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Old 08-02-2011, 10:00 PM   #1011
Bond007
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Question साक्षात्कार

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Originally Posted by kumar anil View Post
शिक्षा एक ऐसा दीपक है जिससे हम अँधियारे को दूर कर अपने भारत को प्रकाशवान कर सकते हैँ । मुठ्ठी भर राजनेताओँ के उकसावे मेँ आकर जातीय विभाजन से भी बच सकेँगे और फूलन देवी एवं सीमा परिहार जैसे डकैतोँ को सबसे बड़े लोकतन्त्र के नायक के रूप मेँ स्थापित करने के कलंक से भी बच सकेँगे । दहेज प्रथा के लिये मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि प्रेम विवाह इसका अचूक इलाज है ।
अनिल जी! मैं आपकी बात का विरोध नहीं कर रहा हूं| चूंकि आपका साक्षात्कार है तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि आपके जवाबों का पूर्ण स्पष्टीकरण प्राप्त करें|

मैं भी अपराधियों को हमारे नेताओं के रूप में कबूल नहीं करता|

लेकिन आपके उत्तर के जवाब में मेरा प्रश्न यह है कि क्या अपराधियों को सुधारना या उन्हें सुधरने का एक मौका देना गलत बात है (जहां तक देशद्रोह का सवाल न हो)?
__________________
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फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

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Old 09-02-2011, 06:37 AM   #1012
Kumar Anil
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Originally Posted by khalid1741 View Post
अगर आपको दुनिया मेँ एक अच्छा और एक बुरा आदमी के साथ एक एक दिन गुजारना हो तो किस किस को चुनेगेँ
केवल स्वामी रामदेव के साथ । बुरे आदमी के साथ कतई नहीँ । वैसे मैँ सबसे बड़ा गुनहगार मासूम बच्ची के बलात्कारी को मानता हूँ । यदि मेरा बस चले तो उसकी एक एक बोटी किसी चौराहे पर काटकर कुत्तोँ को खिलवा दूँ ।
__________________
दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो ।
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Old 09-02-2011, 07:26 AM   #1013
amit_tiwari
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Originally Posted by Kumar Anil View Post
केवल स्वामी रामदेव के साथ । बुरे आदमी के साथ कतई नहीँ । वैसे मैँ सबसे बड़ा गुनहगार मासूम बच्ची के बलात्कारी को मानता हूँ । यदि मेरा बस चले तो उसकी एक एक बोटी किसी चौराहे पर काटकर कुत्तोँ को खिलवा दूँ ।
काहे गुरु कुत्तों के मुंह का जायका बिगड़ते हैं ! ऐसे लोगों के लिए तो हर सज़ा कम है :ranting :
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Old 09-02-2011, 08:12 AM   #1014
Kumar Anil
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Originally Posted by bond007 View Post
अनिल जी! मैं आपकी बात का विरोध नहीं कर रहा हूं| चूंकि आपका साक्षात्कार है तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि आपके जवाबों का पूर्ण स्पष्टीकरण प्राप्त करें|

