06-04-2011, 02:09 PM | #11 |
Special Member
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
उम्मीद है और भी बातें जानने को मिलेंगी
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
07-04-2011, 08:13 AM | #12 |
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
टोपी रुमाल टाँग देना
--- इस प्रथा के मुताबिक कोई पत्नी किस पति के साथ कितना समय गुजारेगी इस का भी नियम हैँ सब से बडी बात तो यह हैँ कि इस प्रथा से जुडे अक्सर सभी भाई एकसाथ नहीँ रहते घर मेँ केवल एक भाई परिवार की देखभाल के लिए रहता हैँ दुसरे भाई नौकरी करने या दुसरे कामधंधे के सिलसिले मेँ अक्सर घर से बाहर रहते हैँ ऐसे मेँ जो भाई घर मेँ रहे पत्नी उसी को अपना सबकुछ सौँप देती हैँ अगर सभी भाई घर मेँ रहते हैँ तो पत्नी के बैडरुम मेँ जो भाई जाता हैँ वह कमरे के बाहर बतौर निशानी अपनी टोपी या रुमाल टाँग देता हैँ इसका मतलब दुसरे भाई समझ जाते हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
07-04-2011, 08:23 AM | #13 |
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
शादी प्रथा अजीब गरीब
--- किन्नोर मेँ एक शादी प्रथा भी अजीबोगरीब हैँ इस इलाके मेँ वर के बजाय वधु पक्ष की अहमियत कहीँ ज्यादा होती हैँ यहाँ रिश्ते का प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से रखा जाता हैँ कन्या पक्ष चाहे तो रिश्ते के लिए मना कर सकता हैँ अगर लडकी का पिता मान जाए तो वह लडके के पिता यानी अपने समधी को एक रुपया बतौर शगुन के रुप मेँ देता हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
07-04-2011, 06:51 PM | #14 | |
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
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Life would be indeed dull if there were no such difficulties. |
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07-04-2011, 09:53 PM | #15 | |
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
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मातृभूमि "ए नेशन विदाउट वूमैन" उसकी कहानी भी ऐसे ही जगह से प्रेरित थी
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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07-04-2011, 11:18 PM | #16 | |
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
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अभी तो कई और बातेँ हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
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13-04-2011, 05:32 PM | #17 | |
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
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तभी तो कहा जाता है-------------its happen only in India
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The world suffers a lot. Not because of the violence of bad people, But because of the silence of good people! Support Anna Hazare fight against corruption... Notice:->All the stuff which are posted by me not my own property.These are collecting from another sites or forums. |
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13-04-2011, 05:36 PM | #18 | |
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
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जरूर इस जनजाति में औरतों का अनुपात मर्दों से बहुत कम होगा/ तभी तो एक औरत को इतने सारे पतियों को संभालना पडता है/ यदि यहाँ औरतों का अनुपात सही होता तो मर्द भी एक ही औरत से काम नहीं चलते/
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13-04-2011, 07:57 PM | #19 |
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
सही कह रहे हैँ । लैँगिक अनुपात मेँ विषमता होने पर उस समाज के पुरोधा ऐसी प्रथाओँ को स्वीकृति प्रदान करते हुये प्रचलन मेँ ला देते हैँ ताकि उस समाज विशेष मेँ अव्यवस्था न उत्पन्न न हो ।
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दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो । |
14-04-2011, 09:18 AM | #20 |
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Re: ऐसा देश हैँ मेरा
यहाँ बारात को लेकर भी एक अजीब प्रथा हैँ
जितने बाराती वर के साथ आते हैँ उस से तिगुने बराती वधु की बरात मेँ उसके ससुराल जाते हैँ इन्हेँ दुल्हर के साथी कहते हैँ शादी के लैवल का पता वर के साथ आए बारातियोँ से लगता हैँ क्योँ कि ज्यादा तादाद मेँ बारातियोँ का आना अमीरी का प्रतीक माना जाता हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
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