27-04-2013, 12:13 PM | #1031 |
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Re: Bollywood Reporter (बॉलीवुड रिपोर्टर)
बरेली। फिल्म अभिनेता राजपाल यादव ने फिल्मों में ‘आइटम गीत’ के बढते चलन और उसमें खुलेपन को खास तवज्जो दिये जाने को समाज पर बुरा असर डालना वाला करार दिया है। सड़क हादसे में घायल हुए अपने भाई राजेश का हाल लेने कल रात बरेली आये राजपाल ने संवाददाताओं से कहा कि आइटम गीत दर्शकों को सिर्फ क्षणिक आनंद देते हैं और उनके अतिरेक से समाज पर बुरा असर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि अश्लीलता किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जा सकती लेकिन दर्शकों के एक बड़े वर्ग की पसंद होने की वजह से फिल्म निर्माता ज्यादा से ज्यादा धन कमाने की कोशिश में फिल्में बनाते हैं। हालांकि वे सिर्फ ‘वन टाइम मूवी’ बनकर रह जाती हंै और दोबारा कोई उन्हें याद भी नहीं करता। ‘हलचल’, ‘अता पता लापता’, ‘खट्टा-मीठा’ और ‘भूल-भुलैया’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों को गुदगुदाने वाले राजपाल ने फिल्मों के ‘रीमेक’ बनाए जाने के बढते चलन के बारे में कहा कि जिस तरह से फैशन खुद को दोहराता है, उसी तरह दर्शक पुरानी कहानी को नये परिप्रेक्ष्य और अंदाज में दोबारा देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी कहानी असरदार तरीके से दर्शकों को प्रभावित करती है। इसी वजह से पुरानी फिल्मों का रीमेक बनाने का चलन बढा है।
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27-04-2013, 08:47 PM | #1032 |
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सेंसर बोर्ड के कारण हमने बदला था शोले का क्लाइमेक्स :रमेश सिप्पी
नई दिल्ली। चर्चित फिल्मकार रमेश सिप्पी अपनी महान फिल्म ‘शोले’ का अंत जिस तरह से हुआ उससे खुश नहीं थे और वास्तविक दृश्य में हिंसा पर सेंसर बोर्ड द्वारा आपत्ति जताये जाने के बाद वे फिल्म के ‘क्लाइमेक्स’ को फिर से शूट करना चाह रहे थे । सिनेमा में गाली और पर्दे पर हिंसा को लेकर हुई एक चर्चा में हिस्सा लेते हुये सिप्पी ने इस बात पर सहमति जताई कि फिल्मों में हिंसा को दिखाते समय फिल्मकारों की एक जिम्मेदारी होती है लेकिन साथ ही कहा कि वर्ष 1975 में आई ‘शोले’ के ‘क्लाइमेक्स’ की फिर से शूटिंग कर वह खुश नहीं थे । उन्होंने कहा, ‘हम में से ज्यादातर लोग यह तथ्य नहीं जानते हैं कि शोले का क्लाइमेक्स का सुझाव वास्तव में केंद्रीय प्रमाणन बोर्ड ने दिया था क्योंकि उन्होंने पाया कि पर्दे पर इसे दिखाने के लिहाज से बहुत ज्यादा हिंसा है ।’ सिप्पी ने कहा, ‘मुझे पूरे दृश्य का फिर से फिल्मांकन करना पड़ा और इसे वैसा बनाना पड़ा जैसाकि वे चाहते थे । लेकिन एक फिल्मकार के रूप में मैं फिल्म के अंत से खुश नहीं था ।’
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27-04-2013, 08:48 PM | #1033 |
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श्याम बेनेगल की तबीयत में हो रहा है सुधार
मुंबई। पेट की बीमारी के इलाज के लिए पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती प्रसिद्ध फिल्मकार श्याम बेनेगल की तबीयत में सुधार हो रहा है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गयी है। बेनेगल ने कहा, ‘मैं कुछ समय से बीमार हूं। मुझे पेट की बीमारी हो गयी थी और पिछले एक महीने से मैं अस्पताल में भर्ती था। अब मैं घर आ गया हूं और आराम कर रहा हूं।’ बेनेगल मार्च और अप्रैल के बीच दक्षिण मुंबई के जसलोक अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने कहा, ‘मेरी तबीयत में सुधार हो रहा है। पूरी तरह ठीक होने में मुझे चार हफ्ते लग जाएंगे। मुझे अभी भी थोड़ी कमजोरी महसूस हो रही है।’ 78 वर्षीय बेनेगल ने ‘अंकुर’ (1973), ‘निशांत’ (1975), ‘मंथन’ (1976), ‘भूमिका’ (1977), ‘जुनून’(1978), ‘मंडी’ (1983) और ‘त्रिकाल’ (1985) जैसी कई प्रसिद्ध फिल्में बनायी हैं। उनकी आखिरी फिल्म 2009 में आयी ‘वेल डन अब्बा’ थी।
