25-10-2023, 03:54 AM | #1 |
Diligent Member
|
चमचे भी तुम्हारे हैं फटेहाल हो गए
■■■■■■■■■■■■■■ खा खा के माल गाल तेरे लाल हो गए कब आओगे नेता जी कई साल हो गए चमचे भी तुम्हारे हैं फटेहाल हो गए कब आओगे नेता जी कई साल हो गए बैठे बिठाए एक रोजगार था मिला थी कार एक, नोट कई बार था मिला भाषण सुना के मौज में काटे थे चार दिन सिद्दत से अब चुनाव के दिन को रहे हैं गिन चद्दर कभी थे किंतु अब रुमाल हो गए कब आओगे नेता जी कई साल हो गए चमचे भी तुम्हारे... होते चुनाव हो गया कितना बड़ा ये छल अब हाल पूछने नहीं आता है कोई दल साड़ी बटे न नोट ना बोतल शराब की चलती नहीं हैं थालियाँ अब तो कबाब की दावत के लिए लोग हैं बेहाल हो गए कब आओगे नेता जी कई साल हो गए चमचे भी तुम्हारे... जनता कहे कि नौकरी, पेंशन दिलाइए नेता के हैं एजेंट जरा पास आइए बातें न गोल गोल घुमाकर सुनाइए क्या क्या हुआ विकास जरा ये बताइए इतने सवाल खाये खुद सवाल हो गए कब आओगे नेता जी कई साल हो गए चमचे भी तुम्हारे... यूँ भूल तुम गए न बुलाते हो भूलकर क्यूँ फोन आजकल न उठाते हो भूलकर मौका निकल गया है तो ठेंगा दिखा दिए अपने ही मददगार को उल्लू बना दिए तुम बन गए नरेश ये कंगाल हो गए कब आओगे नेता जी कई साल हो गए चमचे भी तुम्हारे... लेना था वोट, सत्य का सौदा किया गया पैसा खिला खिला के था धोका दिया गया अब रोज संकटों से यहाँ जूझते हैं लोग जीने के लिए कर्ज में भी डूबते हैं लोग तुमको जिता के लोग हैं पामाल हो गए कब आओगे नेता जी कई साल हो गए चमचे भी तुम्हारे... रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 20/10/2023 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 26-10-2023 at 03:18 PM. |
Bookmarks |
|
|