09-10-2012, 11:37 PM | #1061 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मेलबर्न। आकर्षक व्यक्तित्व वाले लोगों को जल्दी नौकरी मिल जाती है, उनकी पदोन्नति भी जल्दी होती है और कम आकर्षक सहयोगियों की तुलना में उन्हें अच्छा वेतन भी मिलता है। ‘सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड’ के अनुसार, अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आकर्षक लोगों को औसत से कम आकर्षक लोगों की तुलना में तीन से चार फीसदी वेतन अधिक मिलता है। टैक्सास विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डेनियल हैमरमेश की अगुवाई में किए गए इस अध्ययन में खूबसूरती की अवधारणा का विभिन्न तरीकों से सफलता में एक कारक के तौर पर विश्लेषण किया गया। शिकागो विश्वविद्यालय के दारियो मास्त्रीपियरी ने कहा कि खूबसूरत लोगों को उनकी कंपनी अधिक राशि देती है और उन्हें परिश्रमी तथा महत्वपूर्ण कर्मचारियों के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने कहा, ‘इसका कारण है। खूबसूरती किसे अच्छी नहीं लगती। खूबसूरत लोगों की बात का अधिक असर होता है। लोग उनसे बात करना चाहते हैं।’
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09-10-2012, 11:40 PM | #1062 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
स्तनपायी के साझा पूर्वज थे बंदर के आकार के : अध्ययन
लंदन। शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि आधुनिक स्तनपायी के साझा पूर्वजों का आकार छोटे बंदरों की तरह का रहा होगा। पूर्व में यह माना जाता था कि उनका आकार छंछूदर जितना छोटा था। जीवाश्मों से संकेत मिलता है कि कुछ विशाल स्तनपायी डायनसोर की दुनिया में शामिल थे। प्राचीन जीवन का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों का मानना है ऐसे स्तनपायी लगभग उसी समय विलुप्त हुए जब विशाल सरीसृप खत्म हुए। केवल छोटे स्तनपायी ही बचे जिनसे आधुनिक स्तनपायी विकसित हुए। फ्रांस में मांटपेलिएयर के विकासमूलक विज्ञान संस्थान के निकोलस गालटियर ने अपने सहयोगियों के साथ पाया कि स्तनपायी के साझा पूर्वज छोटे बंदरों के आकार के थे।। पहले माना जाता था कि वे छोटे चूहे के आकार के होते थे। न्यू साइंटिस्टि पत्रिका के अनुसार शोधकर्ताओं ने 36 आधुनिक स्तनपायी के जीनोम्स के साझा गुणों का इस्तेमाल करते हुए उस जंतु के जिनोम का चित्र बनाया जिससे वे बने थे।
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09-10-2012, 11:40 PM | #1063 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
सोता हुआ दिमाग ऐसे काम करता है मानों कुछ सोच रहा हो : अध्ययन
लॉस एंजिलिस। भारतीय मूल के एक शोधकर्ता सहित विभिन्न शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि सीखने, याद करने और एलझाइमर से जुड़ा दिमाग का हिस्सा एनेस्थीशिया दिये जाने के बावजूद नींद में इस तरह व्यवहार करता है मानों कुछ सोच रहा हो। लास एंजेलिस के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में पहली बार मस्तिष्क के उस हिस्से की गतिविधियों को नींद के दौरान मापा गया जो सीखने, याद करने और अलझाइमर रोग से जुड़ा था। शोधकर्ता दल ने स्मृति निर्माण में शामिल मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सो से एकल न्यूरान की गतिविधि को शामिल किया। कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के न्यूरोफिजिक्स के प्राध्यापक एवं अध्ययन के वरिष्ठ लेखक मयंक आर मेहता ने बताया कि तकनीक से उन्हें यह निर्धारित करने में मदद मिली कि मस्तिष्क का कौन सा हिस्सा अन्य हिस्से को सक्रिय कर रहा है तथा सक्रियता का विस्तार कैसे हो रहा है। यह अध्ययन नेचर न्यूरोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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09-10-2012, 11:41 PM | #1064 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वैज्ञानिकों ने खोजे सबसे छोटे और तेज आरएनए स्विच
