05-11-2016, 01:27 AM | #1161 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
बड़ी आरज़ू थी मुलाकात की। (डा. बशीर बद्र) |
05-11-2016, 01:27 AM | #1162 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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05-11-2016, 06:48 PM | #1163 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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कबीरा खड़ा बजार में, लिये लुकाठी हाथ जो सर दे वे आपना, चले हमारे साथ
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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17-07-2017, 07:34 AM | #1164 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
हम अपनी कब्र-ए-मुक़र्रर में जा के लेट गये - मुनव्वर राणा
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03-12-2018, 08:48 AM | #1165 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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ये मिट्टी का बदन भी तो यहीं पर छोड़ जाना है (स्वरचित)
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05-12-2018, 11:23 AM | #1166 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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ऐसे हम तुझमें हुए गुम, कि ज़माने से गए (अज्ञात)
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