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#11 |
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![]() मतलब मेरा और दया का है |
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#12 |
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नियम गन्दी हो तो जबान फिसल जाती है
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Gaurav kumar Gaurav |
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#13 |
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#14 |
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दस-बारह साल पहले के प्रेमियों और आज कल के रोमोस में बहुत अंतर आ चुका है. पहले किसी अफेयर के जन्म लेने में उतना ही वक्त लगता था जितना कि बच्चे को पैदा होने में लगता है...करीब नौ महीने. लड़का लड़की को देखता है....कॉलेज में....ऑफिस में...बालकनी में या फिर कहीं और....अब वो लड़की की गतिविधियों पे नज़र रखना शुरू करता है....वो कब घर से निकलती है...कहाँ जाती है...उसकी कौन सी सहेलियां हैं, उसका भाई तो नहीं है...और कहीं उसका पहले से ही कोई चक्कर तो नहीं है...इतना सब होमेवोर्क करने के बाद ही लड़का आगे बढ़ता था....पर आज-कल तो कोई ज़रा सा भी अच्छा लगा तो बस फेसबुक पे सर्च किया थोड़ी लाइन मारी ....ठीक रहा तो ठीक नहीं तो नेक्स्ट...
![]() तो पहले कि बात करें तो एक रिलेसंसिप डेवलप करने में इतने पापड़ बेलने पड़ते थे की सिर्फ वही लोग हिम्मत करते थे जिन्हें वाकई में प्यार होता था ..पर आज कल मोबाइल और संजाल ने ये सब कुछ इतना आसान बना दिया है कि हिम्मत करने जैसी कोई बात ही नहीं रही.... और इसका हर्जाना उन बेकसूरों को भुगतना पड़ता है जो सच-मुच किसी रिलेसंसिप को लेकर सीरियस होते हैं...वो बेचारे समझते हैं कि उनका पार्टनर भी उतना ही सीरियस है..पर अफ़सोस बहुत बार ऐसा नहीं होता है... अब आप ही सोचिये नौ महीने में मिले प्यार के ज्यादा टिकाऊ होने के चांस हैं या नौ घंटे में मिले लव के ?? |
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#15 |
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आप सभी प्यारे-प्यारे दोस्तों की राय बहुत ही महत्व रखती है ...
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#16 |
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प्रेम-महोब्बत इन सब का तो आज के आधुनिक समाज मे बलात्कार हो रहा है । प्यार आज के समय मे मनोरंजन और वासना पूर्ति का साधन बन कर रह गया है । प्यार के मायने इतने निम्न स्तर के हो गये है कि लोग केवल अपने निजी स्वार्थ के लिये भी किसी से प्यार कर लेते है । अक्सर मे मुम्बई मे देखता हूं सागर किनारो पर प्यार खुले आम नंगा हो रहा होता है । आशिक इतने बेहया हो जाते है कि वे ये नही देखते की उनके पिता और माता के उम्र के लोग भी उन्हे देख रहे है । वही कुछ वैयसी नजरे भी और कुछ मासूम नजरे भी उन्हे देखती है आजकल होने वाले निर्मम बलात्कारो का ये भी एक प्रमुख कारणो मे से एक है । तो आज कल के प्रेम की तो बात ही ना करे तो अच्छा है मै तो वो सोच रहा हूं कि जब पाश्चात्य युग भारत मे आयेगा तो क्या होगा । आजकल भारत मे साल मे दो आशिक बदले जाते है आगे आकर साल मे दो शादिया होगी जो कि आज कल विदेशो मे बहुत प्रचलित है । और भारत मे भी उच्च वर्ग मे ये यदा कदा होता रहता है । तो फ़िर प्रेम के मायने क्या है वो सोच लिजीये ।
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==========हारना मैने कभी सिखा नही और जीत कभी मेरी हुई नही ।==========
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