29-10-2014, 09:52 PM | #91 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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30-10-2014, 10:03 AM | #92 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
लोहे की दुकान में अपने पिता के साथ काम कर रहे एक बालक ने अचानक ही अपने पिता से
पुछा – “पिताजी इस दुनिया में मनुष्य की क्या कीमत होती है ?”पिताजी एक छोटे से बच्चे से ऐसा गंभीर सवाल सुन कर हैरान रह गये. फिर वे बोले “बेटे एक मनुष्य की कीमत आंकना बहुत मुश्किल है, वो तो अनमोल है.” बालक – क्या सभी उतना ही कीमती और महत्त्वपूर्ण हैं ? पिताजी – हाँ बेटे. बालक कुछ समझा नही उसने फिर सवाल किया – तो फिर इस दुनिया मे कोई गरीब तो कोई अमीर क्यो है? किसी की कम रिस्पेक्ट तो कीसी की ज्यादा क्यो होती है? सवाल सुनकर पिताजी कुछ देर तक शांत रहे और फिर बालक से स्टोर रूम में पड़ा एक लोहे का रॉड लाने को कहा. रॉड लाते ही पिताजी ने पुछा – इसकी क्या कीमत होगी? बालक – 200 रूपये. पिताजी – अगर मै इसके बहुत से छोटे-छटे कील बना दू तो इसकी क्या कीमत हो जायेगी ? बालक कुछ देर सोच कर बोला – तब तो ये और महंगा बिकेगा लगभग 1000 रूपये का . पिताजी – अगर मै इस लोहे से घड़ी के बहुत सारे स्प्रिंग बना दूँ तो? बालक कुछ देर गणना करता रहा और फिर एकदम से उत्साहित होकर बोला ” तब तो इसकी कीमत बहुत ज्यादा हो जायेगी.” फिर पिताजी उसे समझाते हुए बोले – “ठीक इसी तरह मनुष्य की कीमत इसमे नही है की अभी वो क्या है, बल्की इसमे है कि वो अपने आप को क्या बना सकता है.” बालक अपने पिता की बात समझ चुका था . Friends अक्सर हम अपनी सही कीमत आंकने मे गलती कर देते है. हम अपनी present status को देख कर अपने आप को valueless समझने लगते है. लेकिन हममें हमेशा अथाह शक्ति होती है. हमारा जीवन हमेशा सम्भावनाओ से भरा होता है. हमारी जीवन मे कई बार स्थितियाँ अच्छी नही होती है पर इससे हमारी Value कम नही होती है. मनुष्य के रूप में हमारा जन्म इस दुनिया मे हुआ है इसका मतलब है हम बहुत special और important हैं . हमें हमेशा अपने आप को improve करते रहना चाहिये और अपनी सही कीमत प्राप्त करने की दिशा में बढ़ते रहना चाहिये.
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30-10-2014, 02:30 PM | #93 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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ये जीवन हमें खाने , पीने , सोने के लिए नहीं बल्कि एक मनुष्य के रूप में निरंतर खुद का विकास करने के लिए मिला है। आपकी ये कहानी पढ़ कर मुझे मेरे एक मित्र की याद गयी जिसके मार्गदर्शन से मैं अपने जीवन के उद्देश्य तलाश रही हूँ।
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31-10-2014, 03:20 PM | #94 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