मैं भी अपराधियों को हमारे नेताओं के रूप में कबूल नहीं करता|

लेकिन आपके उत्तर के जवाब में मेरा प्रश्न यह है कि क्या अपराधियों को सुधारना या उन्हें सुधरने का एक मौका देना गलत बात है (जहां तक देशद्रोह का सवाल न हो)?
बॉन्ड साहब ! अपराधियोँ का सुधार कतई ग़लत बात नहीँ । लेकिन उनकी सुधार प्रक्रिया अथवा क्षमादान , दण्डित करने के उपरान्त ही होना चाहिये क्योँकि उन्हेँ उनके अपराध का बोध कराना भी आवश्यक है ।
जहाँ तक फूलन देवी को रेखांकित कर आप द्वारा अपने प्रश्न को कोरिलेट करने की बात है तो मैँ स्पष्ट करना चाहूँगा कि वह प्रतीक मात्र थी - जातीय राजनीति , राजनीति के अपराधीकरण की , अपराधियोँ के महिमामण्डन की , सत्ता और ताक़त के नंगे प्रदर्शन की । मेरे विचार मेँ ये अपराधी बाल्मीकि की भाँति आत्मसुधार कर समाज सुधार करने नहीँ आते अपितु अपने अपराधोँ को सरंक्षित करने या और अधिक ताक़त हासिल करने के लिये राजनीति मेँ प्रवेश करते हैँ और इसके लिये जातीय विद्वेष का विष वमन करने से भी नहीँ चूकते और अन्ततः स्वयं को सेलिब्रिटी , नायक के रूप मेँ स्थापित करने मेँ सफल हो जाते हैँ और शेष रह जाती है इनके शिकार लोगोँ मेँ न्याय की आस ।
__________________
दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो ।
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Old 09-02-2011, 10:22 AM   #1015
ndhebar
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जब तक यहाँ की न्याय प्रक्रिया दुरुस्त नहीं होगी
ऐसे लोग इसका नाजायज फायदा उठाते ही रहेंगे
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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Old 09-02-2011, 01:13 PM   #1016
khalid
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काँलेज लाईफ की कोई ऐसी यादेँ जिसे याद आतेँ हीँ आप मुस्कुरा उठतेँ हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना
जैसे इबादत करना
वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना
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Old 09-02-2011, 05:13 PM   #1017
Kumar Anil
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Originally Posted by khalid1741 View Post
काँलेज लाईफ की कोई ऐसी यादेँ जिसे याद आतेँ हीँ आप मुस्कुरा उठतेँ हैँ
बहुत मनोरंजक वाक़िया शेयर करूँगा , आप भी बिना हँसे नहीँ रहेँगे । लगभग 15 वर्ष का था । एक दूसरे शहर मेँ किराये के मक़ान मेँ रहता था । नीचे पोर्शन मेँ मकान मालिक की नातिन भी रहती थी । जो मेरी समवयस्क थी । किशोरावस्था के आकर्षण मेँ आँखेँ चार हो गयीँ । उसको देखकर गाने भी फूटने लगे । एक दिन माक़ूल समय देखकर किसी लड़की को पहली पाती देने का साहस एकत्र कर ही लिया । अपने कमरे मेँ जहाँ वो बैठी थी , एक खिड़की थी और मैँने चाँद सितारोँ से सजी हुई शायरियोँ वाला लेटर बिना कुछ बोले डाल दिया । पर हाय री मेरी क़िस्मत मेरे दिल की शहज़ादी उड़नछू हो चुकी थी और वो ख़त हाथ लगा उनकी माताश्री के । मैँ तो आशवस्त था कि वो ख़त उन्हेँ मिल चुका होगा । लिहाजा शाम को स्कूल से आने के बाद उसके कमरे के पास चकरघिन्नी होने लगा । पर वहाँ तो सन्नाटा पसरा हुआ था । फिर ध्यान दिया तो मेरी माँ भी ख़ामोश दिखी । माज़रा समझ नहीँ पाया कि समझना नहीँ चाहता था । ख़ैर साहब थोड़ी ही देर मेँ मेरे बड़े भाईसाहब आ गये और फिर उनकी चप्पल मेरे गाल । पूरा ख़त पढ़वाते रहे और आशिक़ी का भूत भगाते रहे । आज जब सोचता हूँ तो अपनी नादानी पर बरबस ही मुस्कुरा पड़ता हूँ । शायद आपके होठोँ पर भी मुस्कान खेलने लगी । ईश्वर करे ऐसे ही हँसते रहिये ।
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Old 09-02-2011, 05:32 PM   #1018
arvind
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Originally Posted by kumar anil View Post
बहुत मनोरंजक वाक़िया शेयर करूँगा , आप भी बिना हँसे नहीँ रहेँगे । लगभग 15 वर्ष का था । एक दूसरे शहर मेँ किराये के मक़ान मेँ रहता था । नीचे पोर्शन मेँ मकान मालिक की नातिन भी रहती थी । जो मेरी समवयस्क थी । किशोरावस्था के आकर्षण मेँ आँखेँ चार हो गयीँ । उसको देखकर गाने भी फूटने लगे । एक दिन माक़ूल समय देखकर किसी लड़की को पहली पाती देने का साहस एकत्र कर ही लिया । अपने कमरे मेँ जहाँ वो बैठी थी , एक खिड़की थी और मैँने चाँद सितारोँ से सजी हुई शायरियोँ वाला लेटर बिना कुछ बोले डाल दिया । पर हाय री मेरी क़िस्मत मेरे दिल की शहज़ादी उड़नछू हो चुकी थी और वो ख़त हाथ लगा उनकी माताश्री के । मैँ तो आशवस्त था कि वो ख़त उन्हेँ मिल चुका होगा । लिहाजा शाम को स्कूल से आने के बाद उसके कमरे के पास चकरघिन्नी होने लगा । पर वहाँ तो सन्नाटा पसरा हुआ था । फिर ध्यान दिया तो मेरी माँ भी ख़ामोश दिखी । माज़रा समझ नहीँ पाया कि समझना नहीँ चाहता था । ख़ैर साहब थोड़ी ही देर मेँ मेरे बड़े भाईसाहब आ गये और फिर उनकी चप्पल मेरे गाल । पूरा ख़त पढ़वाते रहे और आशिक़ी का भूत भगाते रहे । आज जब सोचता हूँ तो अपनी नादानी पर बरबस ही मुस्कुरा पड़ता हूँ । शायद आपके होठोँ पर भी मुस्कान खेलने लगी । ईश्वर करे ऐसे ही हँसते रहिये ।
शायद इसी तरह के सिचुएशन पर शायर ने क्या खूब कहा है -

