08-05-2021, 08:35 AM | #1 |
Diligent Member
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ग़ज़ल- कहाँ जाएगी ये जनता...
■■■■■■■■■■■■■■ समझ पाया नहीं कोई चली कैसी बीमारी है कहीं साँसों पे संकट है कहीं कालाबाजारी है कहाँ जाएगी ये जनता दिखाने दर्द पर्वत सा हुए नेता हैं पत्थर दिल शहर में मौत जारी है दवाएँ बिक रहीं हैं मूल्य से ऊपर, बहुत ऊपर कि अब तो जान पर इक लालची इंसान भारी है सभी रोजी व रोटी और सेहत माँगते हैं अब वो राजा हो गया जबसे हुई जनता भिखारी है तू जिसके वास्ते 'आकाश' इतना शोर करता था तुम्हारी जान से ज्यादा उसे कुर्सी से यारी है ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 07/05/2021 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 |
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