26-09-2023, 02:00 PM | #1 |
Diligent Member
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सर-ए-बाजार पीते हो
Last edited by आकाश महेशपुरी; 26-09-2023 at 09:22 PM. |
26-09-2023, 09:23 PM | #2 |
Diligent Member
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Re: सर-ए-बाजार पीते हो
सर-ए-बाजार पीते हो…
■■■■■■■■■■ निकाले रोज़ जाते हो नगर की नालियों से तुम निकल आते तो अच्छा था नशे की जालियों से तुम सर-ए-बाजार पीते हो हया भी पी गए हो क्या नवाजे कबतलक जाओगे यूँ ही गालियों से तुम तुझे मालूम है लत ये तुझे बर्बाद कर देगी लटक जाते हो फिर भी मौत की इन डालियों से तुम नहीं है अन्न घर में पर नशे की कैद में आकर यूँ कबतक जान का सौदा करोगे प्यालियों से तुम सफर में ही अगर 'आकाश' इतना लड़खड़ाते हो भला कैसे लड़ोगे वक़्त की बदहालियों से तुम ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 24/09/2023 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 |
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