07-04-2018, 09:43 AM | #1 |
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हिंदी नाटक (Hindi Natak)
(साभार: बीबीसी) पिछले डेढ़ सौ वर्षो में हिंदी नाटकों ने उल्लेखनीय प्रगति की है. यहाँ हम उन नाटकों की चर्चा करेंगे जो इस दौरान बार बार खेले गए और सराहे गए.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 07-04-2018 at 10:17 AM. |
07-04-2018, 10:01 AM | #2 |
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Re: हिंदी नाटक (Hindi Natak)
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1. अंधेर नगरी: भारतेंदु हरिश्चंद्र --------------------------------------- सन् 1881 में मात्र एक रात में लिखा गया यह नाटक आज भी उतना ही सामयिक और समकालीन है. बाल रंगमंच हो अथवा वयस्क रंगमंच – यह नाटक सभी तरह के दर्शकों में लोकप्रिय है. एक भ्रष्ट व्यवस्था और उसमें फंसाया जाता एक निरीह – क्या आज भी इस स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? ये नाटक हिंदी रंगमंच में सबसे ज़्यादा मंचित नाटकों में से एक है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
07-04-2018, 10:05 AM | #3 |
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Re: हिंदी नाटक (Hindi Natak)
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2. ध्रुवस्वामिनी – जयशंकर प्रसाद ------------------------------------------- भले ही जयशंकर प्रसाद के नाटकों को मंच के अनुकूल न माना गया हो लेकिन ‘ध्रुवस्वामिनी’ हमेशा से रंगकर्मियों के बीच चर्चा का विषय रहा है. मात्र नाट्य मंडलियों के साथ ही नहीं, स्कूलों कॉलेजों के छात्र-छात्राओं के बीच भी इस नाटक का ख़ूब मंचन हुआ है. इस नाटक की सबसे बड़ी बात है उसका कथ्य – यदि पति नपुंसक है तो उसे नकारने की पहल स्त्री की तरफ़ से होती है और इसमें धर्म और शास्त्र भी उसका समर्थन करते हैं.
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07-04-2018, 10:08 AM | #4 |
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Re: हिंदी नाटक (Hindi Natak)
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3. अंधा युग – धर्मवीर भारती -------------------------------------- महाभारत की कथा के बहाने से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के विनाश, अनास्था और टूटते मूल्यों की महागाथा. यहां तक कि ईश्वर की मृत्यु की घोषणा. एक काव्य नाटक होने के बावजूद ‘अंधा युग’ रंगमंच पर सबसे ज़्यादा प्रस्तुत होनेवाली कृति है.
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07-04-2018, 10:11 AM | #5 |
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Re: हिंदी नाटक (Hindi Natak)
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4. आषाढ़ का एक दिन – मोहन राकेश ------------------------------------------------ कलाकार अथवा रचनाकार के सामने सृजन या सत्ता में से किसी एक को चुनने का प्रश्न और फिर उसकी परिणति – यह एक ऐसा कथ्य था जिसने सभी रंगकर्मियों को झकझोर कर रख दिया. शायद ही कोई निर्देशक या कोई रंगमंडली होगी जिसने इस नाटक को न खेला हो. यथार्थवाद का भारतीय स्वरूप क्या होना चाहिए, ‘आषाढ़ का एक दिन’ उसका सबसे अच्छा उदाहरण है.
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07-04-2018, 10:13 AM | #6 |
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Re: हिंदी नाटक (Hindi Natak)
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5. बकरी – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ------------------------- सातवें दशक में रंगमंच में लोकतत्वों को लेकर लिखे गए नाटकों में से सबसे सफल और चर्चित नाटक रहा ‘बकरी’. इस नाटक में नौटंकी लोक नाट्य शैली के गीत-संगीत के माध्यम से एक आधुनिक कथ्य की प्रस्तुति की गई है कि नेता लोग किस तरह जनता को अपनी स्वार्थपूर्ति का साधन बनाते हैं.सर्वेश्वर जी का ये नाटक रंगकर्मियों और दर्शकों में समान रूप से लोकप्रिय है.
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