03-12-2014, 12:24 AM | #1061 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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रोशनी रोशनी चिल्लाओगे तुम याद रखो कैसे मुमकिन है कि सूरज हो ज़िबह शाम न हो कोई पहुंचा दे मेरी आखिरी ख्वाहिश उन तक जो मेरे साथ हुआ उसका चलन आम न हो (बालस्वरुप राही)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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03-12-2014, 07:01 PM | #1062 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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हम उन्हें, वोह हमें भुला बैठे, दो गुनहगार ज़हर खा बैठे, आंधियो! जाओ अब करो आराम! हम खुद अपना दिया बुझा बैठे........... (खुमार बाराबंकवी)
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*** Dr.Shri Vijay Ji *** ऑनलाईन या ऑफलाइन हिंदी में लिखने के लिए क्लिक करे: .........: सूत्र पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे :......... Disclaimer:All these my post have been collected from the internet and none is my own property. By chance,any of this is copyright, please feel free to contact me for its removal from the thread. |
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04-12-2014, 08:27 AM | #1063 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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पर तुम्हें मैं दर्द का कारण न मानूं तो दे रहे हो तुम खुले बाजार का नारा मैं तुम्हारी बात जन-गण-मन न मानूं तो (ओम प्रकाश चतुर्वेदी पराग)
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20-01-2015, 03:07 PM | #1064 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
[QUOTE=rajnish manga;540898][size=4]ठीक है ये दर्द तुमने ही दिया मुझको
पर तुम्हें मैं दर्द का कारण न मानूं तो दे रहे हो तुम खुले बाजार का नारा मैं तुम्हारी बात जन-गण-मन न मानूं तो तेरे घर के द्वार बहुत हैं, किसमें हो कर आऊं मैं? सब द्वारों पर भीड़ मची है, कैसे भीतर जाऊं मै द्बारपाल भय दिखलाते हैं, कुछ ही जन जाने पाते हैं तेरी विभव कल्पना कर के, उसके वर्णन से मन भर के, भूल रहे हैं जन बाहर के कैसे तुझे भुलाऊं मैं?................ 0 मैथिलीशरण गुप्त... Maithili Sharan Gupt (गुणगान) Last edited by soni pushpa; 20-01-2015 at 03:11 PM. |
24-01-2015, 07:43 AM | #1065 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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मुंह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों में........खामोशी पहचाने कौन (निदा फ़ाज़ली)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 24-01-2015 at 07:47 AM. |
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06-03-2015, 06:17 PM | #1066 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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नाकामियों ने और भी सरकश बना दिया, इतने हुए जलील, की खुददार हो गए... (अज्ञात) |
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08-03-2015, 10:33 AM | #1067 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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जिसके करीब में कोई बहती नदी न हो ज़िद पर तो अड़ गए हो मगर सोच लो ज़रा जिस बात पर अड़े हो, कहीं खोखली न हो (अनु जसरोटिया)
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08-03-2015, 02:46 PM | #1068 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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हर तरफ सद्भावना का संचार होना चाहिए आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए ज़र्फ़ देहलवी
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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08-03-2015, 06:41 PM | #1069 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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एक पत्थर निशान मंजिल का इक सितारा था आसमान में कम मैंने नुक्ता लगा दिया दिल का सिम्त-नुमा = दिशा बताने वाला यंत्र (शकील ग्वालियरी)
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08-03-2015, 09:45 PM | #1070 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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किताबों में मेरे फ़साने ढूँढ़ते है, नादान हैं गुज़रे ज़माने ढूँढ़ते है. जब वोह थे....!! तलाश-इ-ज़िन्दगी भी थी, अब तो मौत के ठिकाने ढूँढ़ते है
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! Last edited by bindujain; 08-03-2015 at 09:48 PM. |
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