28-02-2011, 08:55 AM | #1081 |
Administrator
|
Re: साक्षात्कार
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
28-02-2011, 08:55 AM | #1082 |
Administrator
|
Re: साक्षात्कार
आप धारा के साथ बहनों वालो में से हैं की उसके विपरीत?
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
28-02-2011, 01:14 PM | #1083 | |||
Diligent Member
|
Re: साक्षात्कार
दोस्त बनाने का कोई मानक नहीं है...चूँकि कई मसलो पर हमारे निर्णय अलग अलग हो सकते हैं ऐसे में हम मानक बनाकर दूसरे को गलत सिद्ध नहीं कर सकते ! अब जब कोई गलत ही नहीं तो काहे की शर्ते? यानी की बस दोस्त यूँ ही बन जाते हैं! हाँ यह ज़रुरी है की दोस्ती होने के बाद आपस में लगभग सामान नियमों का पालन हो ! मै मिलनसार पहले तो था पर अब काफी रिज़र्व हो गया हूँ ! लोगो की चालाकी को उनकी होशियारी समझ बैठा और अपना काफी नुक्सान भी किया है !
Quote:
सुना था की .. जोडियाँ ईश्वर बनाता है !! मगर समस्या तब आती है जब इन जोडियो को आपस में मिलना होता है ! सामाजिक रीतिरिवाज, जातिवाद आदि से सब उलट पलट हो गया है ,अब जोडियाँ ईश्वर नहीं हम बनाते हैं ! बस सिर्फ कुछ बाह्य शर्तों पर ! मेरे विचार से जब तक आतंरिक मिलन न हो तब तक तो किन्ही दो वस्तुओ में विलय हो ही नहीं सकता यानी वो एकत्व को प्राप्त हो ही नहीं सकती , हमेशा उनमे दो का ही आभास होता है ऐसे में प्रेम तो इसका बिलकुल विरोधाभासी है ! प्रेम तो एकत्व का नाम है , और इसी एकत्व से ही समर्पण , त्याग की भावना आती है ! जब तक सम्पूर्ण विलय न हो जाए तब तक प्रेम नाम का शर्बत कैसे बन जाए ! मुझे तो लगता है की प्रत्येक इंसान इसी शर्बत को बनने के चक्कर में है बस वो अपने आप को किसी के साथ विलय नहीं होने दे रहा ! अगर वो दे रहा तो दूसरा नहीं ..!! बस घुमते जा रहे हैं..किसी की तलाश में...और ऐसी ही तालाश के पूर्ण होने का मतलब है प्रेम !! सच्चा प्रेम !! Quote:
मै छोटे से कसबे का रहने वाला हूँ जहाँ एक दूसरे के ऊपर बहुत निगाहें रखी जाती हैं ! विगत कुछ वर्ष पूर्व प्रातः चार बजे के लगभग मै सुबह की सैर के बहाने अपनी प्रेयसी से मिलने गया था ! चूँकि हमारे यहाँ इन बातो का बहुत तूल दिया जाता है अतः आपस में बात तक करना दुश्वार था ! हम बस एक दूसरे को दूर से देखकर ही प्रस्सन रहते थे , बस उस दिन पहली बार आमने सामने कुछ बात करने जा रहा था ! पूरी रात सो नहीं पाया था और सुबह निर्धारित समय पर निर्धारित जगह पहुँच गया ! घर से लगभग २ किमी दूर एक छोटी सी सुखी हुई नहर रास्ते में पड़ती है मै वहीं पहुँच कर उसका इन्तेज़ार करने लगा ! हल्का हल्का अँधेरा था और वो आईं ! उसी नहर के पुल पर हम बैठ कर बाते करने लगे ! पहली बार मैंने इतने नजदीक से उसे महसूस किया था और शायद आपस में अभिवादन ही कर पाए थे की पता नहीं कहाँ से उनकी माता जी वहां पहुँच गईं ! उन्होंने आते ही प्रश्न दागा ...''कौन है तू ?'' और मै बिना कुछ बोले नहर में कूद गया , नहर सुखी थी तो चोट भी काफी आई , पर डरते हुए मै सीधे एक दोस्त के यहाँ भाग गया ! बाद में उसका फोन आया की सब ठीक है और परेशान होने की कोई वजह नहीं है ! लेकिन मेरे लिए वो एक यादगार दिन बन गया , क्योंकि आज भी उस दिन को याद करके कई शारीरिक दर्द जवां हो जाते हैं !खैर आज हम साथ में हैं और उस मजेदार दिन को भूल नहीं पाते ! Quote:
परन्तु मेरे लिए इन चीजों का बहुत ही महत्व है ! मै जानता हूँ की मेरी हानि ही होगी परन्तु मै नहीं त्याग पाता ! वास्तव में मुझे जानने वाले इसी लिए मुझे बोरिंग भी कहते हैं ! कई बार तो हम निर्धारण ही गलत करते हैं ...जैसे जिन वैश्याओ को हम हेय द्रष्टि से देखते हैं वही कभी हमारे कुछ समाजो में पूजी जाती थी , जिसे हमने आज क़त्ल का नाम दिया है वही राजकालो में वध कहा जाता था ! ऐसे न जाने कितने ही उदहारण है ! सच्चाई तो यह है की हमें जब जैसी आव्यशकता पड़ी हमने तब वैसी परिभाषा निकाल ली ! तब के नैतिक मूल्य शायद आज की कमियां बन गएँ हैं , तब के आदर्श शायद आज के व्यवधान बन गएँ हैं, तब का सत्य शायद आज का पिछड़ापन बन गया है...ऐसे मै कोन सी परिभाषा पर अमल करेंगे आप? अब चूँकि यह प्रश्न हैं तो शायद इसका समाधान भी होगा और मेरे विचार से इसके समाधान के लिए हमें उस खुदा ईश्वर के बताये रस्ते पर चलना चाहिए जो हमें पग पग मार्गदर्शित करता है ..मै पुस्तकों या वेदों के खुदा की बात नहीं कर रहा हूँ मै उस खुदा की बात कर रहा हूँ जो सबके अंदर विद्यमान है और वो है हमारा ''ह्रदय ''! बस हमें उस खुदा को बुराईओ से बचाना है और वो हमें बुरा होने से बचायेगा ! बस और कुछ नहीं !! विपरीत रहने की सोच तो नहीं रहती पर अक्सरतर हो जाता हूँ , वैसे धारा से विपरीत रहकर तो मंजिल पाई ही नहीं जा सकती अतः मै विपरीत तो नहीं रहता परन्तु रास्ते अपने स्वयं के बनाता हूँ और शायद आप इसे विपरीत की श्रेणी में ही रखेंगे ! हर बार मै सही नहीं होता पर एक आतंरिक सुख जरुर मिलता है और वो होता है खुद के आदर्शो के पालन करते रहने का सुख ! इसी वज़ह से खुद का खुद में सम्मान बढ़ता है और और इसी सम्मान का ह्राश न होने देने के लिए गलत करने से बचा रहता हूँ ! बस हो सकता की मै यहीं पर धारा के विपरीत हूँ !! अंत में ..( वैचारिक मतभेद संभव है ) पर भी ध्यान दीजियेगा !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है ) ''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है'' |
|||
28-02-2011, 01:20 PM | #1084 |
Exclusive Member
|
Re: साक्षात्कार
फोरम को और अधिक आकर्षण बनाने के लिए आप क्या सुझाव देना पसन्द करेगेँ
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
28-02-2011, 01:22 PM | #1085 |
Exclusive Member
|
Re: साक्षात्कार
फोरम परिवार मेँ आप किनसे अधिक प्रभावित हैँ और क्योँ
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
28-02-2011, 01:27 PM | #1086 |
VIP Member
|
Re: साक्षात्कार
विनायक जी
1. फोरम को आप किस स्तर पर देखना चाहते हैँ 2. फोरम पर आप क्या बदलाव चाहते हैँ 3. फोरम के किन सदस्योँ से आप व्यक्तिगत तौर पर मिले हैँ या इच्छा रखते हैँ 4. फोरम पर आपका सबसे पसंदीदा सदस्य कौन है 5. फोरम के किस सदस्य से आप सबसे अधिक प्रभावित हुवे और क्योँ
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
|
28-02-2011, 01:44 PM | #1087 |
Diligent Member
|
Re: साक्षात्कार
फिलहाल तो खालिद जी मै इस मामले में शून्य हूँ...अब जैसा भी है मुझे तो बेहद प्रिय लगता है, अब सुझाव तो तभी दे पाएंगे न जब मुझे इसमें कुछ कमियां लगें और मुझे तो कोई लगती नहीं ! हो सकता है की इस विषय में अच्छी जानकारी न होने की वजह से हो ...! बस मै तो अभिषेक जी और आप सभी सक्रीय सदस्यों पर भरोसा करता हूँ और आपके भरोसे पर चल रहे इस फोरफ से खुश रहता हूँ !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है ) ''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है'' |
28-02-2011, 01:58 PM | #1088 | |
Special Member
|
Re: साक्षात्कार
Quote:
मैं हमेशा से मानता हूँ "जो स्वैम की इज्जत नहीं करता वो कहीं इज्जत नहीं पाता"
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
|
28-02-2011, 02:07 PM | #1089 |
Diligent Member
|
Re: साक्षात्कार
जी हाँ कुछ नाम हैं ...
