09-02-2011, 09:25 PM | #1021 |
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Re: साक्षात्कार
मजा आगया कुमार भाई वैसे वो तो बचपन की बातेँ हैँ आपका कभी शादी से पहले अफेयर था यानी सिधे शब्दोँ मेँ कहेँ तो प्यार किया हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
10-02-2011, 05:03 AM | #1022 |
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Re: साक्षात्कार
हाँ , पूरी शिद्दत के साथ प्यार किया है । उसी प्रेम ने मेरे जीवन मेँ , तमाम उदात्त भावनाओँ को सीँचकर विकसित किया है ।
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दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो । |
10-02-2011, 10:10 AM | #1023 | |
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Re: साक्षात्कार
Quote:
ये लो करलो बात ! एक दम नया नामकरण ! सोच रहा हूँ कि अपनी आई डी यही रख लूं. " आचार्य पवनपुत्र शर्मा " अनिल जी अब जब आपने मुझे गुरु मान ही लिया है तो मुझे भी अपना फर्ज निभाते हुए आपको और समय तो देना ही पड़ेगा. आप निश्चिन्त होकर आराम से सोच समझ कर जवाब दें क्योंकि मुझे पता है कि आपका ये जवाब जाने कितनो को अपने भावी जीवन की दिशा तय करने में मदद करेगा. और हाँ एक बात और गुरु दक्षिणा अभी बाकी है ! |
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10-02-2011, 11:58 AM | #1024 | |
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Re: साक्षात्कार
Quote:
इससे क्या शिक्षा मिली
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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10-02-2011, 01:32 PM | #1025 |
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Re: साक्षात्कार
इस कहानी से हमेँ शिक्षा मिलती है कि आँख हमेशा दूसरे मोहल्ले मेँ ही लड़ानी चाहिये ।
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10-02-2011, 05:47 PM | #1026 |
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Re: साक्षात्कार
आप अपने बारे मेँ एक शब्द मेँ बताऐँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
10-02-2011, 05:58 PM | #1027 |
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Re: साक्षात्कार
भाभी जी से आप कितना डरतेँ हैँ
जब वो नाराज होतीँ हैँ तो कैसे मनातेँ हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
11-02-2011, 08:22 AM | #1028 |
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Re: साक्षात्कार
अनिल जी,
मुझे व्यक्तिगत रूप से सरकारी कर्मचारिओं से चिड है !! उनके दायित्वहीनता, कर्तव्य बिमुखता के लिए !! आप एक सरकारी कर्मचारी के रूप में अपने आपको किस स्थान पर रखते है ?? दिन में कितने बार रिश्वत लेते हैं ?? क्या कभी रिश्वत देके काम हासिल करने का सटकर्ट भी अपनाया ??
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!" |
12-02-2011, 11:00 AM | #1029 |
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Re: साक्षात्कार
मैँ संतोषी प्रकृति का हूँ ।
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12-02-2011, 11:08 AM | #1030 |
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Re: साक्षात्कार
एक अच्छी पत्नी से जितना डरना चाहिये , उतना ही डरता हूँ । प्यार हर मर्ज़ की दवा है । मेरे प्यार के मरहम से उनका गुस्सा काफ़ूर हो जाता है ।
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