05-06-2022, 09:59 PM | #1 |
Diligent Member
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मुक्तक- फ़िकर कोई न होती थी
■■■■■■■■■■■■■ फ़िकर कोई न होती थी किसी का दिल न रोता था, किसी पीपल के नीचे खाट डाले मैं भी सोता था। तरक्की हो गयी लेकिन घुटन सी आज होती है, वो गुजरा दौर भी क्या दौर था जब चैन होता था। मुक्तक- आकाश महेशपुरी दिनांक- 31/05/2022 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 |
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