07-11-2014, 07:29 AM | #1011 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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यक़ीनन तेरे दामन पर न कोई दाग है फिर भी शराफ़त के लबादे का उतर जाना ही बेहतर है "दीक्षित दनकौरी".
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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07-11-2014, 11:34 AM | #1012 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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07-11-2014, 12:11 PM | #1013 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
थक हार के फिर ज़हर को होठों से लगाया वरना ये मेरी तिश्नालबी.....कम नहीं होती (अक़ील नोमानी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
07-11-2014, 12:16 PM | #1014 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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07-11-2014, 08:25 PM | #1015 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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नीर की गठरी में वो फिर आग भर कर आ गए देखिये आकाश में बादल उभर कर आ गए कुंवर बेचैन
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07-11-2014, 09:49 PM | #1016 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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मैंने कुछ आसमां उगाये थे सिर्फ दो घूँट प्यास की ख़ातिर उम्र भर धूप में नहाए थे (राहत इंदौरी)
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07-11-2014, 10:06 PM | #1017 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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थुलथुल हुआ शरीर, नित्य ही वैद्य बुलावे, दूध परहेज छोड़, पिज्जा ही मंगवावे, सुनलो कहे अशोक, नहि यह गाँव की छोरी, आयी दुल्हन गाँव, बन के शहर की गौरी।।.......... (अशोक चक्रधर)
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08-11-2014, 09:51 AM | #1018 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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रात भर जागते रहने का सिला है शायद तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है मुनव्वर राना
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08-11-2014, 01:09 PM | #1019 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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08-11-2014, 08:51 PM | #1020 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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हमेशा देश से माँगा, दिया क्या देश को तुमने कभी इस बात को गंभीरता से तुमने सोचा क्या 'अनमोल शुक्ल अनमोल'.
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