30-09-2024, 05:02 PM | #1 |
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ग़ज़ल- तेरी नज़रों में अब वो धार नहीं
◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️ दिल के होता है आर-पार नहीं तेरी नज़रों में अब वो धार नहीं तेरी खातिर मैं छोड़ दूँ दुनिया दिल है इतना भी बेकरार नहीं इसकी कोई दवा नहीं होती इश्क़ का रोग है, बुखार नहीं सबको बहरूपिया नज़र आओ करना इतना भी तुम सिंगार नहीं राह चलना 'आकाश' हो मुश्किल इस-क़दर लेना तुम उधार नहीं ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 29/09/2024 ◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 |
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