My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 12-03-2018, 11:20 AM   #1
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default मिथक कथा: गिलगमेश

मिथक कथा: गिलगमेश
(प्राचीन सुमेरिया से)



यह एक अत्यंत प्राचीन कथा है। यह मानव इतिहास के महान गाथाओं में से एक है। गिलगमेश कम से कम 2700 ई पूर्व की गाथा है। इसका मतलब यह कम से कम 5000 वर्ष पुरानी है। यह आज हमारे पास कुछ लिखित अवशेषों के रूप में आज भी जिंदा है। ये अवशेष हमें असीरिया के राजा अशुरबानीपाल की तहस-नहस लाइब्रेरी से मिली हैं। जब राजा अशुरबानीपाल ने इसे पढ़ा तो ये गाथा कम से कम 2000 वर्ष पुरानी हो गयी थी; और जब की यह घटना थी और जिन लोगों ने इसे लिखा था --- यानि प्राचीन सुमेरवासी, उनकी सभ्यता पूरी तरह से ध्वंस हो चुकी थी।

यह गाथा हमें पुरुषों के उस प्राकृतिक मर्दानगी की याद दिलाती है जो पुरुष लगभग पूरी तरह से खो चुके हैं।
गिलगमेश और एनकीडू दो प्राचीन सुमेरु के योद्धाओं की गाथा है जो मिलते हैं, युद्ध करते हैं और फिर कभी ना जुदा होने वाले प्रेमी बन जाते हैं।
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)

Last edited by rajnish manga; 12-03-2018 at 11:37 AM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 12-03-2018, 11:22 AM   #2
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मिथक कथा: गिलगमेश

गिलगमेश दो-तिहाई देवता है और बाकी मानव। वो एक महान योद्धा है जो एक महान शहर उरुक का राजा है। पर उसकी सेक्स की भूख बहुत ही तीव्र है और वह युवाओं और युवतियों दोनों से जबरन सेक्स करता है। उस जमाने में हालांकि शादी का चलन शुरू हो गया था, पर पुरुष और पुरुष के बीच में प्रेम-प्रसंग और सेक्स आम बात होती थी। क्योंकि उसके शहर का कोई इंसान उससे सेक्स करने से मना नहीं कर सकता था इसीलिये उस शहर के लोग उससे परेशान थे। उन्होंने ईश्वर से प्राथना कर के उसके सेक्स की भूख को नियंत्रित करने के लिये कहा।

देवताओं ने इस प्राथना के जवाब में गिलगमेश के लिये एक युवक प्रेमी का सृजन किया --- एक दूसरा योद्धा जिसका नाम एनकीडू था। देवताओं ने अपने थूक और उपजाउ मिट्टी को मिला कर एक ऐसा युवक पैदा किया जिसमें वो शिक्त् थी कि सेक्स की धुन में पागल गिलगमेश को अपने प्यार में बांध कर रख पाये। प्राचीनकाल के लोग जानते थे कि केवल मर्द ही दूसरे मर्द के सच्चे प्रेमी और साथी बन सकते हैं, क्योंकि यही नरों का मूल स्वभाव है। और यह इस गाथा से भलीभांति उजागर होता है।

एनकीडू को सीधे गिलगमेश को सौंपने के बजाय देवता उसे घने जंगलों में छोड देते हैं जहां वह जानवरों की तरह रहता है और जानवरों का रक्षक बन जाता है। एक टारज़न की तरह जो कि अपने आप को पूरी तरह से प्रकृति का भाग ही समझता है।

यह बात भी शहर के लोगों को गंवारा नहीं हुई क्योंकि एनकीडू उन्हें ना तो शिकार करने देता था और ना हीं जानवर पकडने देता था। इसीलिये शहर के लोगों ने एनकीडू को रिझाने के लिये मंदिर की वेश्या को भेजा (पहले जमाने में वहां के मंदिरों में वेश्यावृति होती थी जिनमें स्त्रियों से ज़्यादा हिजडे होते थे, बल्कि शायद पुरुष भी होते थे)।
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 12-03-2018, 11:25 AM   #3
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मिथक कथा: गिलगमेश

उस वेश्या ने यही किया भी। उसने उसके साथ रात बिताई और यह देखकर सभी जानवर एनकीडू से डरने लगे। उसने एनकीडू को गिलगमेश की शूरवीरता के बारे में भी बताया जिसे सुन कर एनकीडू गुस्से से भडक उठा, क्योंकि वो समझता था कि वही इस दुनिया का सबसे ताकतवर प्राणी है।

आने वाले दिनों में जैसे-जैसे एनकीडू गिलगमेश के बारे में सोचता जाता है उसका गुस्सा और बढ़ता रहता है। पर वह तब तक चुप रहता है जब तक कि उसे यह खबर नहीं मिलती कि गिलगमेंश शादी करने जा रहा है। इस खबर से एनकीडू सचमुच भडक जाता हैं और वह जंगल छोड कर उरुक के लिये निकल पडता है।

वहां पहुँच कर वह जबरदस्ती महल में दाखिल हो जाता है और दुल्हन के कमरे को छेककर खडा हो जाता है और उस बलशाली राजा को युद्ध के लिये ललकारता है।

गिलगमेश यह सब देख कर बहुत ही क्रोधित होता है और दोनों के बीच इतना घमासान दंगल होता है जो कि पूरे शहर में हाहाकार मच जाता है। वे लडते-लडते दीवारों को गिरा देते हैं, भवनों को तबाह कर देते हैं ---- ठीक वैसे ही जैसे फिल्मों के दो सुपर हीरो लडते वक्त करते हैं।