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने आरएनए से बने सबसे छोटे और तेज आणिवक स्विचों को खोज लिया है और यह एचआईवी के लिए दवाएं विकसित करने में मदद करेगा । पिछले कुछ दशकों में वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि हमारी कोशिकाओं में मौजूद ज्यादातर डीएनए एक विशेष अणु का निर्माण करते हैं जिन्हें आरएनए कहते हैं । यह आरएनए जीन एक्सप्रेशन को नियंत्रित करने का काम करते हैं । यह एक स्विच की तरह भी काम करते हैं जो कोशिकाओं से मिलने वाले सिग्नल को समझते हैं और कोशिका में अन्य आणुओं को संदेश भेजने के लिए स्वयं में बदलाव करते रहते हैं । मिशिगन विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसे ही सबसे तेज और छोटे आरएनए स्विचों का पता लगाया है । इस अनुसंधान के परिणाम ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं ।
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10-10-2012, 01:49 AM | #1065 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अब क्रीम से मेलानोमा कैंसर के उपचार की उम्मीद जगी
मेलबर्न। आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रासायनिक पदार्थ बनाने का दावा किया है जो शुरूआती मेलानोमा कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम है। इस रासायनिक पदार्थ से एक क्रीम बनाने की भी संभावना है। मेलबर्न की आरएमआईटी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि शुरूआती शोध में लगता है कि यह रासायनिक पदार्थ स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बगैर केवल कैंसरग्रस्त कोशिकाओं पर काम करता है। मेलानोमा कैंसर त्वचा के कैंसर का एक रूप होता है। प्रमुख शोधकर्ता डा. टैगरिड स्टीवन ने बताया कि इस रासायनिक पदार्थ से एक क्रीम बनाने में मदद मिल सकती है जिसे सीधे प्रभावित क्षेत्र में लगाया जा सकता है। स्टीवन कहती हैं कि वर्तमान में .मेलानोमा. के उपचार के लिए सर्जरी की जाती है और कैंसर कोश्किाओं के साथ ही आस.पास की स्वस्थ कोशिकाओं को एहतियात के तौर पर निकाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर क्रीम बनाने का प्रयोग सफल रहा तो कैंसर पीडित लोग पीडादायक उपचार पद्धति से निजात पा सकते हैं। क्रीम को घर पर या डाक्टर के क्लीनिक में आसानी से लगाया जा सकता है। उन्होंने हालांकि कहा कि उपचार की इस विधि का जानवरों पर अभी और विस्तार से अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है। इसके बाद इसका इंसानों पर परीक्षण किया जायेगा. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इन परीक्षणों के बाद कई वर्ष क्रीम बनाने की स्टेज तक पहुंचने में लग जायेंगे। फिलहाल मेलानोमा कैंसर में छोटी सर्जरी से ट्यूमर एवं उसके आप पास की त्वचा को हटाया जाता है।
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10-10-2012, 01:53 AM | #1066 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
कैंसर कोशिकाओं को आत्महत्या करने पर मजबूर करेगा चुंबक
लंदन। वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज के लिए एक नया इलाज खोजा है जिसमें शक्तिशाली ‘मैग्नेटिक पल्स’ का उपयोग किया जाता है । यह मैग्नेटिक पल्स ट्यूमर कोशिकाओं को आत्महत्या करने पर मजबूर कर देती हैं । यह इलाज बीमार कोशिकाओं को आत्महत्या करने पर मजबूर करता है और कैंसर कोशिकाएं स्वत: नष्ट होने लगती हैं । कोशिकाएं प्राकृतिक तौर पर भी आत्महत्या करती हैं लेकिन यह प्रक्रिया पुरानी कोशिकाओं की जगह नयी कोशिकाओं को लाने के लिए होती है । लेकिन अकसर बीमारी के दौरान यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है जिसके कारण दवाएं असर नहीं करती हैं । ऐसे में कैंसर कोशिकाएं विभाजित होती रहती हैं और फैलती रहती हैं । ‘डेली एक्सप्रेस’ की खबर के अनुसार, इस नए इलाज में एंटीबायोटिक से जुड़े आयरन के नैनो पार्टिकल्स का उपयोग किया जाएगा । यह नैनौ पार्टिकल जैसे ही कोशिका के पास पहुंचेंगे मैग्नेटिक पल्स काम करेगा और वह कोशिका को आत्महत्या करने के सिग्नल भेजेगा और कोशिका स्वत: नष्ट हो जाएगी । इस अनुसंधान के परिणाम ‘नेचर मटेलियल्स’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं ।
