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Old 12-02-2011, 09:20 PM   #1041
Kumar Anil
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Kumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud of
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Originally Posted by aksh View Post
मित्र अनिल जी कल रविवार है और मैं उम्मीद कर रहा हूँ कि आप अपना बहु प्रतीक्षित जवाब नुमा लेख कल तक हम सभी के सामने रख देंगे. तब तक एक और सवाल. क्या कभी ऐसे भी क्षण आये हैं जब आपको लगा हो कि इमानदारी से अपना कर्त्तव्य निभाना एक सरकारी नौकर के लिए असंभव है. ?
बहुप्रतीक्षित नहीँ अलबत्ता अक्षप्रतीक्षित ज़बाब होगा क्योँकि लगभग 15 सक्रिय सदस्योँ के इर्द गिर्द ही कोई फोरम घूमता है जिसमेँ से तकरीबन आधे किन्हीँ विशेष कारणोँ से अथवा अपने वैशिष्टय का बोध कराने का लोभ संवरण नहीँ कर पाने के कारण किसी सूत्र विशेष से नज़रे फेरे रहते हैँ । देशी भाषा मेँ कहेँ तो कन्नी काटकर बगलगीर हो लेते है ........
यह सर्वथा गलत है कि सरकारी नौकरी ईमानदारी से नहीँ की जा सकती । यह हमारे ऊपर निर्भर है कि हम कैसे नौकरी करेँ । ईमानदारी से नौकरी करने के लिये डस्टबिननुमा ड्राई अनुभाग का वज़ूद भी होता है जिसे मलाई के आदी पनिशमेन्ट पोस्टिँग कहते हैँ । हालाँकि मलाईदार जगह पर ईमानदारी से काम करना मुश्किल है क्योँकि वहाँ अपेक्षायेँ और दबाब दोनो हैँ ।
__________________
दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो ।
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Old 12-02-2011, 10:18 PM   #1042
amol
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amol is a jewel in the roughamol is a jewel in the roughamol is a jewel in the rough
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[quote=kumar anil;48719]बहुप्रतीक्षित नहीँ अलबत्ता अक्षप्रतीक्षित ज़बाब होगा क्योँकि लगभग 15 सक्रिय सदस्योँ के इर्द गिर्द ही कोई फोरम घूमता है जिसमेँ से तकरीबन आधे किन्हीँ विशेष कारणोँ से अथवा अपने वैशिष्टय का बोध कराने का लोभ संवरण नहीँ कर पाने के कारण किसी सूत्र विशेष से नज़रे फेरे रहते हैँ । देशी भाषा मेँ कहेँ तो कन्नी काटकर बगलगीर हो लेते है ........[/quote]

आपके इन कथनों से ऐसा प्रतीत होता है की आपको लोगो के ध्यान अपनी और आकर्षित करने की प्रबल इक्क्षा रहती और ऐसा अगर ना हो तो आप विचलित हो जाते हैं.
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Old 12-02-2011, 11:24 PM   #1043
Bond007
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Originally Posted by amol View Post
आपके इन कथनों से ऐसा प्रतीत होता है की आपको लोगो के ध्यान अपनी और आकर्षित करने की प्रबल इक्क्षा रहती और ऐसा अगर ना हो तो आप विचलित हो जाते हैं.
बुरा क्या है? सभी करते हैं, मैं भी करता हूं|
सूत्र सवाल पूछने के लिए है न की व्यक्तित्व के बारे में विचार देने के लिए|
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Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

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Old 12-02-2011, 11:29 PM   #1044
Kumar Anil
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[QUOTE=amol;48738]
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Originally Posted by kumar anil View Post
बहुप्रतीक्षित नहीँ अलबत्ता अक्षप्रतीक्षित ज़बाब होगा क्योँकि लगभग 15 सक्रिय सदस्योँ के इर्द गिर्द ही कोई फोरम घूमता है जिसमेँ से तकरीबन आधे किन्हीँ विशेष कारणोँ से अथवा अपने वैशिष्टय का बोध कराने का लोभ संवरण नहीँ कर पाने के कारण किसी सूत्र विशेष से नज़रे फेरे रहते हैँ । देशी भाषा मेँ कहेँ तो कन्नी काटकर बगलगीर हो लेते है ........[/quote]

