08-05-2011, 11:41 AM | #21 |
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Re: इस्मत चुगताई की कहानियाँ
जब आपका सूत्र शुरू से पढ़ा फिर समझ में आया की इन्होने ही "गर्म हवा" की कहानी लिखी थी बहुत ही खुबसूरत कहानी थी और फिल्म उससे भी खुबसूरत इनकी और कहानियां डालिए
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
08-05-2011, 08:29 PM | #22 |
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Re: इस्मत चुगताई की कहानियाँ
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08-05-2011, 11:22 PM | #23 |
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Re: इस्मत चुगताई की कहानियाँ
अवश्य उनकी और कहानियां डालूंगी इस सूत्र में.. वैसे मुझे भी ये बात हाल में ही पता चली कि यह फिल्म उनकी कहानी पर बनी थी. वैसे शायद आप उन्हें उनकी एक विवादस्पद कहानी "लिहाफ" से भी जानते होंगे. समलिंगी रिश्तों पर आधारित यह कहानी कुछ बोल्ड मानी जाती है..यदि फोरम प्रबंधन की इज़ाज़त मिलेगी तो वह कहानी भी पोस्ट करना चाहूंगी.
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काम्या
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08-05-2011, 11:25 PM | #24 |
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Re: इस्मत चुगताई की कहानियाँ
It's alright! I was only joking. Thanks for your response on the thread, it's really encouraging
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काम्या
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08-05-2011, 11:29 PM | #25 |
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Re: इस्मत चुगताई की कहानियाँ
इस्मत चुगताई की अगली कहानी...
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काम्या
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08-05-2011, 11:57 PM | #26 |
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Re: इस्मत चुगताई की कहानियाँ
जड़ें
सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े, घर में बैठे, अपनी और सारे परिवार की जिंदगी बवाल किये दे रहे थे. वही मार पिटाई, धौल धप्पा वही उधम, जैसे कि आया ही न हो. कमबख्तों को यह भी ध्यान नहीं कि अँग्रेज चले गये और जाते जाते ऐसा गहरा घाव मार गये जो वर्षों रिसता रहेगा. भारत पर अत्याचार कुछ ऐसे क्रूर हाथों और शस्त्रों से हुआ है कि हजारों धमनियाँ कट गयीं हैं, खून की नदियाँ बह रहीं हैं. किसी में इतनी शक्ति नहीं कि टाँका लगा सके. कुछ दिनों से शहर का वातावरण ऐसा गन्दा हो रहा था कि शहर के सारे मुसलमान एकतरह से नंजरबन्द बैठे थे। घरों में ताले पड़े थे और बाहर पुलिस का पहरा था। और इस तरह कलेजे के टुकड़ों को, सीने पर मूँग दलने के लिए छोड़ दिया गया था।
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काम्या
What does not kill me makes me stronger! Last edited by MissK; 09-05-2011 at 12:14 AM. |
09-05-2011, 12:27 AM | #27 |
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Re: इस्मत चुगताई की कहानियाँ
वैसे सिविल लाइंस में अमन ही था, जैसा कि होता है। ये तोगन्दगी वहीं अधिक उछलती है, जहाँ ये बच्चे होते हैं। जहाँ गरीबी होती है वहीं अज्ञानता के घोड़े पर धर्म के ढेर बजबजाते हैं। और ये ढेर कुरेदे जा चुके हैं। ऊपर से पंजाब से आनेवालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी जिससे अल्पसंख्यकों के दिलों में ख़ौफ बढ़ता ही जा रहा था। गन्दगी के ढेर तेजी से कुरेदे जा रहे थे और दुर्गन्ध रेंगती-रेंगती साफ-सुथरी सड़कों पर पहुँच चुकी थी।
दो स्थानों पर तो खुला प्रदर्शन भी हुआ। लेकिन मारवाड़ राज्य के हिन्दू और मुसलमान इस प्रकार एक-दूसरे के समान हैं कि इन्हें नाम, चेहरे या कपड़े से भी बाहर वाले बड़ी मुश्किल से पहचान सकते हैं। बाहर वाले अल्पसंख्यक लोग जो आसानी से पहचाने जा सकते थे, वो तो पन्द्रह अगस्त की महक पाकर ही पाकिस्तान की सीमाओं से खिसक गये थे। बच गये राज्य के पुराने निवासी, तो उनमें ना तो इतनी समझ थी और ना ही इनकी इतनी हैसियत थी कि पाकिस्तान और भारत की समस्या इन्हें कोई बैठकर समझाता।
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काम्या
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09-05-2011, 12:30 AM | #28 |
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Re: इस्मत चुगताई की कहानियाँ
अभी पोस्टिंग में केरेक्टर्स को लेकर कुछ समस्या आ रही अतः बाकि भाग समस्या का हल मिलने के बाद डालूंगी..
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काम्या
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09-05-2011, 07:47 AM | #29 |
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Re: इस्मत चुगताई की कहानियाँ
इसका नाम बोलने में मेरी जबान बार बार फंसती है
सूत्र अच्छा है continue...... |
09-05-2011, 09:10 AM | #30 | |
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इस्मत चुगताई की कहानियाँ
Quote:
कोई निक नेम रख डालो.............|
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
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