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Old 11-09-2011, 01:32 AM   #91
samir
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Feng Shui For Skeptics by Kartar Diamond
२- Flying Star Feng Shui Made Easy Third Edition by David Twicken
३- The Complete Idiot's Guide(R) to Feng Shui by Master Joseph Yu.
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Old 11-09-2011, 01:33 AM   #92
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क्वेटा का भूकंप




'क्वेटा का भूकंप' पुस्तक में लेखक ने सन १९३५ में क्वेटा शहर में आये भीषण भूकंप का वर्णन किया है.
क्वेटा आजकल बलोचिस्तान (पाकिस्तान) की राजधानी है।

सर्वाधिक सामान्य अर्थ में, किसी भी सीस्मिक घटना का वर्णन करने के लिए भूकंप शब्द का प्रयोग किया जाता है, एक प्राकृतिक घटना (phenomenon)या मनुष्यों के कारण हुई कोई घटना -जो सीस्मिक तरंगों (seismic wave) को उत्पन्न करती है.अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं, भारी मात्रा में गैस प्रवास , पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन, और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं.


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Old 11-09-2011, 01:33 AM   #93
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'अनामिका' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'




'अनामिका' 'निराला' जी का प्रतिनिधि काव्य-ग्रन्थ माना जाता है । हिन्दी साहित्य में 'सरोज स्मृति', 'राम की शक्ति पूजा' की टक्कर की कविताएँ अभी तक नहीं लिखी गई हैं ।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी १८९९ - १५ अक्तूबर १९६१) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग उन्होंने कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है। वे हिन्दी में मुक्तछंद के प्रवर्तक भी माने जाते हैं।


प्रमुख कृतियाँ
काव्यसंग्रह: अनामिका, परिमल, गीतिका, द्वितीय अनामिका, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अणिमा, बेला, नये पत्ते, अर्चना, आराधना, गीत कुंज, सांध्य काकली, अपरा।
उपन्यास- अप्सरा, अलका, प्रभावती, निरुपमा, कुल्ली भाट, बिल्लेसुर बकरिहा।
कहानी संग्रह- लिली, चतुरी चमार, सुकुल की बीवी, सखी, देवी।
निबंध- रवीन्द्र कविता कानन, प्रबंध पद्म, प्रबंध प्रतिमा, चाबुक, चयन, संग्रह।
पुराण कथा- महाभारत
अनुवाद - आनंद मठ, विष वृक्ष, कृष्णकांत का वसीयतनामा, कपालकुंडला, दुर्गेश नन्दिनी, राज सिंह, राजरानी, देवी चौधरानी, युगलांगुल्य, चन्द्रशेखर, रजनी, श्री रामकृष्ण वचनामृत, भरत में विवेकानंद तथा राजयोग का बांग्ला से हिन्दी में अनुवाद .


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Old 11-09-2011, 01:33 AM   #94
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'अक्षर-अक्षर' - पाश




'अक्षर-अक्षर' पुस्तक में पंजाबी के जनकवि अवतार सिंह 'पाश ' की सभी काव्य रचनाओं का संग्रह है.

जिंदगी भर इन्सानियत के कातिलो के विरुद्ध लड़ाई लड़ने वाले पंजाबी के जनकवि अवतार सिंह 'पाश ' को ३७ साल की उम्र में ही २३ मार्च १९८८ को धर्मांध दहशतों गर्दों ने गोलियां बरसाकर मार दिया था | शहीदे-आज़म भगत सिंह ने २३ मार्च १९३१ को फांसी चढ़कर इन्कलाब की जिस लौ को जलाया जनकवि अवतार सिंह 'पाश' उसे मशाल बनाकर जिये |

उनका जन्म ९ सितम्बर १९५० को ग्राम तलवंडी सलेम जिला जालंधर (पंजाब) में हुआ था | उन्होंने पहली कविता १५ वर्ष की आयु में लिखी | वे १९६७ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और १९६९ में नक्सलवादी आन्दोलन से जुड़े | १९८५ में वे अमेरिका चले गए वहाँ एंटी -४७(१९८६-८८) का संपादन करते हुए खालिस्तानी आन्दोलन के विरुद्ध सशक्त प्रचार किया |

अवतार सिंह 'पाश' द्वारा लिखित कुल १२५ कविताये उपलब्ध है | जो उनके चार कविता संग्रहों लौहकथा (१९७०), उडडदे बजान मगर (१९७४), साडे समियां विच (१९७८), लडांगे साथी(१९८८) में संगृहीत हैं |
पंजाबी भाषा के कवि 'पाश' को उनकी म्रत्यु के बाद अन्य भाषा भाषियों ने भी बखूबी पहचाना| 'पाश' की कविता की धार निराला, नागार्जुन और गोरख पाण्डेय की याद ताज़ा कर देती है | 'पाश' एक ऐसा जन कवि था जिसने केवल शब्दों का बडबोलापन ही नहीं दिखाया बल्कि व्यवस्था के खिलाफ लगातार लड़ाई भी लड़ी | वे कई बार जेल गए और पुलिस की यातना सही | उनका कहना था -
हम झूठ मूठ का कुछ भी नहीं चाहते
और हम सब कुछ सचमुच देखना चाहते है
जिन्दगी, समाजवाद या कुछ ओर |

