22-08-2020, 09:18 AM | #1 |
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कितने गड्ढे...(कुण्डलिया छंद)
■■■■■■■■■■■■■■ 1- कितने गड्ढे आजकल, सड़कों पर हर ओर। चलना मुश्किल हो गया, सुबह रात या भोर। सुबह रात या भोर, चोट लगने का डर है। घर से मीलों दूर, सुनो अपना दफ्तर है। महँगा हुआ इलाज़, और गड्ढे हैं इतने। मर जाते हर साल, मनुज सड़कों पर कितने।। 2- कच्ची सड़कों का नहीं, पूछो भाई हाल। मछली, घोंघे रेंगते, ज्यों हो पोखर-ताल। ज्यों हो पोखर-ताल, हाल कैसे बतलाऊँ। सर पर चढ़ता कीच, कहीं भी आऊँ-जाऊँ। सुने नहीं सरकार, बात यह बिल्कुल सच्ची। संकट में हैं गाँव, गाँव की सड़कें कच्ची।। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- २०/०८/२०२० ■■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मोबाईल- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 22-08-2020 at 02:11 PM. |
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