इब्द-ताए इश्क़ है, रोता है क्या?
आगे-आगे देखिये, होता है क्या?
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Old 09-02-2011, 09:00 PM   #1019
amit_tiwari
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अमित जी! आपसे दो सवाल करूंगा| दोनों सवाल एक जैसे हैं| लेकिन दूसरा सवाल पहले के जवाब के बाद|

पहला सवाल:

आप एक बहुत ही खूबसूरत और देश-विदेश में प्रसिद्ध फूलों के उद्यान के माली हैं| जहाँ का कड़ा नियम है कि फूल तोडना किसी भी सूरत में मना है| यदि तोडा गया तो आप पर भी दंडात्मक कार्यवाही होगी|

आप अपने काम को बखूबी निभाते आये है, आप पर कोई दाग नहीं है तथा आप काम के मामले में दूसरों के आदर्श हैं|(इससे पता चलता है कि माली यानी आप कितने जिम्मेदार और कर्तव्यपरायण हैं)|

अब आपके उद्यान कि खूबसूरती देखने किसी बाहरी देश के राष्ट्राध्यक्ष अथवा प्रधानमन्त्री अपने पूरे दल के साथ आते हैं| जो यहाँ की खूबसूरती और आपका काम देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं|

अंत में वे आपके इसी उद्यान से एक फूल तोडना चाहते हैं या अपने दल के किसी व्यक्ति द्वारा तुडवा लेते हैं| अब आप क्या करोगे?

क्योंकि एक तरफ उद्यान के नियमों का उल्लंघन हो रहा है, दूसरी तरफ मेहमान का अनादर हो रहा है| क्योंकि भारत में मेहमान को भगवान् का दर्जा दिया जाता है और यहाँ देश कि प्रतिष्ठा का सवाल है|

ध्यान दें! दोनों ही तरह के कृत्यों के करने पर आपको एकमात्र सजा फांसी होगी|दूसरे शब्दों में कहें तो आपको अपना उद्यान प्यारा है या देश....???
बोंड भाई सॉरी !!! मैं यह प्रश्न देख नहीं पाया ! अभी आपके विजिटर मेसेज से पता चला !!!
अनिल भाई सॉरी बीच में टांग अडाने के लिए |

बोंड भाई आपके प्रश्न का उत्तर देना या ऐसी स्थिति को वास्तविक रूप से यदि जीना पड़े तो मुझे कोई खास समस्या नहीं होगी |
यदि फूलों को ना तोड़ने का नियम किसी के आने से पहले का बना हुआ है तो उसे मानना पड़ेगा |
नियम होते ही हैं पालन करने के लिए |
देश की प्रतिष्ठा अपने नियमों के लिए दृढ होने पर बढ़ेगी ना की पिलपिले होने से |
यदि मैं एक माली के रूप में अपने एक फूल को नहीं बचा सकता तो देश की प्रतिष्ठा कैसे बचाऊंगा !!!
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Old 09-02-2011, 09:19 PM   #1020
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Originally Posted by amit_tiwari View Post
बोंड भाई सॉरी !!! मैं यह प्रश्न देख नहीं पाया !
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नियम होते ही हैं पालन करने के लिए |
देश की प्रतिष्ठा अपने नियमों के लिए दृढ होने पर बढ़ेगी ना की पिलपिले होने से |
यदि मैं एक माली के रूप में अपने एक फूल को नहीं बचा सकता तो देश की प्रतिष्ठा कैसे बचाऊंगा !!!
अमित जी! जवाब देने के लिए शुक्रिया!

मुझे आपसे ऐसी ही उम्मीद थी| मेरे दुसरे सवाल का जवाब भी पहले जवाब से ही मिल गया है|

धन्यवाद|
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