जनकवि 'पाश' के लिए देशभक्ति अपने देश की जनता कि मोहब्बत में, उसके दुःखदर्द में बसती है |तभी तो वे कहते हैं -

मुझे देश द्रोही भी कहा जा सकता है
लेकिन मैं सच कहता हूँ यह देश अभी मेरा नहीं है
यहाँ के जवानों या किसानों का नहीं है
यह तो केवल कुछ 'आदमियों' का है
ओर हम अभी आदमी नहीं हैं ,बड़े निरीह पशु हैं |
हमारे जिस्म में जोंकों ने नहीं पालतू मगरमच्छों ने दांत गड़ाएं हैं
उठो,
अपने घरों के धुओं उठो |
उठो काम करने वाले मजदूरों उठो |
खेमो पर लाल झंडे लगाकर बैठने से कुछ न होगा
इन्हें अपने रक्त की रंगत दो |

बगावत की ऐसी आवाज शायद ही किसी कवि ने बुलंद की हो | 'पाश' के तेवर तानाशाही निजाम के साथ-साथ धर्मांध दहशतगर्दों के खिलाफ भी उसी हौसलें से लोहा लेते रहे | उन्होंने धर्मगुरुओं को चुनौती देते हुए कहा -
किसी भी धर्म का कोई ग्रन्थ
मेरे जख्मी होठों की चुप से अधिक पवित्र नहीं है |




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Old 11-09-2011, 01:33 AM   #95
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मेरा जीवन तथा ध्येय - स्वामी विवेकानंद




'मेरा जीवन तथा ध्येय'
स्वामी विवेकानंद की लिखी हुई एक चर्चित पुस्तक है।

‘मेरा जीवन तथा ध्येय’ नामक यह भाषण स्वामी विवेकानन्द ने 27 जनवरी 1900 ई. में पासाडेना कैलिफोर्निया के सेक्सपियर क्लब के समक्ष दिया था। इसमें भारत के दुखी मानवों की वेदना विहृल उस महात्मा के हृदय का बोलता हुआ चित्र है। इसमें प्रस्तुत है उसका उपचार जिसके आधार पर वे मातृभूमि को पुनः अतीत यश पर ले जाना चाहते है। यही एकमात्र ऐसा अवसर था, जब उन्होंने जनता के समक्ष अपने जी की जलन रखी, अपने आन्तरिक संघर्ष और वेदना को उघाड़ा।

हमें आशा है, इस पुस्तक से जनता का अवश्य लाभ होगा।


स्वामी विवेकानन्द (१२ जनवरी,१८६३- ४ जुलाई,१९०२) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासम्मेलन में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का वेदान्त अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। रामकृष्ण जी बचपन से ही एक पहुँचे हुए सिद्ध पुरुष थे। स्वामीजी ने कहा था की जो व्यक्ति पवित्र ढँग से जीवन निर्वाह करता है उसी के लिये अच्छी एकाग्रता प्राप्त करना सम्भव है!



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Old 11-09-2011, 01:34 AM   #96
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सादत हसन मन्टो की पुस्तक " तोबा टेक सिंह "
http://www.ziddu.com/download/163319...a.com.rtf.html
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Old 11-09-2011, 01:34 AM   #97
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चैतन्य महाप्रभु की कहानी




हिंदी ई बुक्स में आज पेश है पुस्तक - चैतन्य महाप्रभु ।

इस पुस्तक में चैतन्य महाप्रभु के बारे में जानकारी दी गयी है तथा इनके जीवन की घटनाओं के बारे में भी बताया गया है तथा इनके भगवान का अवतार होने के प्रमाण भी दिए गए है ।

चैतन्य महाप्रभु {१८ फरवरी, १४८६-१५३४) वैष्णव धर्म के भक्ति योग के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी, भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनैतिक अस्थिरता के दिनों में हिंदू-मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊंच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त वृंदावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामंत्र नाम संकीर्तन का अत्यंत व्यापक व सकारात्मक प्रभाव आज पश्चिमी जगत तक में है। यह भी कहा जाता है, कि यदि गौरांग ना होते तो वृंदावन आज तक एक मिथक ही होता। वैष्णव लोग तो इन्हें श्रीकृष्ण का राधा रानी के संयोग का अवतार मानते हैं।



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Old 15-09-2011, 02:07 AM   #98
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बहुत ही बढ़िया collection है समीर जी.
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Old 21-10-2011, 12:26 AM   #99
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1. देवदास उपन्यास


1917 में लिखा गया यह उपन्यास शरत चंद्र की कलम से निकला हुआ एक महान उपन्यास है । प्रेम और त्याग की भावना के प्रतीक इस उपन्यास की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस उपन्यास पर अब तक तीन फिल्में बन चुकी है।

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Old 21-10-2011, 12:26 AM   #100
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2. हरिवंश राय बच्चन की कवितायेँ

इस पुस्तक में हरिवंश राय बच्चन की चुनी हुई कवितायेँ दी गई है।





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