22-01-2023, 05:47 AM | #1 |
Diligent Member
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जब सिस्टम ही चोर हो गया
■■■■■■■■■■■■ सेवा की खातिर बैठा है लेकिन रिश्वतखोर हो गया किससे हम उम्मीद लगाएँ, जब सिस्टम ही चोर हो गया सीधे-साधे लोगों को तो पल पल तिल तिल बस रोना है धूर्तों के बिस्तर पर चाँदी, चाँदी के ऊपर सोना है जितना चाहे उतना अब तो झूठ जगत में पैर पसारे सच्चाई को इस दुनिया में मुश्किल से मिलता कोना है झूठ आजकल जीत रहा है, सत्य बहुत कमजोर हो गया किससे हम उम्मीद लगाएँ, जब सिस्टम ही चोर हो गया बाजों से भी तेज नज़र इन घोटालेबाजों की होती जनता के आँसू में देखो ढूँढ रहे हैं हीरे |
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