27-05-2020, 04:02 PM | #1 |
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ग़ज़ल- पैरों में छाले हैं
■■■■■■■■■■■■ सत्ताधीशों के हाँथों में प्याले हैं लेकिन लोगों के पैरों में छाले हैं चलते-चलते चाहे कोई मर जाये उनका क्या वे उड़नखटोले वाले हैं वे नेता हैं जितना चाहें बोलेंगे जनता के मुँह पर तो सौ सौ ताले हैं मज़दूरों का हाल नहीं देखा जाता जो गोरे थे हो कर आये काले हैं अब "आकाश" कहाँ जायेंगे फ़रियादी अंधेरों की ज़द में आज उजाले हैं ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 26/05/2020 ■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 27-05-2020 at 07:40 PM. |
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