आपके इन कथनों से ऐसा प्रतीत होता है की आपको लोगो के ध्यान अपनी और आकर्षित करने की प्रबल इक्क्षा रहती और ऐसा अगर ना हो तो आप विचलित हो जाते हैं.
आकर्षण की स्वाभाविक चाह सबके भीतर है । अब जैसे मेरी प्रविष्टि मेँ रंगोँ का संयोजन कर आपने अपनी ओर ध्यान आकृष्ट कराना चाहा । आप उसे सीधे भी उद्धृत कर सकते थे ।
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Old 14-02-2011, 09:42 PM   #1045
aksh
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aksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant future
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Originally Posted by Kumar Anil View Post
बहुप्रतीक्षित नहीँ अलबत्ता अक्षप्रतीक्षित ज़बाब होगा क्योँकि लगभग 15 सक्रिय सदस्योँ के इर्द गिर्द ही कोई फोरम घूमता है जिसमेँ से तकरीबन आधे किन्हीँ विशेष कारणोँ से अथवा अपने वैशिष्टय का बोध कराने का लोभ संवरण नहीँ कर पाने के कारण किसी सूत्र विशेष से नज़रे फेरे रहते हैँ । देशी भाषा मेँ कहेँ तो कन्नी काटकर बगलगीर हो लेते है ........
यह सर्वथा गलत है कि सरकारी नौकरी ईमानदारी से नहीँ की जा सकती । यह हमारे ऊपर निर्भर है कि हम कैसे नौकरी करेँ । ईमानदारी से नौकरी करने के लिये डस्टबिननुमा ड्राई अनुभाग का वज़ूद भी होता है जिसे मलाई के आदी पनिशमेन्ट पोस्टिँग कहते हैँ । हालाँकि मलाईदार जगह पर ईमानदारी से काम करना मुश्किल है क्योँकि वहाँ अपेक्षायेँ और दबाब दोनो हैँ ।
मित्र अनिल जी, शब्दों के जादूगर हो आप. पता नहीं इतनी जादूगरी कहाँ से सीखी है आपने ??
पर इतना अवश्य कहना चाहूंगा कि प्रत्येक व्यक्ति ना सिर्फ शक्लो सूरत में ही अलग और विशिष्ट होता है बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशिष्ट सोच होती, अपना विशिष्ट चरित्र होता है अपनी विशिष्ट भाषा शैली और विशिष्ट व्यवहार होता है. उसके परिवेश का, उसके लालन पालन का, उसकी शिक्षा का, उसके काम का और उसके संगी साथियों और सम्बन्धियों का उसके ऊपर एक विशिष्ट असर होता है. और हम सभी को एक तराजू में कभी भी नहीं तौल सकते.

मैं बिलकुल मानता हूँ कि सरकारी विभाग में भी पूरी इमानदारी से कार्य किया जा सकता है क्योंकि मैंने अपने पूज्य पिताश्री को ये सब पल पल और पूरी इमानदारी के साथ करते हुए देखा है. उनके जैसा आदर्श अध्यापक मैं शायद ही कभी जिंदगी में दूसरा देख पाऊंगा.

पर आवश्यकता इस बात की है कि हम जैसे आम लोगों की धारणा को भी बदला जाए और उसके लिए मुट्ठी भर ईमानदार लोगों का होना काफी नहीं है मित्र. हमें ये संख्या बढानी होगी...... पर दुःख की बात यह है कि ये बढ़ने की बजाय तेजी से घट रही है,.... शायद !

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Old 18-02-2011, 04:51 PM   #1046
aksh
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सभी गुणी जनों से आग्रह करूंगा कि फोरम की जान इस सूत्र को बीच में ही दम तोड़ने से बचाया जाए. विषय बहुत हैं और सदस्य भी कम नहीं हैं फिर ये बीच में अवरोध क्यों ??? अनुज खालिद सूत्र की कमान को ढीला ना छोड़ें और इसे कृपया जारी रखें !.

Last edited by arvind; 18-02-2011 at 05:12 PM.
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Old 18-02-2011, 05:11 PM   #1047
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Originally Posted by aksh View Post
सभी गुणी जनों से आग्रह करूंगा कि फोरम की जान इस सूत्र को बीच में ही दम तोड़ने से बचाया जाए. विषय बहुत हैं और सदस्य भी कम नहीं हैं फिर ये बीच में अवरोध क्यों ??? अनुज खालिद सूत्र की कमान को ढीला ना छोड़ें और इसे कृपया जारी रखें !.
अक्ष जी ऐसा अनमोल विचार रखने के लिए धन्यवाद
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Last edited by arvind; 18-02-2011 at 05:14 PM.
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Old 18-02-2011, 05:26 PM   #1048
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Originally Posted by bholu View Post
अक्ष जी ऐसा अनमोल विचार रखने के लिए धन्यवाद
शुक्रिया अनुज भोलू जी.
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Old 18-02-2011, 05:31 PM   #1049
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राम का नाम सत्य का काम
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Old 18-02-2011, 07:02 PM   #1050
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लगभग 15 सक्रिय सदस्योँ के इर्द गिर्द ही कोई फोरम घूमता है जिसमेँ से तकरीबन आधे किन्हीँ विशेष कारणोँ से अथवा अपने वैशिष्टय का बोध कराने का लोभ संवरण नहीँ कर पाने के कारण किसी सूत्र विशेष से नज़रे फेरे रहते हैँ । देशी भाषा मेँ कहेँ तो कन्नी काटकर बगलगीर हो लेते है ........
बात कड़वी भी है और कुछ हद तक सच भी हो सकता है पर अगर कोई यहाँ कुछ पूछ नहीं रहा है तो इसका मतलब ये नहीं समिझियेगा बड़े भाई की वो आपको पढ़ भी नहीं रहा है. वो भी आपके जवाबों का उतनी ही सिद्दत से इन्तेजार करता है जितना सवाल पूछने वाला.
अब सभी की दिलचस्पी सामान्य नहीं होती, कोई लिखना पसंद करता है तो कोई पढ़ना.
मैं एक बुरा लेखक हूँ इसलिए ज्यादातर पाठको वाले समूह का ही प्रतिनिधित्व करता हूँ.
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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