एक प्रोफ़ेसर ने अपने हाथ में पानी से भरा एक glass पकड़ते हुए class शुरू की . उन्होंने उसे ऊपर उठा कर सभी students को दिखाया और पूछा , ” आपके हिसाब से glass का वज़न कितना होगा?” ’50gm….100gm…125gm’…छात्रों ने उत्तर दिया. ” जब तक मैं इसका वज़न ना कर लूँ मुझे इसका सही वज़न नहीं बता सकता”. प्रोफ़ेसर ने कहा. ” पर मेरा सवाल है: यदि मैं इस ग्लास को थोड़ी देर तक इसी तरह उठा कर पकडे रहूँ तो क्या होगा ?” ‘कुछ नहीं’ …छात्रों ने कहा. ‘अच्छा , अगर मैं इसे मैं इसी तरह एक घंटे तक उठाये रहूँ तो क्या होगा ?” , प्रोफ़ेसर ने पूछा. ‘आपका हाथ दर्द होने लगेगा’, एक छात्र ने कहा. ” तुम सही हो, अच्छा अगर मैं इसे इसी तरह पूरे दिन उठाये रहूँ तो का होगा?” ” आपका हाथ सुन्न हो सकता है, आपके muscle में भारी तनाव आ सकता है , लकवा मार सकता है और पक्का आपको hospital जाना पड़ सकता है”….किसी छात्र ने कहा, और बाकी सभी हंस पड़े… “बहुत अच्छा , पर क्या इस दौरान glass का वज़न बदला?” प्रोफ़ेसर ने पूछा. उत्तर आया ..”नहीं” ” तब भला हाथ में दर्द और मांशपेशियों में तनाव क्यों आया?” Students अचरज में पड़ गए. फिर प्रोफ़ेसर ने पूछा ” अब दर्द से निजात पाने के लिए मैं क्या करूँ?” ” ग्लास को नीचे रख दीजिये! एक छात्र ने कहा. ” बिलकुल सही!” प्रोफ़ेसर ने कहा. Life की problems भी कुछ इसी तरह होती हैं. इन्हें कुछ देर तक अपने दिमाग में रखिये और लगेगा की सब कुछ ठीक है.उनके बारे में ज्यदा देर सोचिये और आपको पीड़ा होने लगेगी.और इन्हें और भी देर तक अपने दिमाग में रखिये और ये आपको paralyze करने लगेंगी. और आप कुछ नहीं कर पायेंगे. अपने जीवन में आने वाली चुनातियों और समस्याओं के बारे में सोचना ज़रूरी है, पर उससे भी ज्यादा ज़रूरी है दिन के अंत में सोने जाने से पहले उन्हें नीचे रखना.इस तरह से, आप stressed नहीं रहेंगे, आप हर रोज़ मजबूती और ताजगी के साथ उठेंगे और सामने आने वाली किसी भी चुनौती का सामना कर सकेंगे .
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04-11-2014, 01:00 AM | #95 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
पवितत्रा जी ,' आपने जेइसे की कहा की आजकल हम दूसरों की नक़ल करने लगे हैं अपनी वास्तविकता को भूल चुके है जेइसे की उसने मुझे जन्म दिन की शुभ कामनाएं न दी तो मैक्यों दूँ वो फोन नही करते तो मै फोन क्यों करू ' ... यहाँ मेरा मानना है की ये ये नक़ल नही अपितु अहंकार है जब इन्सान में नम्रता होती है तब वो कोई बोले न बोले फिर भी उसे बुलाता है , दुसरो की खुशियों में बधाइयाँ देता है ., या खेइरियत पूछने के लिए ही सही फोन करता है , किन्तु जब ईगो याने की अहंकार आड़े आता है तब इन्सान चाहते हुए भी अपने ईगो में धीरे धीरे और अनजाने में ही सही आपने रिश्तों से दूर होते जाता है या भले रिश्ते रह जाते हैं किन्तु अपनापन खो ही देता है फिर सिरफ़ दिखावट के रिश्ते रह जाते हैं , और तब एइसे रिश्तों में जान नही होती बस लोग निभाने के लिए रिश्ते निभाए जाते हैं .