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27-04-2013, 08:48 PM | #1034 |
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ट्रिबेका फिल्मोत्सव में भारतीय-अमेरिकी ने जीता नोरा एप्रन पुरस्कार
भारतीय मूल की लेखिका और निर्देशक मीरा मेनन ने यहां 12वें वार्षिक ट्रिबेका फिल्मोत्सव में पहला नोरा एप्रन पुरस्कार अपने नाम कर लिया है। ‘व्हेन हैरी मेट सैली’ और ‘जूलिया एंड जूलिया’ जैसी यादगार फिल्मों की लेखिका और फिल्मकार नोरा के सम्मान में दिए जाने वाले 25000 डॉलर के इस पुरस्कार के लिए मीरा को आठ प्रतियोगियों में से चुना गया। मीरा को उनकी पहली फिल्म ‘फराह गोज बैंग’ के लिए सम्मानित किया गया। मीरा ने कहा, ‘एक फिल्मकार के तौर पर नोरा ने हमेशा मुझे पे्रेरित किया है। वह इस बात का प्रतीक हैं कि दर्द और पीड़ा को हंसी और खुशी में कैसे बदलना है। उनके इन गुणों ने मुझे और मेरे सह फिल्मकारों को प्रेरित किया है।’ टीएफएफ सह संस्थापक जेन रोसेंथल और वोग की डिजिटल कला निदेशक सेल्ली सिंगर ने वार्षिक ‘विमेंस फिल्ममेकर बं्रच’ में मीरा को पुरस्कृत किया। पुरस्कार ग्रहण करने के बाद मीरा ने कहा, ‘नोरा के नाम पर यह पुरस्कार प्राप्त करना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।’
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27-04-2013, 08:48 PM | #1035 |
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मैंने मुख्यधारा की फिल्मों की नई शैली बनाई: इमरान हाशमी
मुंबई। अपने दस साल के बालीवुड करियर में अपनी अलग जगह बनाने वाले अभिनेता इमरान हाशमी का कहना है कि वह फिल्म उद्योग में मुख्यधारा की फिल्मों की नई शैली बनाने के बाद अपना वाजिफ हक पाकर खुश हैं। इमरान ने कहा, ‘एक अभिनेता के तौर पर मैं लंबे समय तक स्वीकार्य नहीं था। लेकिन यह मुझे डरा नहीं पाया क्योंकि दर्शकों ने मुझे स्वीकार किया। मैंने कभी किसी अन्य अभिनेता से अपनी तुलना नहीं की। मेरी कभी कोई योजना नहीं बनाई है और मैंने वही लिया जो मेरे रास्ते में आया।’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि धीरे धीरे मुझे मेरा वाजिफ हक मिलना शुरू हुआ। मैं बहुत खुश हूं कि विशाल भारद्वाज और करन जौहर जैसे फिल्मनिर्माताओं ने मुझसे (फिल्म का प्रस्ताव देने के लिए) बात करना शुरू किया है।’ इमरान फिल्म उद्योग में एक दशक पूरा करने के करीब हैं और उन्होंने इस दौरान अलग अलग तरह की फिल्में करने का प्रयास किया। इमरान अब बेहतर पटकथा और रूचिकर भूमिकाओं की तलाश में हैं।
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28-04-2013, 05:59 AM | #1036 |
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बिग बी का पर्याय बन गया है ‘केबीसी’ :सचिन खेडेकर
मुंबई। लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (केबीसी) के मराठी संस्करण की मेजबानी करने को लेकर उत्साहित अभिनेता सचिन खेडेकर का कहना है कि भारत में केबीसी महानायक अमिताभ बच्चन का पर्याय बन गया है। मराठी फिल्मों के जाने जाने अभिनेता खेडेकर ने कहा, ‘मुझे जब यह प्रस्ताव मिला तो न कहने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता था बल्कि इस प्रस्ताव को स्वीकार करके मैं बहुत खुश हूं। इस लोकप्रिय कार्यक्रम के मराठी संस्करण की मेजबानी करना सम्मान की बात है, लेकिन साथ ही साथ यह एक चुनौती भी है।’ ‘अस्तित्व’, ‘सिंघम’ और ‘अग्निपथ’ के रीमेक संस्करण जैसी हिंदी फिल्मों में काम कर चुके खेडेकर ने कहा, ‘मैं अमिताभ बच्चन का बड़ा प्रशंसक हूं। मैं खुश होने के साथ साथ अमिताभ बच्चन की जिम्मेदारी उठाने को लेकर घबराया हुआ भी हूं। अमिताभ ने केबीसी में जैसा काम किया है यदि मैं उसका 10 प्रतिशत भी कर पाया तो मुझे खुशी होगी।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने केबीसी के सभी छह संस्करण देखे हैं। मैं अपनी शैली में कार्यक्रम की मेजबानी करने की कोशिश करूंगा। इसकी मेजबानी वास्तव में चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस कार्यक्रम के जरिए मैं महाराष्ट्र के लोगों को स्थानीय भाषा और वैश्विक ज्ञान के आधार पर एक करोड़ रपए जीतने का मौका देना चाहता हूं।’ ‘कोन होईल मराठी करोड़पति’ छह मई से प्रसारित किया जाएगा।
