03-10-2012, 11:03 PM | #1041 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वाशिंगटन। नए अध्ययन में 15 करोड़ वर्ष पहले समुद्र में राज करने वाले 22 फुट लंबे मगरमच्छ का पता चला है। इस भीमकाय मगरमच्छ को ‘टी-रेक्स आफ द सी’ नाम दिया गया है। इस मगरमच्छ के साथ ही प्रागैतिहासिक काल के एक और मगरमच्छ का पता चला है। बड़े आकार का यह मगरमच्छ ‘प्लीसिओसुकस’ और 17 फुट लंबे ‘डाकोसोरस’ मांसभक्षी और हिंसक थे। आज के खंूखार व्हेल और डायनासोर की तरह ही ये मांसप्रिय थे। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के डॉ. मार्क युंग की अगुवाई में वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम डोरसेट और कैंब्रीजशायर के साथ ही जर्मनी में मिले इन मगरमच्छ के कंकालों की पड़ताल कर रहे हैं। अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि वर्तमान समय के शांतचित्त मगरमचच्छों की तुलना में ये अपने शिकार पर आक्रामक तरीके से झपटते थे। ‘डाकोसोरस’ और ‘प्लीसिओसुकस’ की खोपड़ी का हिस्सा ‘टायरानोडोरस रेक्स’ की तरह ही था। इसके साथ ही कुछ अन्य समानताएं भी मिली है।
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03-10-2012, 11:04 PM | #1042 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
जापान में तैयार हुआ ‘चित्रकार’ रोबोट
टोक्यो। शोधकर्ताओं ने एक नया रोबोट तैयार किया है जो किसी चित्रकार के काम को दोहरा सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि मोनेट अथवा पिकासो की कृतियों की पूरी तरह से नकल करना संभव नहीं है, हालांकि यह रोबोट कई कलाकृतियों को काफी हद तक फिर से बना सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस नई तकनीक का इस्तेमाल जटिल सर्जरी अथवा मशीनों में हो सकता है। इस रोबोट को विकसित करने का काम जापान के कियो विश्वविद्यालय ने किया है। मंगलवार को इस रोबोट का अनावरण किया गया।
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03-10-2012, 11:04 PM | #1043 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मधुमक्खी के दिमाग से और तेज हो सकता है रोबोट
लंदन। वैज्ञानिक मधुमक्खी के मस्तिष्क में एक ऐसे तंत्रिका तंत्र का मॉडल विकसित कर रहे हैं जिससे रोबोट को पहले से अधिक स्वतंत्र रूप से काम करने में मदद मिलेगी। यूनिवर्सिटी आॅफ शेफील्ड एंड ससेक्स के शोधकर्ता इसका अध्ययन कर रहे हैं कि कीड़े के तंत्रिका तंत्र के बेहतर इस्तेमाल के उपायों को कैसे विकसित किया जा सकेगा। शोधकर्ताओं का लक्ष्य मधुमक्खी के दिमाग में तंत्रिका तंत्र का ऐसा मॉडल विकसित करने का है जिससे रोबोट में इस तरह का भाव पैदा हो जाए कि वह जो देखता अथवा सूंघता है, उसकी सही ढंग से अनुभूति कर सके। इस शोध के बाद जो रोबोट तैयार होगा उसका अंतरिक्ष मिशन, कृषि और कई अन्य क्षेत्रों में बेहतरीन इस्तेमाल हो सकता है।
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07-10-2012, 10:26 AM | #1044 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
फेसबुक पर बिना चुने ही हो जाता है ‘लाइक’
लंदन। फेसबुक ने माना है कि इस वेबसाइट के खाताधारकों की ओर से ‘लाइक’ विकल्प का चुनाव नहीं किए जाने या उनके अपने पन्ने जाए बिना ही इस विकल्प को जोड़ा जा रहा है। ‘बीबीसी न्यूज’ के अनुसार अमेरिका के एक सुरक्षा अनुसंधानकर्ता ने यह पाया है कि फेसबुक की संदेश सेवा के जरिए किसी मित्र को कोई वेब पता भेजने मात्र से ही उस पन्ने पर दो बार ‘लाइक’ का विकल्प चुन लिया जाता है। फेसबुक ने कहा है, ‘हमने हाल की में अपने सोशल ‘प्लग-इन्स’ के साथ एक ऐसा बग पाया है, जो कई बार शेयर या लाइक को दो गुना बढा देता है।’
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07-10-2012, 10:26 AM | #1045 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
प्रयोगशाला में ब्लैकहोल जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश में जुटे वैज्ञानिक
लंदन। ब्रिटेन के वैज्ञानिक तत्वों और उर्जा के आपसी प्रभाव को समझने के लिए प्रयोगयशाला में ब्लैकहोल की नकल करने का प्रयास कर रहे हैं। ‘द इंडिपेनडेंट’ के अनुसार हेरिओट-वाट विश्वविद्यालय का एक दल लेजर से कंपन पैदा करेंगे, जिसकी उर्जा खरबों वाट होगी। इससे ब्लैकहोल के आसपास मौजूद हालात की नकल करने में मदद मिलेगी। इस परियोजना का खर्च साढे 23 लाख पाउंड होगा। गौरतलब है कि ब्लैकहोल अंतरिक्ष का वह क्षेत्र है जहां पर भौतिकी के सामान्य नियम खरे नहीं उतरते और गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है कि प्रकाश वहां से वापस नहीं लौट पाता।
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07-10-2012, 10:27 AM | #1046 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
खाना चबाने में परेशानी, कहीं डिमेंशिया का संकेत तो नहीं