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10-10-2012, 04:00 AM | #1067 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बड़े काम का है लाल टमाटर
लंदन ! एक नये शोध में सामने आया है कि टमाटर खाने से हृदयाघात का खतरा घट कर आधा रह जाता है। फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने पाया कि टमाटर में लाइकोपीन नामक एंटीआक्सीडेंट होता है। शोध में पाया गया कि जिन लोगों में लाइकोपीन के मात्रा सबसे अधिक थी उनको हृदयाघात का खतरा 55 प्रतिशत कम था। इस अध्ययन में 46 से 65 साल की उम्र के 1031 पुरुषों का शामिल किया गया। अध्ययन की शुरुआत में ही इनके शरीर में लाइकोपीन के स्तर को मापा गया और 12 सालों तक अध्ययन किया गया। अध्ययन के जारी रहने के समय के दौरान 67 लोगों को हृदयाघात आया। जिन लोगों के शरीर में लाइकोपीन की मात्रा सबसे कम थी उनमें से 25 लोगों को हृदयाघात की शिकायत हुयी। जिन लोगों में लाइकोपीन की मात्रा सबसे अधिक थी उनमें हृदयाघात का खतरा 59 प्रतिशत कम पाया गया। ईस्टर्न फिनलैंड विश्वविद्यालय के जॉनी कार्पी ने कहा , ‘इस शोध से पता चलता है कि फलों और सबिज्यों के सेवन से हृदयाघात का खतरा कम होता है।’ इस अध्ययन को जर्नल ‘न्यूरोलॉजी’ में प्रकाशित किया गया है।
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10-10-2012, 04:01 AM | #1068 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अब इलैक्ट्रोनिक उपकरणों पर चलेगा ‘कलाइयों का जादू’
लंदन ! अब टीवी रिमोट और वीडियो गेम के रिमोट बीते जमाने की बात हो जायेंगे क्योंकि वैज्ञानिकों ने ऐसा सेंसर विकसित कर लिया है जिसे घड़ी की तरह कलाई पर बांधा जा सकता है। इस सेंसर के जरिये आप अपने सभी इलैक्ट्रोनिक उपकरणों को नियंत्रित कर सकेंगे। न्यूकासल यूनिवर्सिटी और माइक्रोसॉफ्ट के अनुसंधानकर्ताओं ने ‘डिजिट्स’ सेंसर बनाया जो हाथ की मुद्राओं के संकेतों से किसी भी इलैक्ट्रोनिक उपकरण को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस नवीनतम उपकरण में एक सूक्ष्म कैमरा है जो हाथ और उंगलियों की मुद्राओं को पहचानता है और उन मुद्राओं को इलैक्ट्रोनिक संकेत बनाकर इलैक्ट्रोनिक उपकरण को निर्देश देता है। उदाहरण के तौर पर अंगूठा उपर करने का मतलब फोन उठाना हो सकता है। न्यूकासल यूनिवर्सिटी के डेविड किम ने कहा, ‘यह सेंसर किसी अन्य उपकरण पर आधारित नहीं है इसलिये कहीं भी ले जाया जा सकता है।’
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10-10-2012, 04:01 AM | #1069 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
‘बारकोड’ ब्लड टेस्ट से पता चल सकता है प्रोस्टैट कैंसर का
लंदन ! वैज्ञानिकों ने एक नए ब्लड टेस्ट की खोज की है जो बार कोड की तरह अनुवांशिकीय परिवर्तनों का पता लगा सकता है और प्रोस्टैट कैंसर के बारे में बता सकता है। यह परीक्षण इसलिए दुर्लभ है क्योंकि शरीर में कहीं भी ट्यूमर होने पर रक्त कोशिकाओं की जीन संबंधी गतिविधियों में परिवर्तन हो जाता है जिसका पता इस परीक्षण से लगाया जा सकता है। लंदन स्थित ‘द इन्स्टीट्यूट आफ कैंसर’ और ‘द रॉयल मार्सडेन एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट’ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि रक्त कोशिकाओं में जीन की गतिविधियों में परिवर्तन के प्रकार का पता चल जाए तो यह भी सटीक तरीके से मालूम हो सकता है कि प्रोस्टैट कैंसर किस स्थिति में है। प्रोस्टैट कैंसर थैरेपी टीम के प्रो जॉन डे बोनो ने कहा, ‘प्रोस्टैट कैंसर विविधता वाली बीमारी है। कुछ लोगों में बरसों तक इसके लक्षण पता नहीं चलते और कुछ लोगों में यह बिल्कुल जानलेवा हो जाता है। इसलिए इसकी वास्तविक स्थिति का पता लगाना बहुत जरूरी है।’