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28-04-2013, 08:07 AM | #1037 |
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महेश को परदे पर देखना चाहती हैं लारा दत्ता
नई दिल्ली। बालीवुड स्टार लारा दत्ता की इच्छा है कि उनके पति और टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति सिनेमा के परदे पर दिखें। पूर्व ब्रह्मांड सुंदरी ने कहा, ‘मैं महेश को सिनेमा के परदे पर देखना पसंद करूंगी लेकिन मुझे नहीं लगता कि वह कैमरे के सामने आएंगे।’ लारा और महेश की शादी फरवरी 2011 में हुयी थी और जनवरी 2012 में उनके घर एक पुत्री का जन्म हुआ। पंद्रह महीने की अपनी बेटी साइरा का जिक्र करते हुए लारा ने कहा, ‘मातृत्व काफी चुनौतीपूर्ण है। बच्चे के साथ हर दिन आपको एक नया अनुभव होता है। मुझे यह काफी अच्छा लगता है ... ।’ लारा यहां सैमसंग के नए फोन गैलेक्सी एस4 को लांच कर रही थीं। उन्होंने कहा कि वह अपने फोन के बिना नहीं रह सकतीं। फिल्म अंदाज से अभिनय की यात्रा शुरू करने वाली लारा की ‘नो एंट्री’, ‘काल’, ‘पार्टनर’, ‘हाउसफुल’ जैसी कई फिल्में हिट साबित हुयी हैं।
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05-05-2013, 07:35 PM | #1038 |
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खबरों में है कि अजय देवगन अभीनित फिल्म ‘फूल और कांटे’ के निर्माता दिनेश पटेल द्वारा 2004 में ‘बेनाम’ फिल्म बनाई गई थी। 'फूल और कांटे’ के सिक्वल के रूप में चर्चित हुई फिल्म ‘बेनाम’ के लिए प्रियंका चोपड़ा से बात की गई थी परंतु अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते उन्होंने फिल्म में काम करने से मना कर दिया था। इसके बाद अजय देवगन, समीरा रेड्डी और भूमिका चावला को लेकर फिल्म बनाई गई थी। 2004 में बनकर तैयार हो चुकी इस फिल्म को वित्तीय कारणों से रिलीज नहीं किया जा सका था, लेकिन अब इसे रिलीज करने की तैयारी हो चुकी है। खबरों में यह भी है कि फिल्म का नाम ‘बेनाम’ से ‘नाम’ कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘नाम’ की रिलीज वित्तीय और कई अन्य कारणों से टलती जा रही थी, लेकिन अजय देवगन ने इस पर पूरी नजर रखी और जब उन्हें पता चला कि फिल्म रिलीज होने वाली है तो उन्होंने इसके प्रमोशन के लिए अपने व्यस्त कार्यक्रम से 10 दिनों का समय निकाल लिया है। फिल्म के बारे में दिनेश पटेल ने कहा कि हमने यह फिल्म प्रियंका चोपड़ा के साथ शुरू की थी। उनके इंकार के बाद इसमें अजय देवगन के साथ समीरा रेड्डी और भूमिका चावला को लिया गया था। उन्होंने बताया कि ऐसी चर्चाएं थीं कि यह फिल्म ‘फूल और कांटे’ का सिक्वल होगी परंतु ऐसा नहीं हो सका।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
06-05-2013, 01:36 AM | #1039 |
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‘गुलाब गैंग’ जैसी फिल्म बनाना आसान काम नहीं : अनुभव सिन्हा
नई दिल्ली। अनुभव सिन्हा ने माधुरी दीक्षित और जूही चावला अभिनीत अपनी आने वाली फिल्म ‘गुलाब गैंग’ के संपत पाल के जीवन पर आधारित होने की खबरों को गलत बताया और साथ ही कहा कि ‘गुलाब गैंग’ जैसी महिला प्रधान फिल्म बनाना आसान काम नहीं है। सिन्हा ने कहा कि यह किसी के भी जीवन पर आधारित नहीं है, यह एक काल्पनिक कहानी है। हां, इसमें गुलाबी रंग और महिलाओं के एक समूह जैसी समानताएं हैं, लेकिन यह संपत पाल के जीवन पर आधारित नहीं है। लोगों को ऐसा लगता है लेकिन ऐसा नहीं है। ‘तुम बिन’, ‘दस’ और ‘रॉ.