लंदन। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि सही तरीके से खाना चबाने की क्षमता का संबंध मानसिक स्वास्थ्य से होता है। स्वीडन के कारोलिंस्का संस्थान और कार्लस्टाड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने 77 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 557 लोगों में दांत टूटना और चबाने की क्षमता का अध्ययन किया। इस अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को सेब जैसे ठोस खाने को चबाने में दिक्कत होती है, उनमें दिमास से संबंधित बीमारी होने का खतरा बढ जाता है।
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07-10-2012, 02:46 PM | #1047 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अवसाद के इलाज में कारगर ‘केटामाइन’
लंदन। आम तौर पर ‘पार्टी ड्रग’ या ‘स्पेशल के’ कहलाने वाली केटामाइन अत्यधिक अवसाद से तत्काल राहत दे सकती है। येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ऐसे सबूत पाए हैं कि अवसाद और तनाव के कारण मस्तिष्क की जो कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं उनके बीच केटामाइन सम्बन्ध स्थापित कर देती है। उन्होंने कहा कि केटामाइन न्यूरोट्रांसमीटर सिस्टम पर उस तरह से काम नहीं करती जिस तरह अवसाद की अन्य दवाएं करती हैं। इन दवाओं से अवसाद दूर होने में महीनों लगते हैं। लेकिन केटामाइन न्यूरोट्रांसमीटर सिस्टम पर अलग तरह से काम करती है और उसका असर भी जल्द होता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि मस्तिष्क पर केटामाइन किस तरह काम करती है, यह बात समझ आ जाए तो अवसादरोधी नई दवा तैयार की जा सकती है, जिससे अवसादग्रस्त लाखों लोगों को राहत मिल सकेगी।
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07-10-2012, 02:46 PM | #1048 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
कोलोरेक्टल कैंसर सम्बन्धी एंजाइम की पहचान
लंदन। अनुसंधानकर्ताओं ने एंजाइम के एक अलग प्रकार का पता लगाया है। उनका दावा है कि यह एंजाइम कोलोरेक्टल कैंसर के ट्यूमर पैदा करने वाले जीनों को सक्रिय कर देता है। हॉस्पिटल डेल मार मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि आईकेके अल्फा नामक एंजाइम की सक्रियता रोकने के लिए विकसित नई दवाओं से कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज में सुधार हो सकता है। आईकेके अल्फा एंजाइम गुदा की कोशिकाओं की तुलना में शरीर के अन्य हिस्सों की कोशिकाओं के लिए कम घातक होता है। यह एंजाइम किनासे एंजाइम का एक प्रकार है। किनासे एंजाइम प्रोटीन हैं जो दूसरे प्रोटीनों पर प्रतिक्रिया से फास्फेट बनाते हैं और उनका कामकाज बदल देते हैं।
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07-10-2012, 02:47 PM | #1049 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आदिमानव और आधुनिक मानव के बीच हुआ संकरण
वाशिंगटन। एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि नियेंडरथल आदिमानव और आधुनिक मानव के बीच 37 हजार साल पहले संकरण हुआ था। हार्वर्ड विश्वविद्यालय और मैक्स प्लैंक संस्थान ने यह खोजने का प्रयास किया कि आदिमानव और गैर अफ्रीकी लोग एक जैसे क्यों लगते हैं। उनके अध्ययन के परिणामों से सामने आया कि आदिमानव और आधुनिक मानव के पूर्वज उत्तरी इजरायल की गुफाओं में साथ-साथ रहते थे। उन्होंने पाया कि आदिमावन नियेंडरथल जब अफ्रीका से बाहर आए तो आधुनिक मानव ने उनके साथ सम्बन्ध बनाए। डॉ श्रीराम शंकररमण और उनके सहयोगियों ने आदिमानव से मिलते हुए यूरोपीय लोगों के जीनोम के डीएनए की लंबाई को मापा। शोध को पीएलओएस जेनेटिक्स में प्रकाशित किया गया है।
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07-10-2012, 02:47 PM | #1050 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
नये जीन आधारित परीक्षण से मुंह के कैंसर का जल्दी चलेगा पता
लंदन। वैज्ञानिकों ने एक नया जीन परीक्षण विकसित किया है, जिससे मुंह के कैंसर की आशंका वाले लोगों में बीमारी के शुरूआती चरण में ही इसका पता चल सकेगा। इस परीक्षण के परिणाम 90 प्रतिशत तक सटीक पाए गए। क्वीन मैरी, यूनीवर्सिटी आॅफ लंदन के अनुसंधानकर्ताओं ने एक जीन आधारित परीक्षण प्रणाली विकसित की है, जिसके परिणाम 91-94 प्रतिशत तक सही रहे हैं। ब्रिटेन और नोर्वे के 299 मरीजों के सिर और गले के 350 से अधिक उतकों के सफल प्रयोग से इस परीक्षण को अंजाम दिया गया। मुंह के घाव सामान्य बीमारी है और इनमें से पांच से 30 प्रतिशत के कैंसर में परिवर्तित होने की आशंका रहती है। अगर समय रहते इसका पता चल जाए तो इसका निदान संभव है, लेकिन अब तक कोई परीक्षण इतना सटीक नहीं था, जो मुंह के छालों के कैंसर में परिवर्तित होने की आशंका के बारे में सही सही जानकारी दे सके। यह अध्ययन इंटरनेशनल जर्नल आफ कैंसर में प्रकाशित हुआ।
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