My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Entertainment > Film World
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 10-08-2020, 06:00 PM   #11
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

इसी आवाज़ में मीना की आवाज़ मिल जाती है, ‘तुम ख़ुद का पेट तो पाल नहीं सकते थे, तुमसे मैं ब्*याह करती?’. विजय को अपना जीवन बेकार मालूम पड़ने लगा. उसके कानों में भाईयों की आवाज़ गूंजती है, ‘माताजी, बाप से हमने तो नहीं कहा था कि ऐसी निखट्टू औलाद पैदा करें!’. घबरा कर विजय उठता है. अपनी जेब से एक काग़ज़ निकालता है, जिस पर कुछ लिखकर जेब में रख लेता है. विजय दबे पांव कमरे से निकल आता है, बाहर निकलते हुए वह गुलाबो की ओर देखता है.
विजय रेलवे यार्ड से गुजर रहा है, देखता है कि एक भिखारी सर्दी में ठिठुर रहा है. विजय उसे अपना कोट दे देता है. कोट देने के बाद विजय पुल की सीढ़ियों से उतर कर रेल की पटरियों की तरफ़ बढ़ने लगता है. भिखारी को विजय पर शक होता है. वह विजय के पीछे चल देता है. विजय के पीछे-पीछे चल रहे भिखारी का पैर बदलते हुए रेल ट्रैक में फंस जाता है. उस पटरी पर दूर से ट्रेन आ रही है, विजय भिखारी को बचाने का प्रयास करता है. लेकिन विजय उस भिखारी को बचा नहीं पाता है.
अगले दिन सुबह मिस्*टर घोष अख़बार में भिखारी के मरने की छपी हुई खबर को पढ़ रहे हैं. दरअसल मिस्टर घोष उस खबर को पढ़ने से ज्यादा पास बैठकर चाय बना रही पत्नी मीना को सुना रहे हैं. मिस्टर घोष, ‘शक्ल पहचानना भी मुश्किल हो गया है. उस नौजवान की जेब में एक ख़त पाया गया. जिसमें वह एक नज़्म अपने आख़िरी पैग़ाम की सूरत में दुनिया के लिए छोड़ गया. शायर का नाम विजय था.’
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 06:01 PM   #12
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

लेकिन किसी को पता नहीं था कि विजय मरा नहीं है, वह एक पागलख़ाने में है. वहीं दूसरी तरफ अब गुलाबो की जिंदगी का एक ही मक़सद है कि वो विजय की किताब छपवाना चाहती है. वह मिस्टर घोष के पास जाती है और अपने ज़ेवरों की पोटली रख देती है. गुलाबो कहती है, ‘मेरी ज़िंदगी की सारी पूंजी… ये इन्हें छपवाने की क़ीमत है. मैं इससे ज्*़यादा और कुछ नहीं दे सकती. इनका छपना मेरे लिए बहुत ज़रूरी है. अगर आप इन्हें छाप दें तो उम्र भर आपका एहसान मानूंगी.’
विजय की किताब छप गई है. किताब की जबरदस्त बिक्री होती है. एक दुकान के कोने में गुलाबो कहती है, ‘काश! तुम यह अपनी आंखों देखते!’.
दूसरी तरफ अस्*पताल में विजय लेटा है. बगल में बैठी नर्स ‘परछाइयां’ की नज़्म बोल बोल कर पढ़ रही है. जिसे सुनने के बाद विजय बिस्तर से उठ जाता है. यह देखकर नर्स चौंक जाती है और ‘डॉक्*टर!… डॉक्*टर!’ चिल्*लाने लगती है. डॉक्टर के आने पर विजय कहता है कि यह उसकी नज़्में हैं. विजय को सुनने के बाद डॉक्*टर ने कहा, ‘अजी साहब, जिस
विजय ने यह किताब लिखी है, वह न जाने कब के मर चुके हैं! ठीक से याद कीजिए… क्*या नाम है आपका?’
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 06:03 PM   #13
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

विजय अपने विजय होने का दावा करता है. उसकी शिनाख़्त के लिए मिस्टर घोष को बुलाया जाता है. मिस्टर घोष झूठ बोलते हैं कि यह विजय नहीं है. इस तरह से विजय पागलख़ाने आ जाता है. पागलखाने में एक दिन विजय सड़क पर मालिश वाले अब्*दुल सत्तार (जॉनी वाकर) को गुजरे हुए देखता है. विजय ने अब्दुल को आवाज़ दी. पहले तो अब्*दुल सत्तार उसे विजय का भूत समझा, बाद में उसके जीवित होने का पूरा भरोसा होने पर चालाकी पागलख़ाने से निकाल लिया. पागलख़ाने से निकल कर विजय भाईयों के पास पहुंचा, जहां दोनों भाईयों ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया. मंझले भाई ने यहां तक कहा, ‘मान न मान… मैं तेरा मेहमान! हमारा झूठा भाई बनते हुए तुम्*हें शर्म नहीं आती!’.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 06:03 PM   #14
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