वन’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके सिन्हा इस फिल्म के साथ निर्माता बन गए हैं और उनका मानना है कि उनके लिए यह फिल्म बनाना आसान काम नहीं था। सिन्हा ने कहा कि जब मैं बनारस में था तब सौमिक सेन (निर्देशक) ने मुझे कहानी सुनाई और मैं इससे प्रभावित हो गया। यह फिल्म बनाना आसान नहीं था, क्योंकि इसमें कोई पुरुष अभिनेता मुख्य भूमिका में नहीं है और इसमें एक्शन और नृत्य के दृश्य भी हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि मुझे यह भी पता था कि फिल्म के लिए पैसे जुटाना आसान नहीं होगा, क्योंकि यह एक अलग तरीके की फिल्म है। मैंने बहुत कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन एक बात जो सबसे ऊपर थी, वह यह कि मुझे इस फिल्म को बनाने में मजा आया। ‘गुलाब गैंग’ के साथ 47 वर्षीय सिन्हा पहली बार दो स्टार अभिनेत्रियों और पूर्व प्रतिद्वंद्वी माधुरी और जूही को एक साथ बड़े पर्दे पर ला रहे हैं। अपनी निर्माण कंपनी बनारस मीडिया वर्क्स को लेकर सिन्हा ने कहा कि वह हमेशा से अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू करना चाहते थे और अपने बैनर तले ‘गुलाब गैंग’ जैसी फिल्म का निर्माण कर वह खुश हैं।
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06-05-2013, 01:37 AM | #1040 |
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प्राण को बहुत पहले मिलना चाहिए था ‘फाल्के’: इरफान
नई दिल्ली। मौजूदा वक्त को हिन्दी सिनेमा का बेहद मजेदार दौर बताते हुए फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले कलाकार इरफान खान कहते हैं कि हिन्दी फिल्मों के अजीम खलनायक प्राण को बहुत पहले दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिल जाना चाहिए था। इरफान ने खास मुलाकात में बताया कि प्र्राण साहब हिन्दी फिल्मों की ‘आइकॅन’ शख्सियत हैं और उन्हें बहुत पहले देश के सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिए था। देर से ही सही मगर हिन्दी फिल्मों के शताब्दी वर्ष में उन्हें यह पुरस्कार मिलना बेहद सम्मानजनक है। हालांकि, आस्कर विजेता फिल्म ‘स्लमडाग मिलेनियर’ के अभिनेता इरफान ने कहा कि अफसोस इस बात का है कि प्राण साहब खराब सेहत के चलते पुरस्कार समारोह में शिरकत नहीं कर सके। उनके साथ होना हमारे लिए अविस्मरणीय क्षण होता। हम सभी उनके शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना करते हैं। फिल्म ‘हासिल’ के लिए 2003 में सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार जीतने वाले अभिनेता ने कहा कि यह महज संजोग है कि हिन्दी सिनेमा के शताब्दी वर्ष में दो दोस्तों (इरफान एवं तिग्मांशु) को राष्ट्रीय पटल पर एक साथ पुरस्कृत किया गया। इस मित्रता की शुरूआत राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में पढ़ाई के दौरान हुई थी। तिग्मांशु धुलिया और इरफान खान ने फिल्म जगत में अपने सफलता के सफर की शुरूआत ‘हासिल’ फिल्म के साथ की थी। दोनों आज भी एक दूसरे के साथ काम करने को अधिक तरजीह देते हैं। इरफान ने कहा कि यह हिन्दी सिनेमा का काफी मजेदार दौर हैं, जिसमें निर्देशकों की नई पीढ़ी नवीन अवधारणा और नए प्रयोगों को रजत पटल पर उतारा जा रहा है। इस दौर में हिन्दी सिनेमा की नई परिभाषा गढ़ने के लिए मजेदार प्रयोग हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि हिन्दी सिनेमा में इस वक्त ‘वास्तविकता का दौर’ आया है, जिसमें कहानी, अभिनय और उसकी प्रस्तुति (ट्रीटमेंट) में भी यथार्थ को प्रधानता दी जा रही है। यह अभिनय को नई ऊंचाई पर ले जा रहा है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शुक्रवार को प्रदान किए। इसमें एथलीट से डकैत बने पान सिंह तोमर की कहानी पर बनी फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए स्वर्ण कमल और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए रजत कमल के राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार पर प्रतिक्रिया देते हुए इरफान ने कहा कि इस पुरस्कार के बाद मेरे चाहने वालों के चेहरे के भाव देखकर ऐसा लगता है, जैसे यह पुरस्कार उन्हें दिया गया हो। यही मेरे लिए सच्चा पुरस्कार है।
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