My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 15-07-2018, 09:18 PM   #1
harunshk
Junior Member
 
Join Date: Nov 2017
Location: Delhi
Posts: 4
Rep Power: 0
harunshk is on a distinguished road
Default असफल व्यक्ति का प्रेम

असफल व्यक्ति का प्रेम और असफल व्यक्ति का सही अर्थ। :- प्रेम की बात करे इससे पहले हम असफ़ल व्यक्ति को जान ले | कौन होता हे असफ़ल व्यक्ति ? समाज में इसको कुछ नाम दिए हे जेसे :- निकम्मा, निठल्ला, नाकारा, आवारा, पर वास्तव में इन शब्दों से असफ़ल व्यक्ति का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं हे। असफल व्यक्ति वो होता हे जिसने प्रयास किये हो पर असफ़ल रहा हो। क्षेत्रवाद, वर्गवाद ज्ञान, राजनीती और मोलिक सिद्धान्तो के कारण या जिसके काम को स्वीकारा नहीं जाता हो, जिसके काम को पहचान न मिली हो, या जिसकी आय, व्यय से कम हो | मतलब आर्थिक तोर पर पूर्ण सफल न हो ऐसा व्यक्ति असफ़ल कहलाता हे।

अब बात आती हे ऐसे व्यक्ति के प्रेम की या, विवाह की, और उसकी पसंद-नपसंद की | ऐसा व्यक्ति जब भी प्रेम करता हे या विवाह प्रस्ताव रखता हे तो उसकी पसंद-ना-पसंद कोई मायने नहीं रखती समाज या दुसरे पक्ष के सामने और यदि शारीरिक सुन्दरता नहीं हो तो “ सोने पे सुहागा ” “ जलती आग में घी डालना ” जेसा यही से खेल शुरू होता हे समझोते का कुछ लोग इसको स्वीकार कर जीवन भर इस बोझ को ढोते और सामान्य कहलाते हे |

और कुछ इसका विरोध कर इसको ताकत बनाकर जीवन को दुसरे विषय में लगा कर महानायक बन जाते हे | और कुछ क्रोध प्रतिशोध में खलनायक बन जाते हे | तीनो ही सूरतो में न प्रेम सफल हुआ न तुलना, जिस उद्देश्य के लिये दो लोग मिले थे न वो पूरा हुआ | संबंध कोई भी हो तुलना और बारबरी जरुरी हे | दोनों पक्षों की पसंद नपसंद भी जरुरी हे | धन और सामाजिक स्तर भी जरुरी हे | पर तुलना केवल बिना जाने समझे धन और किताबी ज्ञान के आधार पर हो | अपनी कमी और आवश्कताओं को जाने बगेर हो ये उचित नहीं हे |

क्योकि हमें इस बात को समझ न होगा की वक्त कभी भी किसी का बदल सकता हे | और तन, मन, आयु की एक सीमा हे | धनी हो या निर्धन प्रेम, साथ, वफ़ादारी की दोनों को ही आवश्कता हे | और यदि ये हमें स्वीकार नहीं हे तो हम अकेले ही रहे | या फिर अपने जीवन की भूमिका पहले से ही तय कर ले की हमें दोलत चाहिए या सुन्दरता या भोतिक सुख, फिर हमें प्रेम समर्पण वफ़ादारी को भूल जाना चाहिए | किसी को सब मिल जाये वो उसका नसीब हे | और सात जन्मों का साथ, मन से मन का मिलन, इन बातो को विचारो को किताबो से हटा देना चाहिए |

क्योकि यदि जीवन क्रय विक्रय बन जाये तो फिर भावनाओ का क्या काम | व्यापार में माल की गुणवता और माग ही उसकी कीमत तय करती हे | और व्यवहारिक जीवन में सफल व्यक्ति की तुलना में असफल व्यक्ति का प्रेम देखे तो वो ज्यादा सार्थक और सटीक हे सच्चा हे | कियोकी उसके पास केवल उसका प्रेम ही हे प्रेम करने को और वही उसके जीवन का आधार भी हे कियोकी उसके संघर्षो में वही उसकी प्रेरणा भी था और उपलब्धि भी | और इसके विपरीत सफल व्यक्ति के पास प्रेम और गर्व करने को उसका नाम, ज्ञान, ताकत, दोलत, शोहरत, सबकुछ हे | और प्रेम केवल जीवन की एक उपलब्धि या आवश्कता हे |

निष्कर्ष :- अपवाद हो सकते हे एवं लेख में व्यक्ति शब्द पुरुष प्रधान हे पर इसमे लिखी बाते लड़का हो या लड़की स्त्री या पुरुष दोनों पक्षों को समान रखते हुए लिखी गई हे |

Last edited by rajnish manga; 16-07-2018 at 08:46 AM.
harunshk is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
हिंदी कॉमिक्स


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 07:07 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.