भाईयों से धक्के खाकर विजय ट्राम में बैठता है. विजय की झूठी मौत को आज एक साल पूरा हो गया. कलकत्ते के ही किसी बड़े हाल में बड़ी शान के साथ विजय की मौत की पहली बरसी मनाई जाने वाली है. ट्राम में बैठा एक शख़्स अपने दोस्*त कह रहा है, ‘विजय बहुत बड़े शायर तो थे ही, साथ में मेरे दोस्*त भी थे. अक़्सर मेरे पास पैसों की मदद मांगने आया करते थे. मैं न होता तो वो 6 महीने पहले ही आत्*महत्*या करके मर गए होते.’ विजय बड़ी खामोशी से यह सब सुन रहा है.
लोगों से खचाखच भरा एक बहुत बड़ा सा हॉल. स्टेज पर मिस्*टर घोष, उनकी पत्नी मीना और अन्*य लोग बैठे हैं. दर्शकों में अब्*दुल सत्तार और गुलाबो बैठे हैं. विजय के दोनों भाई और दोस्त भी मौजूद हैं. विजय हॉल में सबसे पीछे है. स्टेज पर मिस्*टर घोष विजय की शान में भाषण दे रहे हैं, ‘साहिबान, आप लोग तो जानते हैं कि शायर-ए-आज़म विजय मरहूम की बरसी मनाने हम लोग यहां जमा हुए हैं. पिछले साल इसी दिन वह मनहूस घड़ी आई थी, जिसने दुनिया से इतना बड़ा शायर छीन लिया. अगर हो सकता तो मैं अपनी सारी दौलत लुटा कर भी, ख़ुद बिक कर भी, विजय को बचा लेता लेकिन ऐसा न हो सका. क्यों? आप लोगों की वज़ह से! कहने को तो दुनिया कहती है विजय ने अपनी जान दे दी, लेकिन दरअसल आप लोगों ने उनकी जान ले ली. काश! आज विजय मरहूम ज़िंदा होते तो वह देखते कि जिस समाज ने उन्हें भूखा मारा, आज वही समाज उन्हें हीरे और जवाहरात में तौलने के लिए तैयार है. जिस दुनिया में वह गुमनाम रहे, आज वही दुनिया उन्हें अपने दिलों के तख्*़त पर बैठाना चाहती है. उन्हें शोहरत का ताज पहनाना चाहती है. उन्हें ग़रीबी और मुफ़लिसी की गलियों से निकाल कर महलों में राजा बनाना चाहती है’.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 06:04 PM   #15
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

यह सब सुनने के बाद विजय हॉल में पीछे की तरफ़ फ़र्श पर बैठ जाता है. विजय के दोनों हाथ चौखठों से लगे हुए हैं. चौखठ के पीछे रोशनी है और इस रोशनी में विजय गा रहा है, ‘ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया, ये इंसा के दुश्मन, समाजों की दुनिया, ये दौलत के अंधे रिवाज़ों की दुनिया, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! हर इक जिस्म घायल, हर एक रूह प्यासी, निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी, ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है!, यहां इक खिलौना है इंसा की हस्ती, ये बस्ती है मुर्दापरस्तों की बस्ती, यहां पर तो जीवन से है मौत सस्ती, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है!, जवानी भटकती है बदकार बन कर, यहां जिस्म सजते हैं बाज़ार बन कर, यहां प्यार की क़द्र ही कुछ नहीं है, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है!, जला दो इसे, फूंक डालो ये दुनिया, मेरे सामने से हटा दो ये दुनिया, तुम्हारी है तुम ही सम्हालो ये दुनिया, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है….
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)

Last edited by rajnish manga; 10-08-2020 at 06:09 PM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 06-09-2020, 05:01 PM   #16
abhisays
Administrator
 
abhisays's Avatar
 
Join Date: Dec 2009
Location: Bangalore
Posts: 16,772
Rep Power: 137
abhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to abhisays
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

Quote:
Originally Posted by rajnish manga View Post

‘मुझे शिकायत है उस समाज के उस ढांचे से जो इंसान से उसकी इंसानियत छीन लेता है, मतलब के लिए अपने भाई को बेगाना बनाता है. दोस्त को दुश्मन बनाता है. बुतों को पूजा जाता है, जिन्दा इंसान को पैरों तले रौंदा जाता है. किसी के दुःख दर्द पर आंसू बहाना बुज़दिली समझी जाती है. छुप कर मिलना कमजोरी मानी जाती है.’ आज हम उसी फिल्म ‘प्यासा’ को आपके सामने लेखनी के जरिए रख रहे हैं.
यह बातें आज भी कितनी प्रासंगिक है. गुरुदत्त की फिल्में आज भी आपको सोचने पर विवश करती हैं. रजनीश जी, इस सूत्र के लिए धन्यवाद.
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum
abhisays is offline   Reply With Quote
Old 08-09-2020, 08:29 PM   #17
dipu
VIP Member
 
dipu's Avatar
 
Join Date: May 2011
Location: Rohtak (heart of haryana)
Posts: 10,193
Rep Power: 91
dipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to dipu
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

बहुत बढ़िया सर जी
__________________



Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed.
dipu is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
गुरुदत्त, प्यासा, gurdutt, pyasa


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 06:45 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.