04-06-2021, 07:37 PM | #1 |
Diligent Member
|
ग़ज़ल- चले गए हैं वे जिंदगी से
■■■■■■■■■■■■■■ न जाने क्यों अब पलट गए हैं हमें वे अपनी ज़बान देकर नहीं मुनासिब है छीन लेना किसी को सारा जहान देकर यही तो उनकी है यार फितरत मिला उन्हें जब नया ज़माना पटक दिया है हमें जमीं पर कि आसमाँ का उठान देकर भले नहा लूँ मैं आसुओं से भले लगा लूँ मैं लाख साबुन नहीं मिटेगा कभी वे दिल को गए हैं ऐसा निशान देकर गले लगाकर कहा था जिसने कभी न छोड़ेंगे साथ तेरा चले गए हैं वे जिंदगी से कि एक टूटा मकान देकर जो हाथ दोनों जुदा रहें तो बजेगी 'आकाश' कैसे ताली अगर हमें वे न छोड़ जाते निभाते हम तो ये जान देकर ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 02/06/2021 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 ★बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू |
11-06-2021, 07:06 AM | #2 |
Diligent Member
|
Re: ग़ज़ल- चले गए हैं वे जिंदगी से
1212 212 122 1212 212 122
Last edited by आकाश महेशपुरी; 11-06-2021 at 07:10 AM. |
Bookmarks |
|
|