अब रही दूसरो के नकल को छोड़ने की बात तो मै फिर कहूँगी की नम्रता और अपनापन दो एईसी चीज़े हैं जो इन्सान को आपकी और आकर्षित किये बिना नही रहती. कोई अकडू इन्सान भी जब सामने वाले से नम्रता से भरा अपनापन पाता है तब झुकने पर मजबूर हो जाता है ... किन्तु .... कई लोगो का अहंकार इतना ज्यदा होता है की उन्हें दूसरों की नम्रता मुर्खता दिखती है इसलिए इतना जरुर कहना चाहूंगी यहाँ की अपने अहंकार को भले आगे न बढ़ने दो किन्तु आपने सम्मान को स्वाभिमान को बनाये रखो इतना झुकना भी अच्छा नही की लोग आपको मुर्ख समझने लगे ...... हाँ प्यार , अपनापन , सौहार्द्य की भावना बहुत अच्छा गुण हैं पर तब, जब सामने वाले इन्सान में उसे समझने की शक्ति हो न की वो जिसके लिए आप प्यार, सम्मान , अपनेपन की भावना रखते हो आपको बुध्धिहीन समझे . अंत में पवित्रा जी आपको बधाई देना चाहूंगी इतने अछे विषय को यहाँ रखने के लिए . Last edited by soni pushpa; 04-11-2014 at 01:05 AM. |
13-11-2014, 09:12 PM | #96 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
अक्सर हमारी शिकायत रहती है कि - " वो मुझे प्यार नहीं करते या मुझ पर भरोसा नहीं उन्हें"…वास्तविकता यह है कि हम हमेशा दूसरे से यह अपेक्षा रखते हैं कि वो हमें प्यार करे , वो हमें ट्रस्ट करे। और जब हमें दूसरे व्यक्ति से वो अपेक्षित व्यवहार नहीं मिलता तो हम निराश होते हैं और दूसरे व्यक्ति को ही दोष देते हैं।
आप कभी बैंक जाएं और वहां जाकर पैसे मांगें तो क्या आपको पैसे मिलेंगे ? बिल्कुल मिलेंगे पर सिर्फ तब जब आपने वहां पैसे जमा किये हुए हों , वो भी सिर्फ उतने ही जितने आपने जमा किये होंगे। आपको overdraft भी सिर्फ तब मिलेगा जब आपकी बैंक को आपके ऊपर भरोसा हो कि आप वो एक्स्ट्रा पैसे लौटा सकते हैं। ठीक इसी तरह अगर आप प्यार,विश्वास, और अच्छा व्यवहार चाहते हैं तो पहले आपको दूसरों को वो सब देना होगा। उन्हें प्यार दीजिये , जिससे आपको बदले में प्यार मिल सके। उनपर विश्वास कीजिये , उनसे अच्छा व्यवहार कीजिये और अपने लिए भी वैसा ही व्यवहार बदले में पाइए। जब तक बैंक अकाउंट में पैसा डिपॉज़िट नहीं करेंगे तो ज़रूरत के समय पैसा मिल कैसे सकेगा ?
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13-11-2014, 09:35 PM | #97 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
हम अक्सर सोचते हैं कि मैं तो सभी के साथ अच्छा करता हूँ पर फिर भी मुझे बदले में अच्छाई नहीं मिलती , उल्टा बुरा ही हो जाता है। बहुत बार हमारा भगवान के ऊपर से विश्वास उठ जाता है कि भगवान के घर न्याय नहीं है , अच्छा करने पर भी बुरा फल मिला।
भगवान जब हमें इस दुनिया में भेजते हैं तो हमें बराबर मात्रा में अच्छाई और बुराई देते हैं या कह लीजिये बराबर मात्रा में पाप और पुण्य देते हैं। या हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर पाप और पुण्य देकर भेजते हैं। अब ज़िन्दगी एक पाइप की तरह है , जिसमें ये पुण्य और पाप भरे हुए होते हैं। अब जब हम कोई अच्छा कार्य करते हैं तो हमारे उस पाइप में वो अच्छाई जमा हो जाती है , अब जब एक तरफ से अच्छाई अंदर जाती है तो दूसरी तरफ से पाइप भरा होने के कारण बुराई बाहर निकल आती है। और हम सोचते हैं कि हमारे साथ अन्याय हुआ हमने अच्छा कर्म किया पर बदले में बुरा फल मिला। वहीँ जब हम कोई बुरा कर्म करते हैं तो वो पाप के रूप में उस पाइप में जमा हो जाती है अब जब बुराई अंदर जाती है तो दूसरी तरफ से अच्छाई बहार निकल आती है , और हम खुश हो जाते हैं कि बुरे कर्म का अच्छा फल मिला यानि अब से बुरे कर्म ही करने