18-01-2021, 01:07 AM | #1 |
Diligent Member
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ग़ज़ल- कठिन रास्तों की चढ़ाई...
■■■■■■■■■■■■■■■ कठिन रास्तों की चढ़ाई से डर के रहोगे नहीं तुम इधर या उधर के वही देश को अब चलाते हैं यारों जो मसले किये हल नहीं अपने घर के बहुत जल्द ही भूल जाती है दुनिया अमर कौन होता यहाँ यार मर के सिसकता दिखा आज फिर से बुढ़ापा समेटे हुए दर्द को उम्र भर के कहे जो मनुज वो करे भी अगर तो कहाँ कोई बाकी रहे बिन असर के चले वक़्त 'आकाश' क्यों ये मुसलसल चलो सोचते हैं जरा हम ठहर के ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 15/01/2021 ■■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 18-01-2021 at 06:48 AM. |
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