02-04-2011, 01:43 PM | #61 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
किसी ने कहा फूल से की
मुझे बता तू आज तक क्यूँ खिलता रहा तुने तो दी सबको खुशबु तुझे क्या मिलता रहा फूल ने मुस्कुरा कर कहा अभी तू नादान है जीवन के सच्चे प्यार से अभी तू अनजान है देने के बदले कुछ लेना वो तो एक कारोबार है जो दे कर भी कुछ न मांगे वो ही सच्चा प्यार है |
02-04-2011, 01:48 PM | #62 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
उसे चाहा है मैंने इस शिद्दत से
उसकी हर ख्वाइश का ख्याल रखा है उसे सर आँखों पर बिठा कर उसकी हर ख़ुशी को संभाल रखा है उसके दिल को अपने दिल से जोड़कर उसे अपने दिल के करीब रखा है उसे अपनी आगोश में छुपा कर उसे खुद से ज्यादा अज़ीज़ रखा है |
02-04-2011, 02:35 PM | #63 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
महबूब की आखोँ मेँ नशा
महबूब की चाहत मेँ नशा महबूब की बातो मेँ नशा महबूब तो महखाने के मलिक है और चाहत तो हमारी भी आशिकी भरी है क्योकि की हम भी समां के परबाने है
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Gaurav kumar Gaurav |
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