हैं। और ये क्रम यूँही लगातार चलता रहता है। ज़िन्दगी में अगर अच्छे कर्म करने पर बुरा फल मिले तो निराश न हों , क्यूंकि आपके हर अच्छे कर्म के साथ उस पाइप में एक पुण्य अंदर जाता है और दूसरी तरफ से एक बुराई बहार आ जाती है। इसलिए अच्छे कर्म करते रहिये , और आपके हर पुण्य के साथ आपके पाप बाहर चले जायेंगे। और एक दिन आपके अकाउंट में सिर्फ पुण्य ही पुण्य , अच्छाई ही अच्छाई बचेगी और जब आप अच्छे कर्म करेंगे , तो उस पाइप में पुण्य अंदर जायेगा और दूसरी तरफ से पुण्य या अच्छाई ही बाहर आएगी।
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20-11-2014, 10:25 PM | #98 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
अगर मन का हो तो अच्छा
लेकिन अगर मन का ना हो तो और भी अच्छा क्यूंकि वो भगवान के मन का होता है
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25-11-2014, 02:58 PM | #99 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
हम सभी अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जीना चाहते हैं। हर रोज़ प्लानिंग करते हैं कि आज क्या करना है , कल क्या करना है। कभी कभी तो हम अपनी पूरी ज़िन्दगी की ही प्लानिंग कर लेते हैं। और फिर एक दिन सब कुछ बिलकुल अपोजिट हो जाता है हमारी प्लानिंग के , हम सोचते रह जाते हैं कि हमने तो पूरी कोशिश की सब कुछ अपनी प्लानिंग के अनुसार करने की फिर ये सब कुछ उल्टा कैसे हो गया ???
तब याद आता है कि ये ज़िन्दगी जो हम जी रहे हैं ये तो हमारी है ही नहीं , ये तो किसी और की दी हुई है , तो जब ज़िन्दगी किसी और की है तो फिर मर्ज़ी हमारी कैसे हो सकती है , मर्ज़ी भी तो किसी और की ही चलेगी न। हम चाहें कितनी ही प्लानिंग क्यों न कर लें , एक दिन भगवान आते है और कहते हैं कि तेरी ज़िन्दगी मेरी प्लानिंग के हिसाब से चलेगी तेरी प्लानिंग के हिसाब से नहीं। और तेरी ज़िन्दगी की प्लानिंग तो मैं पहले ही कर चुका हूँ। तू तो बस वो कर जो मैं तुझसे करवाना चाहता हूँ। और बाद में हमें समझ आता है कि जो हुआ अच्छा ही हुआ। हमारी नज़र बहुत छोटी है , हम देख नहीं पाते कि हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं ? अरे हम तो कल क्या होगा ये भी नहीं जान सकते तो भविष्य में क्या होगा ये कैसे जान सकते हैं ? वो भगवान हैं उनकी नज़र व्यापक है वो जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा है इसलिए ज़िन्दगी में जो हो रहा है उसे होने दें , जो परिस्थिति जैसे आपके सामने आये उसे वैसे ही स्वीकार कर लें और स्वीकार करते हुए निर्णय लें। परिस्थिति से लड़ेंगे तो सिर्फ दुःख मिलेगा।
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26-11-2014, 09:11 PM | #100 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
यदि हम प्रारब्ध को ही सब कुछ मान कर चलते हैं तो हम निपट भाग्यवादी ही तो कहलायेंगे. फिर परिस्थिति को बदलने के लिये प्रयास करने की क्या ज़रुरत है. व्यक्ति हो, समाज हो या देश हो, फिर तो किसी को प्रयास करने की ज़रुरत नहीं है. हम अपनी दुर्दशा, अपने आसपास की गन्दगी और भृष्टाचार को दूर करने के लिये कोई कोशिश क्यों करें ? श्री कृष्ण के वचन - "कर्मण्ये वाधिकारस्ते ...." को भी छोड़ देना चाहिये. उच्च शिक्षा या कहें कि फिर तो शिक्षा की भी जरुरत नहीं है. कम्पटीशन की तैयारी भी बेमानी है, बिमारी का इलाज बेमानी है, चुनावों में व्यक्तियों की परख करना बेमानी है. फिर तो हमारे आसपास कोई दाभोलकर दिखाई नहीं देना चाहिये. राम भली करेंगे.
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