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10-10-2012, 04:34 AM | #1070 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
ल्यूपस के मरीजों को आस्टियोपोरोसिस का खतरा
नई दिल्ली। हड्डियों में पाए जाने वाले खनिजों के घनत्व में कमी ल्यूपस के मरीजों के लिए खतरे का संकेत होती है, क्योंकि इससे उन्हें आस्टियोपोरोसिस का खतरा होता है जबकि ल्यूपस की वजह से गुर्दे प्रभावित होने की आशंका के चलते ऐसे मरीजों को अलग से पूरक पोषण के तौर पर कैल्शियम भी नहीं दिया जा सकता। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. एस. के. गुप्ता ने बताया कि लो बीएमडी यानी हड्डियों में पाए जाने वाले खनिजों के घनत्व में कमी के कारण ल्यूपस के मरीजों को आस्टियोपोरोसिस हो सकता है। ल्यूपस आॅटोइम्यून डिजीज है जिसमें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अनियंत्रित हो जाती है। इसका असर गुर्दे पर पड़ सकता है जिसकी वजह से लो बीएमडी होने के बावजूद मरीज को पूरक पोषण के तौर पर कैल्शियम नहीं दिया जा सकता। सर गंगाराम अस्पताल के तंत्रिका रोग विशेषज्ञ डॉ. पी. के. सेठी ने बताया कि ल्यूपस के मरीजों को तेज जलन होती है। अगर इस बीमारी से गुर्दे प्रभावित हो गए हों तो अपशिष्ट निकल न पाने की वजह से शरीर में खनिज संतुलन बदल जाता है। इन खनिजों में कैल्शियम भी शामिल है और हड्डियों में इसका भी संतुलन प्रभावित होता है। नतीजा आॅस्टियोपोरोसिस के रूप में सामने आता है। उन्होंने बताया कि ल्यूपस के मरीजों को स्टीरॉयड इसलिए दिए जाते हैं ताकि उनका प्रतिरोधक तंत्र अनियंत्रित हो कर अन्य अंगों को खराब न करे। अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव जैन ने बताया कि आस्टियोपोरोसिस ऐसी समस्या है जिसमें हड्डियों का अंदर ही अंदर क्षरण होता रहता है, लेकिन दर्द नहीं होता। जब पता चलता है, तब तक समस्या बढ़ चुकी होती है। डॉ. जैन ने कहा कि ल्यूपस के मरीज को कॉर्टिकोस्टीरॉयड्स दिया जाता है जिसकी वजह से खनिजों का ह्रास होता है और हड्डियां कमजोर पड़ती हैं। कॉर्टिकोस्टीरॉयड्स की कम समय के लिए ली गई थोड़ी मात्रा भी हड्डियों का घनत्व कम कर सकती है। साइक्लोफॉस्फामाइड की वजह से समय से पहले ही रजोनिवृति और एस्टोजन हार्मोन की कमी भी हो जाती है। एस्ट्रोजन हड्डियों के लिए बहुत जरूरी है और इसकी कमी का मतलब है हड्डियों के घनत्व में कमी तथा आॅस्टियोपोरोसिस। हड्डियों के खनिजों के घनत्व में कमी से बचने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। इससे न केवल हड्डियों का विकास होता है बल्कि वह कैल्शियम को शोषित भी कर पाती हैं। ल्यूपस के मरीजों के लिए खास तौर पर विटामिन डी जरूरी है। डॉ. जैन ने कहा कि विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है, लेकिन वर्तमान दिनचर्या और घरों की बनावट लोगों को सूर्य की रोशनी से वंचित कर देती है। ल्यूपस के मरीजों के लिए वैसे भी सूर्य की रोशनी से बचना जरूरी है क्योंकि इससे उन्हें त्वचा में तेज जलन हो सकती है। ऐसे में अलग से विटामिन डी लेना जरूरी हो जाता है। कई देशों में अक्टूबर माह ‘ल्यूपस जागरूकता माह’ के तौर पर मनाया जाता है। ल्यूपस एक प्रतिरोधक तंत्र की बीमारी है जिसमें श्वेत रक्त कणिकाएं असंतुलित हो जाती हैं। इस बीमारी के मामलों की संख्या बहुत ही कम है और 95 फीसदी मामलों में यह लाइलाज साबित होती है। यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है।
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