा तभी फतेहपुरी मस्जिद के पास एक सज्जन ने “नमक हराम की हवेली” का सही पता ठिकाना दिया !
आप हवेली का नाम पढ़कर अवश्य चौंक गए होंगे न !! जाहिर सी बात है, हवेलियों के नाम उसके मालिक के नाम पर या कोई सुकून बख्स भाव लिए ही होता है ! फतेहपुरी मस्जिद से दायें मुख्य सड़क से पहले कट से जा रही जिस गली से हमें दायें होना था व इतनी संकरी थी कि दिखी ही नहीं ! खैर, वापस आकर उस गली से अन्दर गए कुछ दूर आगे बढे. अब हम 154 - कूचा घासी राम, “ नमक हराम की हवेली “ के स्थानीय दुकानों से निकलने वाले धुंए के कारण काले पड़ चुके प्रवेश द्वार पर थे. हवेली के मुख्य द्वार के साथ लगे कमरे में मिठाई तैयार की जा रही थी तो तस्वीर में मेरे साथ खड़े सज्जन दौड़कर, स्नेह व आदरपूर्वक एक दोने में कई तरह की मिठाई ले आये. हवेली के परिवर्तित रूप में हवेली के पुराने निर्माण को इंगित करने में में वहां उपस्थित लोगों ने हमारा पूर्ण सहयोग किया. हवेली के प्रथम तल पर कई किरायेदार हैं और किराया !! वही सत्तर के दशक के आसपास तय.... मात्र 5-10 रूपया ! अब मूल विषय पर आता हूँ. साथियों, मुग़ल काल के अंतिम दौर में मुग़ल स्थापत्य से बनी ये हवेली भवानी शंकर खत्री की थी, भवानी शंकर खत्री और मराठा योद्धा जसवंत राव बहुत अच्छे दोस्त थे और दोनों इंदौर के मराठा महाराजा यशवंत राव होल्कर के यहाँ सेवाएं देते थे, 1776 में जन्मे महाराजा होल्कर की वीरता पर इतिहासकार एन.एस ईमानदार ने उन्हें भारत का नेपोलियन भी कहा है. महाराजा होल्कर ने अंग्रेजों को कई युद्धों में हराया था और एक बार तो 300 अंग्रेज सिपाहियों की नाक काट दी थी. उनकी वीरता व प्रचंडता से भयभीत अंग्रेज उनको परास्त करने के लिए दूसरे राजाओं को अपने पक्ष में कर योजनायें बनांते रहते थे. 11 सितम्बर 1803 को मराठों ने सिंधिया के नेतृत्व में दिल्ली पटपडगंज इलाके में अंग्रेजों और मराठों का द्वितीय युद्ध हुआ. भवानी शंकर ने मराठों से गद्दारी की और अंग्रेजों का साथ दिया, इतिहास में पटपडगंज युद्ध से प्रसिद्ध इस युद्ध में मराठा परास्त हुए और पुरस्कार के तौर पर भवानी शंकर को दिल्ली में जागीर और ये हवेली दी गयी. जब 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दिल्ली के नागरिक अंग्रेजों के खिलाफ, बादशाह जफ़र के प्रति अपनी वफादारी जतला रहे थे तब स्थानीय लोगों ने इस हवेली का नाम “ नमक हराम की हवेली “ रख दिया जब भी भवानी शंकर गलियों से गुजरता लोग उसे नमक हराम होने का ताना देते .. तंग आकर कारण भवानी शंकर ने ये हवेली बेच दी थी. ऐतिहासिक स्थान हमें कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य देता है. इस हवेली और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेजों से आसानी से इस निर्णय पर पहुंचा जा सकता है कि विदेशी आक्रमणकारी अपनी सैन्य शक्ति की अपेक्षा देश में रहने वाले गद्दारों के बल पर भारत को लूटने व यहाँ अपनी बादशाहत कायम रहे.. मैं इतिहासकार नहीं.. सम्बंधित स्थान पर रहने वाले लोगों और अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी को साझा करता हूँ.. उद्देश्य सिर्फ ये होता है कि हम अपने अतीत को जानें - समझें - सीख लें .. (श्री विजय दियारा के ब्लॉग से साभार)
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04-12-2017, 12:51 PM | #24 |
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Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
Kutta (Karnataka) कुत्ता (कर्नाटका)
Kutta is a small border town in the Kodagu (Coorg) district of Karnataka. Kutta is a destination that is a mix of forests and plantations in Coorg. A border town between Karnataka and Kerala, Kutta is part of Coorg, nestled deep inside the Western Ghats at the southern end of the coffee country. Yet for the usual visitors to Coorg in monsoons, it rarely fits into their tourist itinerary, leaving it a virtually unexplored territory. A decade ago, we were driving from Mysore and had decided to take the longer route through the Nagarhole forest to reach Madikeri. Kutta greeted us on the way and we fell so much in love with the pretty nondescript town that we decided not to head any further.
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04-12-2017, 12:59 PM | #25 |
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Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
Kutta (Karnataka) कुत्ता (कर्नाटका)
कुत्ता गाँव के नज़दीक राजीव गाँधी (नागराहोल, कर्नाटका) नेशनल पार्क जाने के रास्ते पर लगा बोर्ड
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04-12-2017, 01:05 PM | #26 |
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Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
Kutta (Karnataka)
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04-12-2017, 01:22 PM | #27 |
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Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
चुटिया (रांची, झारखंड)
CHUTIA (Ranchi, Jharkhand)
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04-12-2017, 01:43 PM | #28 |
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Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
काला बकरा (भोगपुर, जालंधर)
Kala Bakra (Bhogpur, Jalandhar) Kala Bakra Railway Station is Located in Punjab, Jalandhar, Bhogpur. It belongs to Northern Railway, Firozpur Cant . Neighbourhood Stations are Alawalpur,Dhogri, Near By major Railway Station is Jalandhar City and Airport is Ludhiana Airport .
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