१ सिकंदर जी - इनकी वजह से ही मै इस दुनिया और इस फोरम का हिस्सा बना ! स्वच्छ मानसिकता के धनि हैं ! २- खालिद जी - कर्मठ होने के साथ साथ अन्य धर्मो के सम्मान करने के गुण के धनि हैं ! ३- अभिषेक जी - बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के हमें यह फोरम दिया , दूसरे कभी जाहिर नहीं होने दिया की वो प्रशाशक हैं ४- कुमार अनिल जी- इनकी हिंदी एवं लेखन मुझे बहुत प्रभावित करता है ५- ढेबर भाई - स्पष्टवादी व्यक्तित्व के धनि लगते हैं ६- भूमि जी- चौपाल की जान एवं नियंत्रित वाणी की धनि ७- बोंड महाशय - नित्य नई जानकारियां देने वाले ८- पंकज बेदर्दी - कुछ क्रियात्मक हैं एवं क्रिकेट प्रेमी जिससे वो इस फोरम पर सक्रीय नजर आते हैं ! अंत में सभी कुछ न कुछ विशेषताओ के धनि हैं परन्तु नाम याद नहीं आ रहे !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है ) ''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है'' |
28-02-2011, 02:18 PM | #1090 | |
Diligent Member
|
Re: साक्षात्कार
Quote:
२- हिंदी भाषा की अनिवार्यता ! मैंने महसूस किया है की हिंदी लिखना आसान नहीं और इसकी अनिवार्यता न होने से लोग इससे बचने का प्रयास करते हैं जो की हिंदी के विकास के लिए सकारात्मक बात नहीं है ! ३ - अभी तक तो किसी से नहीं परन्तु इक्छा जरुर रखता हूँ ! बस डर यह लगता है की कहीं वो इस फोरम में दर्शाये गए व्यक्तित्व से बिलकुल अलग हुए तो? हालाँकि जहाँ तक नामो का सवाल है तो मैंने खालिद जी वाले प्रश्न में स्पष्ट कर दिया है ! ४- कुमार अनिल जी - चूँकि कुछ छेत्रवाद के कारण और क्लिस्ट हिंदी के करण ! वैसे यह प्रश्न मेरे लिए कुछ मुश्किल सा है ! ५ - वही खालिद जी को दिए गए उत्तर को मै यहाँ पेस्ट कर रहा हूँ !. सिकंदर जी - इनकी वजह से ही मै इस दुनिया और इस फोरम का हिस्सा बना ! स्वच्छ मानसिकता के धनि हैं ! खालिद जी - कर्मठ होने के साथ साथ अन्य धर्मो के सम्मान करने के गुण के धनि हैं ! अभिषेक जी - बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के हमें यह फोरम दिया , दूसरे कभी जाहिर नहीं होने दिया की वो प्रशाशक हैं कुमार अनिल जी- इनकी हिंदी एवं लेखन मुझे बहुत प्रभावित करता है ढेबर भाई - स्पष्टवादी व्यक्तित्व के धनि लगते हैं भूमि जी- चौपाल की जान एवं नियंत्रित वाणी की धनि बोंड महाशय - नित्य नई जानकारियां देने वाले पंकज बेदर्दी - कुछ क्रियात्मक हैं एवं क्रिकेट प्रेमी जिससे वो इस फोरम पर सक्रीय नजर आते हैं !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है ) ''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है'' |
|
Bookmarks |
Tags |
abhisays, answers, baatchit, conversation, discussion, forum members, interview, questions |
|
|