10-04-2011, 11:06 AM | #11 |
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Re: क्रिकेट : खेल या व्यवसाय
एक उदहारण देता हूँ "युवराज सिंह" जब आई पि एल में पहली बार खिलाडियों कि नीलामी हुई थी युवराज सबसे मंहगे बिकने वाले खिलाड़ियों में से एक थे कारन टी २० विश्वकप के उन छः छक्कों कि याद अभी लोगों के जहाँ में ताजा थी इस बार कि हालिया नीलामी में कई ऐसे खिलाड़ियों को युवराज से ज्यादा पैसा मिला जो क्रिकेट के किसी भी प्रारूप में उनसे अच्छे खिलाडी नहीं हैं कारन उनका हालिया प्रदर्शन अब युवराज सोच रहे होंगे कि काश ये नीलामी इस विश्वकप के बाद होती मेरा कहना बस इतना है कि आपको किसी भी तरीके से ज्यादा पैसे तभी मिलते हैं जब आप देश के लिए अच्छा खेलते हैं
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
10-04-2011, 06:33 PM | #12 | |
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Re: क्रिकेट : खेल या व्यवसाय
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जी बिलकुल पैंसे तभी मिलते हैं जब वो अच्छा खेलते हैं और अगर कोई पैंसे कमा रहा है इसका मतलब कि वो अच्छा खेल रहा है...... अब जब आप अच्छा खेलोगे ही नहीं तो आप को पैंसे देगा ही कौन? तो अगर मेहनत करते हो तो ही पैंसा मिलता है....... अभी गौतम गंभी का ही उदाहर लीजिए आज से ४ साल पहले तक उनकी भारतीय टीम में क्या हैसियत थी कुछ भी नहीं उन्हें तो गली में खेलने वाले से भी बदतर बता दिया गया था लेकिन उसने कम बैक किया अपना खेल सुधरा खुद पर और खेल पर मेहनत की और आज वो भारतीय टीम का वो सितारा है जिसके बगैर खेलना, भारतीय टीम कभी नहीं चाहेगी... और इसी का नतीजा है कि वो इस आई पी एल. का सबसे महंगा खिलाड़ी है और के.के.आर का कप्तान भी.....बेशुमार दौलत आज उसके कदम चूमती है........
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10-04-2011, 06:52 PM | #13 |
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Re: क्रिकेट : खेल या व्यवसाय
इसी बात पे एक लेख याद आ रहा है जो हमने आज से ५-६ साल पहले पढ़ा था..
जिसमे एक रिपोर्टर ने अपनी जिम्बाबे भ्रमण का जिक्र किया था और लिखा था कि "जब में जिम्बाबे की सड़कों पर घूम रहा था तो मुझे वहां एक ऐसा वाकिया देखने को मिला जिसने मुझे अंदर तक हिला कर रखा दिया... में वहां सड़क पर घूम रहा था एक अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए.....तभी मुझे वहां सड़क पर एक व्यक्ति जिसने कि अपना आधा चेहरा ढका था, भीख मांगते हुए दिखा..... मेने जेब में हाथ डाल और उस व्यक्ति को देखने लगा.... मन में कुछ आशंका सी उठने लगी लेकिन फिर लगा कि हो ना हो मुझे कोई गलत फहमी हो..... फिर भी में उसे भीख देने के बहाने से जेब टटोलने जैसी हरकत करने लगा और साथ ही साथ उस व्यक्ति को पहचानने की कोशिश करने लगा.... काफी देर तक जब ये क्रम चलने लगा तो उसे एहसास हो गया कि ये मेरा भेद जानना चाहता है.... वो वहां से चलने लगा...... जैसे ही वो वहां से मुड़ा मेने पीछे से आवाज दी और विश्वाश कीजिए मेरी आवाज सुनकर वो फफक कर रोने लगा..... और मैंने आवाज मारी "क्या तुम जिम्बाबे की राष्ट्रीय टीम से खेलने वाले क्रिकेटर नहीं हो?" मेरा ऐसा कहना था कि वो मेरा पास आकर रोने लगा...... मेने उसे खाना खिलाया...... फिर पूछा कि ऐसा क्या हुआ जो तुम्हें भीख मांगने की नौबत आ गयी.. तो वो कहने लगा कि जिम्बाबे बोर्ड की क्या दशा है ये किसी से छिपी हुई नहीं है और ऐसे में केवल क्रिकेट खेलने से जिदंगी का गुजार करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता.... और मेने यही गलती कर दी.....क्योंकि बोर्ड के पास इतना पैंसा तो है नहीं जो क्रिकेटर को मैच फीस भी दे...उनको रहने की सुविधा भी दे....और पेंशन भी..... जिस कारण मेरी ऐसी दशा हुई है....." वो खिलाड़ी अपने देश से टेस्ट और वन डे मैच खेल चुका है.... कहने का मतलब ये है कि अगर खिलाड़ी अगर अपने अच्छे खेल को कैश करवाता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है... आखिर वो उसकी मेहनत है
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Last edited by bhoomi ji; 10-04-2011 at 06:55 PM. |
10-04-2011, 06:53 PM | #14 |
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Re: क्रिकेट : खेल या व्यवसाय
अभी इसका संपूर्ण विवरण हमारे पास नहीं है जैसे ही हमें मिलता है हम यहाँ उसका सोर्स बता देंगे.......कि ये लेख कहाँ छपा था........
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