पर इसके बाद वो होता है जिसका -- खासकर आज की दुनिया में हम अनुमान भी नहीं लगा सकते। क्योंकि गिलगमेंश आखिरकार एनकीडू को हरा देता है, उसे जमीन पर चित्त कर देता है, पर उसे बंदी बनाने या अपमान करने या मारने की बजाय वह एक सच्चे योद्धा की तरह उसे उठने के लिये कहता है और फिर दोनों गले मिलते हैं, एक दूसरे को चूमते हैं (उस काल में पुरुष आपस में चुंबन लेकर एक दूसरे से मिलते थे) और हाथ में हाथ रख कर दोनों चल देते हैं।

और दोनों गहरे साथी और प्रेमी बन जाते हैं जो जो इस के बाद हमेशा साथ रहते हैं। एक पल के लिये भी एक दूसरे से जुदा नहीं होते। देवता इस प्रेमी युगल को अपनी मंजूरी देते हैं और शहर वासी और गिलगमेंश के परिवार वाले भी। क्योंकि उस जमाने में दो पुरुषों के बीच प्रेम को शादी की तरह स्वीकारा जाता था और यह काफी आम होता था।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 12-03-2018, 11:28 AM   #4
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मिथक कथा: गिलगमेश

यों गिलगमेंश और एनकीडू को एक दूसरे में अपना आदर्श प्रेम मिल जाता है और गिलगमेश अपनी दीवानगी को त्याग कर सिर्फ़ एनकीडू का हो जाता है। दोनों शूरवीर मिलकर एक ऐसी ताकत बन जाते हैं जिसका इस दुनिया में कोई दूसरी मिसाल नहीं है। और इस ताकत के बूते पर फिर वे एक के बाद एक नये-नये साहसिक कारनामें करते हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं वावा नाम के राक्षस का वध करना, सीडार के जंगलों के यक्ष का वध व स्वर्ग के सांड का वध।

इश्टर नाम की देवी का दिल गिलगमेश पर आ जाता है और वह उससे मिलन की ईच्छा जाहिर करती है। पर अब गिलगमेश बदल गया है और वह सिर्फ़ एनकीडू का है। वह ईश्टर को मना कर देता है। इससे ईश्टर अपमानित महसूस करती है और बदले की आग में वह उरुक के शहर को तबाह करने के लिये स्वर्ग के सांड को भेजती है। यह सांड बहुत ही ताकतवर है पर एनकीडू और गिलगमेश मिलकर उस स्वर्ग के सांड का वध कर देते हैं।

इन सभी शूरवीरता के प्रसंगों से हमें दूसरा सबक मिलता है वह यह कि जब दो पुरुष एक घनिष्ठ बंधन में बंध कर एक हो जाते हैं तो उनकी ताकत अतुल्य हो जाती है और वे किसी भी मुसीबत का सामना कर सकते हैं।
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 12-03-2018, 11:30 AM   #5
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मिथक कथा: गिलगमेश

पर आखिरकार उन दोनों की ताकत इतनी बढ जाती है कि देवताओं को भी चिंता होने लगती है, खासतौर पर ईश्टर दोनों से बदला लेने को तत्पर है क्योंकि गिलगमेंश ने उसका प्यार ठुकराया था। इश्टर अनुमान लगाती है कि गिलगमेंश को सबसे ज़्यादा चोट वह कैसे पहुंचा सकती है और इसका उत्तर था -- एनकीडू को मारकर।

और इसलिये देवता मिलकर एनकीडू पर एक ऐसी भयंकर बीमारी छोड देते हैं जिससे वह धीरे-धीरे कर के क्षीण होकर मरने लगता है। और तब गिलगमेंश जैसा भयंकर योद्धा चौबीसों घंटे उसकी तीमारदारी करता है। उसकी हर तरह से देख-रेख करता है। वह अपने दोस्त की जान बचाने के लिये बेतहाश हो जाता है। अक्सर एनकीडू यह मान ही नहीं पाता कि उसका दोस्त उसे छोडकर हमेशा-हमेशा के लिये जा रहा है और वो इस भयंकर बीमारी को नकारने लगता है, जैसे वह है ही नहीं। वह खुद को और एनकीडू को झूठी तसल्ली देता रहता है और उसे खुश रखने की कोशिश करता है। पर जिसे जाना है वो तो जाता ही है।

और यों देवताओं ने मिलकर उससे वह साथी छीन लिया जो उन्होंने कभी खुद ही उसके लिये ही रचा था। और गिलगमेश एकदम अकेला रह जाता है।

गिलगमेश असहनीय पीडा और दर्द से गुजरता है जो उसके जैसे शूरवीर को भी अंदर से तोड देती है। फिर वह अपने साथी की याद में एक इमारत बनवाता है (शाहजहां के अपनी बेगम के लिये ताजमहल बनाने से सदियों पहले प्राचीनकाल में पुरुष अपने पुरुष प्रेमियों के लिये ही इमारत बनवाते थे -- क्योंकि प्रेम केवल पुरुषों के बीच ही होता था)।

अब गिलगमेश को अपना पुराना जीवन अर्थहीन लगने लगता है। वह जीने के लिये नये उद्देश्य ढूंढ़ता है। वह अपने राज़्य का त्याग कर देता है और फिर अमरत्व की निष्फल खोज में निकल पडता है।

इस आखिरी प्रसंग से शायद हम यह सीखते हैं कि जब हमारा सबसे घनिष्ठ व्यक्ति हमसे बिछड़ जाये तो हमें अपने जीवन में नये मायने तलाशने होते हैं।
....
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 12-03-2018, 11:38 AM   #6
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मिथक कथा: गिलगमेश

__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
गिलगमेश, मिथक कथा, gilgamesh, mithak katha


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 01:30 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.